हृदेश केशरी
बिलासपुर । अरिहंत नदी का पानी खूंटाघाट जलाशय में लाने की परियोजना प्रशासकीय स्वीकृति के इंतजार में वर्षों से लटकी हुई है। करीब 900 करोड़ की लागत से कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र में बहने वाली अरिहंत नदी से पानी लाने की यह परियोजना रमन सरकार के समय बनी थी। इसे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण से मंजूरी भी मिल चुकी है परंतु शासन से प्रशासकीय मंजूरी नहीं मिली। अरिहंत नदी का पानी खूंटाघाट जलाशय में आने से किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी बारहों महीने मिल सकता है। खूंटाघाट जलाशय का महत्व इसी समझा जा सकता है कि आने वाले समय में बिलासपुर शहर को पानी इसी जलाशय से उपलब्ध होगा। संभवतः सरकार की नजर इस महत्वकांक्षी परियोजना पर अब तक नहीं पड़ी। जिले में पानी का संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है । खूंटाघाट से शहर में पेयजल के लिए नगर निगम और जल संसाधन विभाग के बीच एमओयू हुआ है। अमृत मिशन के तहत खुटाघाट जलाशय से शहर के लोगों के लिए पानी लाने का योजना पर काम चल रहा है। जल संसाधन विभाग ने अरिहंत नदी का पानी खूंटाघाट जलाशय में लाने की इस परियोजना को भविष्य की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए अत्यंत आवश्यक बताया है। विभाग ने नगर निगम को पानी देने का अनुबंध इसी आधार पर किया था। खूंटाघाट जलाशय केवल बारिश के दिनों में ही पूरी जलग्रहण क्षमता में भरा रहता है। सिंचाई के लिए पानी छोड़ने के बाद पानी कम होने लगता है। शहर की जरूरत को पूरा करने के लिए कालांतर में पानी की कमी हो सकती है। अरिहंत नदी से जलाशय में पानी लाने से पानी की समस्या खत्म हो सकती है। अरिहंत नदी का पानी किसानों के लिए संजीवनी से कम नहीं है क्योंकि जलाशय में 12 महीने पर्याप्त पानी होने से किसान दो से तीन फसल ले सकते हैं ।
पानी की भविष्य की जरूरत के लिए
परियोजना महत्वपूर्ण
अरिहंत नदी का पानी खूंटाघाट जलाशय में लाने की परियोजना की अभी तक प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिली है। जैसे ही स्वीकृति मिलेगी टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह परियोजना पानी की भविष्य की जरूरत को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है।
ए के सोमावार
मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग