नई दिल्ली । घरेलू हिंसा के शिकार शादीशुदा पुरुषों द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देशों और ‘राष्ट्रीय पुरुष आयोग’ बनाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता महेश कुमार तिवारी द्वारा दायर याचिका में देश में आकस्मिक मौतों के संबंध में 2021 में प्रकाशित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला दिया गया, जिसमें दावा किया गया कि उस वर्ष देशभर में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की।

इस याचिका में दावा किया गया है कि वर्ष 2021 में देशभर में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें से 81,063 शादीशुदा पुरुष थे, जिन्होंने आत्महत्या की, जबकि 28,689 विवाहित महिलाओं ने भी आत्महत्या कीं।


इसके अलावा एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया कि साल 2021 में करीब 33.2 फीसदी पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं के कारण और 4.8 फीसदी पुरुषों ने विवाद संबंधी दिक्कतों की वजह से अपना जीवन समाप्त कर लिया। इस वर्ष कुल 1,18,979 पुरुषों और 45,026 महिलाओं ने आत्महत्याएं की हैं।

इस याचिका में शादीशुदा पुरुषों द्वारा आत्महत्या के मामलों से निपटने और घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों की शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि पारिवारिक समस्या, घरेलू हिंसा और विवाह संबंधी समस्याओं से पीड़ित पुरुषों की आत्महत्या के मुद्दे पर अनुसंधान करने के लिए भारत के विधि आयोग को एक निर्देश जारी किया जाएं। साथ ही पुरुषों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग जैसे मंच का गठन करने के लिए आवश्यक रिपोर्ट तैयार करें।

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