गली-मुहल्लों में जुट रही भीड़, फूल मालाओं से स्वागत

अजय गुप्ता,सूरजपुर। विधानसभा चुनावों में इस बार भाजपा ने जिले की तीनों ही सीटों पर नए चेहरों को उतार कर संभावनाओं का आकाश खुला छोड़ दिया है। अपने सहज और ठेठ सरगुजिहा अंदाज के लिए जाना जाने वाले भूलन सिंह मरावी को भाजपा ने प्रेमनगर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। विधानसभा चुनाव के नजरिए से वे नए जरूर हैं लेकिन क्षेत्र में उनका चेहरा अनजाना नहीं है।वे 25 वर्षों से पंचायत संस्थाओं की राजनीति करते आ रहे हैं।

श्री मरावी पंचायती राज की तीनों ही संस्थाओं में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं । अपनी पंचायत पटना से तीन बार सरपंच, एक बार जनपद सदस्य और एक बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। पंचायतों को राजनीति की असली पाठशाला कहा जाता है और भूलन सिंह इस पाठशाला से निकलकर विधानसभा पहुंचने की तैयारी में जुट गए हैं। पार्टी ने प्रेमनगर में उनकी इसी लोकप्रियता पर भरोसा जताया है। वे अपने सहज व ठेठ सरगुजिया अंदाज से लोगों में अपना होने का भाव जगा रहे हैं। वे घर-घर जाकर बुजुर्गों से आशीर्वाद ले रहे हैं तो युवाओं के साथ युवा वाला उनका अंदाज अभी से पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। जशपुर से निकली परिवर्तन यात्रा का रथ 19 सितम्बर को प्रेमनगर पहुंच रहा है। भूलन सिंह जब इस रथ पर सवार होंगे तब बारिश का यह मौसम चुनावी मौसम में कैसे बदलता है, देखने लायक़ होगा।

इधर कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा, इसके कयास ही लगाए जा रहे हैं। मौजूदा विधायक खेलसाय सिंह को कांग्रेस एक बार फिर प्रत्याशी बना सकती है। पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी जिला पंचायत सदस्य शशि सिंह का नाम भी संभावित कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लिया जा रहा है। शशि सिंह की उम्मीदवारी की चर्चा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समय से हो रही है। इस यात्रा में शशि ने सक्रिय भागीदारी निभाई थी। प्रेमनगर सीट का चुनाव दिलचस्प होने वाला है। बस इंतजार यह है कि कांग्रेस अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दे। दोनों प्रमुख पार्टियां के प्रत्याशी के चेहरे सामने आने के बाद अनुमान लगाया जा सकेगा कि इस सीट पर मुकाबले की कैसी स्थिति बनने वाली हैं। अभी जिले की तीनों ही सीटें कांग्रेस के पास हैं*और माना जा रहा है कि भाजपा को पिछले चुनाव में जिले में करारी हार मिली थी इसलिए इन सीटों पर नए चेहरे उतारने में उसे अधिक सोच-विचार नहीं करना पड़ा। टिकट के लिए बड़ी रस्साकसी की भी कोई स्थिति नहीं थी। चूंकि भाजपा का लक्ष्य सत्ता में वापसी है इसलिए पार्टी के लोग इसे हासिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।


पहले आरक्षित सीट थी

प्रेमनगर विधानसभा सीट 2013 के चुनावों से पहले अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थी। 2011 के जनगणना के बाद जातीय समूहों के जो आंकड़े आए उसके अनुसार इसे अनारक्षित सीट घोषित कर दिया गया। वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने सामान्य वर्ग से नरेश राजवाड़े को प्रत्याशी बनाया। कांग्रेस का सामान्य वर्ग का यह कार्ड नहीं चला और जनजाति वर्ग की भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने गलती सुधारते हुए जनजाति वर्ग पर ही भरोसा जताया और खेलसाय सिंह जीत गए। इन नतीजों का असर इस बार के चुनाव में भी देखा जा रहा है।

वोटरों में सर्वाधिक संख्या
गोंड जनजाति की
प्रेमनगर में 2.36 लाख वोटर हैं। इनमें करीब 47 प्रतिशत वोटर अनुसूचित जाति – जनजाति वर्ग के हैं। जनजाति वर्ग में गोंड जनजाति के वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इसीलिए इस बार भी प्रत्याशियों के चयन में कांग्रेस -भाजपा दोनों का जोर इसी गोंड जनजाति से प्रत्याशी उतारने का है। हालांकि अनारक्षित सीट होने से सामान्य वर्ग के लोगों में भी चुनाव लड़ने की इच्छा हिलोरें लेती रही हैं, लेकिन वोटरों का जातीय समीकरण उनके अनुकूल नहीं बैठता।

भटगांव सीट से भाजपा ने श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े को अपना प्रत्याशी बनाया है। वह जिला पंचायत की सदस्य रही हैं। विधानसभा चुनाव लड़ने की उनकी तैयारी और लगातारा सक्रियता का इनाम पार्टी ने पहली ही सूची में प्रत्याशी बनाकर दिया है। इस सीट से कांग्रेस से टिकट के दावेदारों की लंबी सूची है। वर्तमान विधायक पारसनाथ राजवाड़े प्रमुख दावेदार हैं तो वही श्रम कल्याण मंडल के अध्यक्ष शफी अहमद भी दिवेदारों में शामिल हैं। वह उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव के करीबियों में हैं। यहां से चुनाव लड़ने की तैयारियों में वह लगातार सक्रिय हैं। देखना होगा कि कांग्रेस उन्हें प्रत्याशी बनाती है या नहीं। इसी तरह प्रतापपुर सीट से भी कांग्रेस में टिकट के सवाल पर मंथन चल रहा है। यहां से डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम विधायक हैं। सरकार में शिक्षा मंत्री थे। बाद में मंत्री पद से हटाकर उन्हें राज्य योजना आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया। मंत्री पद से उनके हटने के बाद उनकी उम्मीदवारी पर सवाल उठने लगे थे। भाजपा ने वकालत के पेशे से जुड़ीं श्रीमती शकुंतला पोर्ते को अपना प्रत्याशी बनाया है।

हम तीनों सीटें जीतेंगे
बाबूलाल गोयल राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं । उनके संचालन में भाजपा प्रेमनगर विधानसभा सीट से पहले भी चुनाव जीतती आई है। वे पार्टी के जिला अध्यक्ष हैं जिससे उनकी जिम्मेदारियां और बढ़ गई है।
जिले में पार्टी की चुनावी तैयारियों से वे बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्याशियों की पहले घोषणा का लाभ पार्टी को मिलेगा। पुरी पार्टी प्रत्याशियों के साथ चुनाव अभियान में जुटी हुई है। इस चुनाव में हम तीनों सीटें जीतेंगे। जनता झूठे वादे और झूठी वाहवाही बटोरने की कोशिश करने वाली कांग्रेस सरकार के झांसे में इस बार आने वाली नहीं है।

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