बिलासपुर। Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर विभागीय त्रुटि के चलते कर्मचारियों को अधिक वेतन का भुगतान हो गया हो तो उन कर्मचारियों से अधिक वेतन की वसूली नहीं की जा सकती। डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि विभागीय गलती के कारण किसी कर्मचारी को अधिक वेतन प्राप्त हुआ है, तो उससे वह राशि वापस नहीं ली जा सकती। बेंच ने दुर्ग जिले के बघेरा एसटीएफ में पदस्थ आरक्षक दिव्य कुमार साहू एवं अन्य कर्मियों से वसूली के आदेश को निरस्त कर दिया।

Chhattisgarh High Court: आरक्षक दिव्य कुमार साहू सहित अन्य कर्मचारियों को वेतन निर्धारण में विभागीय स्तर पर त्रुटि के कारण उन्हें तय वेतन से अधिक भुगतान कर दिया गया था। इस गलती के संज्ञान में आने के बाद पुलिस अधीक्षक, बघेरा ने आदेश जारी कर उक्त राशि की वसूली उनके वेतन से शुरू कर दी। इस पर आपत्ति जताते हुए कर्मचारियों ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय एवं स्वाति कुमारी के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय देते हुए वसूली आदेश को निरस्त कर दिया।

राज्य सरकार ने डिवीजन बेंच में की थी अपील

Chhattisgarh High Court: राज्य सरकार ने इस निर्णय के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील की थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी. गुरु की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया। बेंच ने स्पष्ट किया कि किसी कर्मचारी से वह राशि वापस नहीं ली जा सकती जो विभागीय चूक के कारण अधिक मिली हो। आरक्षक की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट के State of Punjab vs. Rafiq Masih (2015) के ऐतिहासिक निर्णय का हवाला दिया, जिसमें साफ कहा गया है कि यदि तृतीय या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को अधिक वेतन विभागीय गलती के कारण मिला हो, तो उस वेतन की वसूली नहीं की जा सकती। डिवीजन बेंच ने इस तर्क को स्वीकारते हुए राज्य शासन की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि कर्मचारियों से इस प्रकार की वसूली न केवल अनुचित है, बल्कि यह संविधान प्रदत्त आर्थिक न्याय के सिद्धांतों के भी विपरीत है।

वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटाने के निर्देश

Chhattisgarh High Court: डिवीजन बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि यदि कर्मचारियों से पहले ही कोई राशि वसूली गई है, तो उसे 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापस किया जाए। कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि किसी भी कर्मचारी को विभागीय गलती की सजा नहीं दी जा सकती। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वेतन निर्धारण में गलती न हो, और यदि हो भी, तो उसकी भरपाई कर्मचारी से नहीं की जा सकती।

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