• महाधिवक्ता ने स्थिति स्पष्ट करने जुलाई  तक का समय मांगा

बिलासपुर । Bilasapur airport:   बिलासपुर एयरपोर्ट को 4-सी श्रेणी में  अपग्रेड करने  की मांग वाली जनहित याचिकाओं पर हुई सुनवाई करते  हुए आज हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के अत्यंत कड़ा रूख अपनाया। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर 4-सी एयरपोर्ट नहीं बनाना है तो साफ-साफ कह दीजिए यह राज्य सरकार के अधिकार में है नीतिगत निर्णय है लेकिन याद रखिए की जनता यह सब देख रही है।

Bilasapur airport: हाई कोर्ट ने यह अत्यंत कड़ी टिप्पणी राज्य के मुख्य सचिव और विमानन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के शपथ पत्र में वर्णित तथ्यों और अंशों को पढ़ने के बाद की, जिसमें सेना से जमीन की वापसी और 4c एयरपोर्ट की डी पी आर बनने पर कोई भी समयबद्ध कार्यक्रम नहीं दिया गया।

Bilasapur airport: याचिका कर्ताओं के अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव और सुदीप श्रीवास्तव ने खंडपीठ को बताया कि 4सी एयरपोर्ट की डीपीआर बनाने का निर्णय पहले ही हो चुका है और जिस प्रीफैिजिबिलिटी स्टडी की बात की जा रही है वह भी 2 वर्ष पूर्व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा की जा चुकी है। जहां तक जमीन की वापसी का सवाल है 93 करोड रुपए का बजट आवंटन 2023 में किया गया था और राशि दे दी गई थी परंतु प्रति एकड़ दर में वृद्धि की मांग के कारण रक्षा मंत्रालय ने उस समय चेक का भुगतान नहीं कराया और फिर बाद में 287 एकड़ की जमीन के लिए 70 करोड रुपए की मांग की। यह मसला 2 साल से लंबित है और अब मुख्य सचिव ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि वह रक्षा मंत्रालय द्वारा की गई मांग की वैधानिक जांच कराएंगे।

Bilasapur airport:  याचिका कर्ताओं ने कहा कि यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार की मंशा इस मामले को हल करने की नहीं है। गौरतलब है कि जब तक जमीन नहीं मिलेगी तब तक रनवे विस्तार और बिलासपुर एयरपोर्ट के 4-सी एयरपोर्ट बनने की कोई संभावना नहीं है। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इस बात पर गहरी आपत्ति की कि बिलासपुर एयरपोर्ट को 4-सी बनाने की मांग कोई एडवर्सरियल लिटिगेशन नहीं है और स्वयं राज्य सरकार 2021 से लगातार विभिन्न अवसरों पर इसे अपग्रेड करने के बारे में अपना कमिटमेंट देती रही है। इस सब के बावजूद जो काम की गति है वह संतोष प्रद नहीं है। जिससे यह संदेश जाता है कि राज्य सरकार की मंशा बिलासपुर एयरपोर्ट को 4-सी में अपग्रेड करने की नहीं है और वह केवल लोगों को भ्रम में रखकर समय काट रही है।

Bilasapur airport:  राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक ठाकुर और यशवंत सिंह ठाकुर ने खंडपीठ को संतुष्ट करने का प्रयास किया कि सरकार बिलासपुर एयरपोर्ट को 4-सी एयरपोर्ट में बदलने के अपने फैसले पर कायम है परंतु इसकी समय सीमा तय नहीं की जा सकती। इस पर भी नाराजगी जताते हुए खंडपीठ ने कहा कि क्या यह समय सीमा 10 साल या 20 साल होने वाली है। हर काम को करने के लिए एक रीजनेबल समय होता है। वह समय सीमा देने के बजाय जिस तरह की बात राज्य सरकार कर रही है वह कहीं से भी संतुष्ट नहीं करती।  हाई कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार चाहती है कि बिलासपुर का एयरपोर्ट बंद हो जाए तो उसे बंद कर दिया जाए और लोगों को कह दिया जाए कि आप रायपुर जाइए और वहां से हवाई यात्रा करिए, इस तरह से सभी को भ्रम में रखना उचित नहीं लगता।

Bilasapur airport: राज्य सरकार की ओर से दो-दो अतिरिक्त महाधिवक्ताओं द्वारा पैरवी करने पर जब स्थिति नहीं संभाली तब महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने कहा कि या फिर प्रिफरेबेसिबिलिटी स्टडी की रिपोर्ट दो माह में हमें मिल जाएगी और हम जुलाई के महीने में बेहतर तरीके से इस मसले पर सभी प्रश्नों का उत्तर दे सकेंगे इसके लिए कम से कम हमें जुलाई तक का समय दिया जाए।

Bilasapur airport: केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कहा कि हमारी मांग के अनुरूप 80 करोड रुपए राज्य सरकार जमा कर दे तो हम 287 एकड़ जमीन विधिवत हैंडोवर कर देंगे। इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि इस जमीन पर काम करने की वर्किंग परमिशन पहले ही दी जा चुकी है परंतु राज्य सरकार के पैसा जमा न करने के कारण हैंडओवर रुका हुआ है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई के माह में करने का आदेश जारी किया।

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