एक छात्रा ने कालेज के साथी छात्र -छात्राओं को जोड़कर की थी दहलीज फाउंडेशन बनाने कीअभिनव पहल
अतुल कांत खरे
बिलासपुर (Fourthline )।महाविद्यालय छात्रों ने अभिनव पहल शुरू की है। चाय बनेगी स्याही के बैनर तले विभिन्न स्थानों पर चाय के स्टॉल लगाकर उससे हुई कमाई से बेसहारा बच्चों को पाठ्य पुस्तकें स्टेशनरी व अन्य सामान उपलब्ध कराते हैं।
दहलीज फाउंडेशन के संस्थापक हिना खान ने Fourthline को बताया कि 5 मई 2019 को इस फाउंडेशन का बीज पड़ा उन्होंने कहा कैलाश सत्यार्थी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने यह फाउंडेशन बनाई है इसके अलावा भी मलाला यूसुफ के विचारों से भी प्रेरित हैं।
हाल में ही रिवरव्यू में 3 दिन का फाउंडेशन इवेंट आयोजित किया गया था जिसमें शहर के लोगों ने बहुत अच्छा योगदान दिया। हिना ने बताया कि फाउंडेशन जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी काम करती है। इस बार रिवरव्यू में बहुत से नए आवेदन मिले जिनको फाउंडेशन जांच रहा है चाय को स्याही का रंग देने के लिए लोगों का अच्छा सहयोग प्राप्त हो रहा है ।
बच्चे स्कूल में किताबों का बोझ उठाकर जाते हैं उन्हें सिर्फ नंबरों के पीछे दौड़ाया जाता है उनमें नया सीखने की चाहत नहीं रहती फाउंडेशन का प्रयास है कि वह पढ़ाई के साथ कुछ नया भी सीखें लिंगियाडीह बस्ती स्थित विद्या मंदिर के बच्चों को फाउंडेशन ने 1 महीने तक निशुल्क शिक्षा दी।उन्हें डांस आर्ट क्राफ्ट सेल्फ डिफेंस चित्रकला और रंगोली Spot सहित अन्य कलाएं सिखाई बच्चों के बौद्धिक और शैक्षणिक विकास के लिए यह फाउंडेशन तत्पर रहती है ।
हिना ने बताया सबसे पहले सरकंडा स्थित अटल आवास के बच्चों के साथ काम शुरू किया फिर मोपका बाईपास के पास शासकीय स्कूल में इसके बाद मोरम खदान के पास एक स्कूल में इस तरह धीरे-धीरे काम बढ़ता गया आरंभ में फाउंडेशन में सिर्फ 5 से 6 सदस्य थे जो अब बढ़कर 50 हो चुके हैं इवेंट के लिए वे गायक कलाकारों को आमंत्रित करती हैं और जमा हुए धन से बच्चों के लिए स्टेशनरी सहित सारे क्राफ्ट के सामान खरीद कर उन्हें दिए जाते हैं अंध मूक बधिर शाला में भी फाउंडेशन सक्रिय रहती है और समय-समय पर उनकी मदद करती है।
शहर के विभिन्न काले कॉलेजों के छात्र इस फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं वह पूरे जोश के साथ इस सामाजिक कार्य में हिस्सा लेते हैं उन्होंने बताया शहर के प्रमुख लोग भी इवेंट में आते हैं और यथशक्ति सहयोग भी देते हैं।
उन्होंने बताया यह नॉनप्रॉफिट फाउंडेशन है इसलिए आस-पास के गांव में जाते हुए छात्र स्वयं के खर्च से बीड़ा उठाते हैं ।कभी कभार फाउंडेशन उन्हें टीए देती है बाकी सब स्वेच्छा से इसमें पूरा मन लगाकर काम करते हैं। अब तक 3000 बच्चों की सहायता यह फाउंडेशन कर चुकी है इस वर्ष 2023 में 5000 तक पहुंचाने का लक्ष्य इस फाउंडेशन ने रखा है।
इवेंट में डांस और सिंगिंग
पब्लिक इवेंट में फाउंडेशन द्वारा स्थानीय कलाकारों को बुलाया जाता है और नया व सुगम संगीत तथा फाउंडेशन के सदस्यों द्वारा नृत्य भी प्रस्तुत किया जाता है। नृत्य के माध्यम से लोगों को दान के लिए प्रेरित किया जाता है और गरीब और बेसहारा बच्चों की स्थिति बताई जाती है।