रायपुर। Dr. Ram kumar Behar: छत्तीसगढ़ प्रदेश ने आज अपने एक वरिष्ठ साहित्यकार ,इतिहासकार और शिक्षाविद् को हमेशा के लिए खो दिया। सवेरे फेसबुक के माध्यम से यह दुःखद समाचार मिला कि डॉ. राम कुमार बेहार का रायपुर में निधन हो ग या है  । आज 22अक्टूबर को सुबह चार बजे उनका देहावसान हुआ । मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने राजधानी के सुन्दर नगर स्थित अपने घर में अंतिम साँस ली। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि । उनके निधन से साहित्यिक बिरादरी और प्रबुद्ध वर्ग शोक संतप्त है ।

Dr. Ram kumar Behar: डॉ. बेहार छत्तीसगढ़ शोध संस्थान के अध्यक्ष थे। विभिन्न विषयों पर उनकी 35 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें से ज्यादातर किताबें छत्तीसगढ़ और बस्तर की पृष्ठभूमि पर हैं ।  उनका जन्म 15 नवम्बर 1946 को  छत्तीसगढ़  के  तहसील मुख्यालय सारंगढ़ में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1969 में इतिहास में एम.ए. किया ।  कॉलेज शिक्षक के रूप में रूप में उन्होंने जगदलपुर (बस्तर ) में वर्ष 1970 से 1992 तक अपनी सेवाएं दी ।  उन्हें बस्तर के आदिवासी विद्रोह विषय पर शोध कार्य के लिए पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा वर्ष 1987 में पीएच-डी. की उपाधि प्रदान की गयी।

Dr. Ram kumar Behar:  डॉ. बेहार शासकीय महाविद्यालय शंकर नगर रायपुर के प्राचार्य के पद से वर्ष 2008 में सेवानिवृत्त हुए और स्वतंत्र लेखन  में लगे हुए थे । घर पर ही उनका निधन हुआ ।उनकी प्रकाशित प्रमुख पुस्तकों में (1) बस्तर के इतिहास और जन -जीवन पर  वर्ष 1985 में प्रकाशित ‘बस्तर -आरण्यक ‘ (2)  वर्ष 1995 में प्रकाशित ‘ बस्तर एक अध्ययन ‘ (3)  वर्ष 2002 में प्रकाशित ‘ गुंडाधुर बस्तर का जननायक  ‘ (4) वर्ष 2005 में प्रकाशित ‘कांकेर का इतिहास ‘ (5) वर्ष 2010 में प्रकाशित ‘आदिवासी आंदोलन और प्रवीरचंद भंजदेव ‘ और (6)  छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा वर्ष 2009 में प्रकाशित ‘छत्तीसगढ़ का इतिहास ‘भी शामिल है। उनकी  एक अन्य पुस्तक  ‘आदिवासी बस्तर : इतिहास एवं परम्पराएं ‘ वर्ष 1992 में प्रकाशित हुई। नर्मदा प्रसाद श्रीवास्तव इस पुस्तक के सह -लेखक हैं। हाल ही में डॉ . रामकुमार बेहार की पुस्तक ‘बस्तर का इतिहास’ का दूसरा संस्करण भी  प्रकाशित हुआ था। डॉ . बेहार कवि ,कहानीकार और  उपन्यासकार भी थे।

Dr. Ram kumar Behar: बस्तर से संबंधित डॉ. राम कुमार बेहार की पुस्तक ‘बस्तर : प्रकृति और  संस्कृति ‘ में 15 आलेख और 6 कविताएं शामिल हैं। यह पुस्तक वर्ष 2017 में छपी।  उनके सम्पादन में बस्तर पर केन्द्रित विभिन्न लेखकों के शोध पत्रों का संग्रह ‘बस्तर एक अध्ययन ‘ वर्ष1992 में मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित किया गया था।बस्तर में अंग्रेजी हुकूमत के ख़िलाफ़ वर्ष 1910 के आदिवासी  विद्रोह ‘भूमकाल’  के नायक गुंडाधुर पर उनका खंड -काव्य ‘किस्सा गुंडाधुर का ‘  वर्ष 2009 में प्रकाशित हुआ। उनके दो कहानी संग्रह भी हैं । इनमें से  ‘तेरी मेरी उसकी कहानी’ का प्रकाशन वर्ष 2001 में   और ‘फिर उसी राह पर ‘ का प्रकाशन वर्ष 2009 में हुआ ।

Dr. Ram kumar Behar:  डा. राम कुमार बेहार को विभिन्न अवसरों पर कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया । नारद जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा 14 मई 2025 को प्रेस क्लब रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. बेहार को आद्य पत्रकार देवर्षि नारद पत्रकारिता सम्मान से नवाजा गया था । स्वर्गीय डॉ. बेहार को समय -समय पर प्राप्त अन्य सम्मानों में  बिलासा साहित्य सम्मान ,बिलासपुर (2002), पंडित बलदेव प्रसाद मिश्र राज्य स्तरीय शिक्षा सम्मान (2007),छत्तीसगढ़ अस्मिता पुरस्कार (2011), छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग साहित्यकार सम्मान (2012), छत्तीसगढ़ इतिहास परिषद द्वारा  इतिहास लेखन सम्मान (2016) भी उल्लेखनीय हैं।
— स्वराज्य करुण
                       

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