• अतुल कांत खरे
बिलासपुर। (fourthline ) Desire to donate body: बिलासपुर में देहदान के प्रति लोगों की रुचि बहुत तेजी से बढी है। वर्तमान में सिम्स में 700 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। कुछ लोगों ने अपने नाम गुप्त रखें हैं तो कुछ लोगों ने अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए अपना नाम आगे किया है ।
बिलासपुर के पर्यावरण कार्यकर्ता रविंद्र पाल सिंह ने हाल ही में देह्दान के लिए फॉर्म भरा है। उन्होंने सपरिवार देह्दान की घोषणा की है। साथ ही वे निरंतर इसके लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं ।
Desire to donate body: श्री सिंह ने अपनी पत्नी जतिंदर कौर से भी आवेदन भरवाया है । मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग में जाकर वे सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुके हैं । श्री सिंह का मानना है की यह नश्वर देह, चिता में भस्म होने की बजाय चिकित्सा के छात्रों के काम आए तो बहुत अच्छा है ।श्री सिंह सप्ताह में दो दिन अलग-अलग लोगों से मिलकर देहदान के लिए प्रेरित करते रहते हैं । छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक डॉ रमेश चंद्र मेहरोत्रा ने भी देह्दान किया था, जिनका शरीर आज चिकित्सा छात्रों के काम आ रहा है। बिलासपुर के प्रसिद्ध शिक्षक अरुण कुमार सिन्हा ने भी देह्दान किया था, जिनकी देह चिकित्सा छात्रों के काम आ रही है।

Desire to donate body: जाना तो सबको है पर जाते-जाते किसी के काम आ जाना ही असली मानवता है। यह कहने वाले तोरवा निवासी घनश्याम प्रसाद गुप्ता ने भी देह्दान कर प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके परिजन सुधीर गुप्ता शिशिर गुप्ता एवं हेमंत गुप्ता ने अपने पिता की इच्छा अनुसार सिम्स में देहदान किया, जिसकी सारी औपचारिकताएं प्रभारी चिकित्सक डा. अमित श्रीवास्तव ने पूर्ण की। उल्लेखनीय है कि चिकित्सा के छात्र प्रारंभिक चरण में कैडावेरिक् शपथ लेते हैं, जिसमें वह मृत शरीर को अपना प्रथम गुरु मानते हुए पूर्ण श्रद्धा और मर्यादा के साथ अध्ययन करने का संकल्प लेते हैं।
Desire to donate body: डॉ. माया ने बताया – मृत देह चिकित्सा जगत के लिए अमूल्य होती है। जटिल ऑपरेशन के लिए यह देह रोशनी का काम कर कई जिंदगियां बचाती है। उन्होंने बताया बिलासपुर में अब तक 700 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं, जिसमें आसपास के गांव के भी कुछ लोग शामिल हैं। कुछ लोगों ने अपने नाम गुप्त रखें हैं तो कुछ ने अपने उजागर करने कह दिया है। एक शरीर 10 से 20 छात्रों के काम आता है। मेडिकल कॉलेज में प्रतिवर्ष 70 से ज्यादा देह की आवश्यकता होती है। देह ना मिलने पर पहले मृत जानवरों के शरीर पर प्रयोग कर सिखाया जाता था । देहदानियों के आगे आने से चिकित्सा छात्रों की राह बेहद आसान हुई है ।
Desire to donate body: देह्दान के इच्छुक लोगों ,को रचना विभाग में जाकर एक आवेदन देना होता है, जिसके आधार पर पंजीयन होता है। देह्के अलावा किडनी, हार्ट, लीवर लंग्स, पेनक्रियाज, कॉर्निया और स्मॉल बॉल का प्रत्यारोपण किया जा सकता है। अंगदान कानूनन होता है। इसके लिए देश में होटा एक्ट 1994 लागू है, जिसके तहत पंजीयन करना पड़ता है क्योंकि मृत्यु के बाद सभी धर्म में रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करने की परंपरा है। इसका ध्यान रखते हुए सिम्स के प्रभारी सॉरी औपचारिकता पूरी करते हैं ।परिजनों की सारी इच्छाएं पूरी की जाती हैं। इसके उपरांत ही देह मेडिकल छात्रों को सौंपी जाती है। मृत देह रसायनों के जरिए कई वर्षों तक सुरक्षित रखी जा सकती है।
Desire to donate body: इस संदर्भ में श्री रविंद्र पाल सिंह का मानना है कि देहदान कर बहुत सी जिंदगियों को बचाया जा सकता है। अतः लोगों को इस दिशा में आगे आना चाहिए। बिलासपुर में लगातार देहदान होने से सिम्स के छात्रों को बहुत अच्छी मदद मिल रही है और उनका ध्यान चिकित्सा जगत में आने वाली नई तकनीक के प्रयोग पर है। इन देहों पर प्रयोग करने के बाद सिम्स के चिकित्सकों ने बहुत से जटिल ऑपरेशन कर लोगों की जान बचाई है ।

