बिलासपुर। CG Highcourt: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि धवा विधवा बहू पुनर्विवाह करने तक अपने ससुर से भरण-पोषण पाने की हकदार है। भरण-पोषण देने से इनकार करने वाले ससुर की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बहाल रखा।
CG Highcourt: जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19 के तहत विधवा बहू पुनर्विवाह करने तक अपने ससुर से भरण-पोषण पाने की हकदार है। बेंच ने कहा- हिंदू दायित्व और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19 में प्रावधान है कि पति की मृत्यु के बाद पत्नी अपनी आय या संपत्ति से खुद और बच्चों का भरण-पोषण करने में असमर्थ तब वह अपने ससुर से भरण पोषण का अधिकार है। पति की संपत्ति नहीं है या फिर अपर्याप्त है तब उसी स्थिति में अपने बच्चों या अपने माता-पिता की संंपत्ति पर दावा कर सकती है। ससुर पर विधवा बहू के भरण पोषण का दायित्व तभी होगा जब उसके पास संपत्ति हो और बहू को उस संपत्ति से कोई हिस्सा ना मिला हो।
CG Highcourt: कोरबा निवासी चंदा यादव का विवाह वर्ष 2006 में गोविंद प्रसाद यादव से हुआ था। विवाह के सात साल बाद वर्ष 2014 में सड़क हादसे में गोविंद की मौत हो गई। ससुराल पक्ष से विवाद होने पर बच्चों को लेकर अलग रहने लगी। चंदा ने भरण-पोषण की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट ने हर महीने बतौर जीवन यापन 2500 रुपये देने का आदेश ससुर को दिया। कोर्ट ने यह भी शर्त रख दी कि जब तक बहू पुनर्विवाह नहीं करती है तब तक भरण-पोषण की हकदार रहेगी। परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए ससुर तुलाराम यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और कहा था कि वह खुद पेंशनभोगी है और उसकी आय सीमित है इसलिए वह भरण- पोषण नहीं कर सकता।

