• जनसहयोग बना स्थायी जल सुरक्षा की आधारशिला
सूरजपुर। Mor gaanv mor pani: जिले में “मोर गांव, मोर पानी” महाभियान केवल जल संरचनाओं का निर्माण नहीं, बल्कि एक सोच का विस्तार है एक ऐसी सोच, जिसने हर गांव को अपनी पानी की ज़िम्मेदारी खुद लेने की प्रेरणा दी है। यह अभियान प्रशासनिक दृढ़ता और सामाजिक सहभागिता का वह संगम है, जिसने जल संकट से जूझते अंचल को आत्मनिर्भर जल सुरक्षा की दिशा दी है।
Mor gaanv mor pani: कलेक्टर एस. जयवर्धन के मार्गदर्शन एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती कमलेश नंदिनी साहू के नेतृत्व में प्रारंभ किए गए इस महाभियान के अंतर्गत जिलेभर में जल संरक्षण को लेकर योजनाबद्ध और तकनीकी रूप से समन्वित प्रयास किए गए। जिला और जनपद स्तर पर नियुक्त नोडल अधिकारियों व प्रशिक्षित ब्लॉक रिसोर्स पर्सनों के साथ, मैदानी अमले को गहन प्रशिक्षण देकर गांव-गांव तक जल चेतना का प्रसार किया गया।64 नालों का सर्वेक्षण कर 18 मॉडल नालों का चयन किया गया, जिनके लिए क्षेत्रवार कार्य योजना बनाई गई। PRA पद्धति से ग्रामों में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन योजना तैयार कर उसे ग्राम पंचायत विकास योजना में जोड़ा गया, तथा मनरेगा के श्रम बजट से “सिक्योर” पोर्टल के माध्यम से रोजगारमूलक जल संरक्षण कार्य स्वीकृत किए गए।
Mor gaanv mor pani: महाभियान के तहत अब तक कुल 4932 संरचनाएं विकसित की जा रही हैं जिनमें कंटूर ट्रेंच, गली प्लग, फार्म पोंड, गैबियन स्ट्रक्चर, अंडरग्राउंड डाइक, अमृत सरोवर सहित वृक्षारोपण और मिट्टी बांध जैसी संरचनाएं शामिल हैं। इन सभी का उद्देश्य वर्षा जल को सहेजना, भू जल स्तर को पुनर्जीवित करना और भविष्य की जल आपूर्ति को सुरक्षित करना है।
Mor gaanv mor pani: GIS तकनीक और रिज टू वैली सिद्धांत पर आधारित संरचनाओं के माध्यम से जल संचयन की क्षमता को और भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मजबूत किया गया है। साथ ही नालों की सफाई, सोख्ता गड्ढों का निर्माण, पर्यावरणीय वृक्षारोपण और जलजनित बीमारियों पर नियंत्रण जैसे कदम भी इस अभियान में समाहित हैं।
Mor gaanv mor pani: इस महाभियान में जनप्रतिनिधियों, स्थानीय ग्रामीणों, शासकीय अमले और स्वयंसेवी संगठनों की उल्लेखनीय सहभागिता रही, जिससे यह प्रयास केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि “जन भागीदारी से जन कल्याण” का प्रतीक बन गया है। जल संरक्षण के साथ-साथ रोजगार सृजन, भू-जल स्तर में वृद्धि, मिट्टी कटाव पर नियंत्रण और पर्यावरणीय सुधार जैसे परिणाम सामने आने लगे हैं।

