बिलासपुर। Patwari committed suicide: भारतमाला प्रोजेक्ट के मुआवजा फर्निजीवाड़े में निलंबित पटवारी सुरेश मिश्रा ने आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि इस मामले में उनका कोई दोष नहीं है। बड़े अधिकारियों ने उन्हें फंसा दिया। वह तीन दिन बाद पद से सेवानिवृत्त होने वाले थे।
Patwari committed suicide: पटवारी सुरेश मिश्रा तखतपुर तहसील के भाड़म में पदस्थ थे। 29 जून को सेवानिवृत्त होने वाले थे। उससे पहले ही उसने आत्मघाती कदम उठाकर राजस्व महकमे को सकते में डाल दिया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पंचनामा कार्रवाई पूरी की। इसके बाद सुरेश मिश्रा का शव पोस्टमार्टम के लिए मर्चुरी भेजा गया है। पटवारी ने आत्महत्या करके और सुसाइड नोट लिखकर भारतमाला प्रोजेक्ट के घोटाले को और गंभीर बना दिया है।
Patwari committed suicide: भारतमाला परियोजना में बिलासपुर-उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया था। आरोप है कि करोड़ो रुपए का फर्जी तरीके से मुआवजा बांटा गया है। इस घोटाले में पटवारी, आरआई, नायब तहसीलदार, तहसीलदार और SDM स्इतर के कई अधिकारी शामिल है। इसकी जांच में मृतक पटवारी सुरेश मिश्रा को भी दोषी पाया गया था। इसके बाद 25 जून को भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी मामले में पूर्व तहसीलदार DK उइके और सुरेश मिश्रा के खिलाफ तोरवा थाने में नामजद FIR दर्ज की गई थी। FIR दर्ज होने के बाद से वे तनाव में थे। तनाव में आकर ही उसने यह कदम उठाया है।
Patwari committed suicide: बताया जा रहा है कि जोकी गांव में अपनी बहन की फार्महाउस है वहीं उसने में फांसी लगाई है। लोगों का कहना है कि वह अक्सर जाया करते थे। परिजनों ने फंदे पर लाश देखकर पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही सकरी पुलिस जोकी गांव पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर मॉर्च्युरी में रखवा दिया है। शनिवार को पोस्टमॉर्टम के बाद लाश परिजनों को सौंपी जाएगी। पुलिस के अनुसार दोपहर 1 बजे के करीब उसने फांसी लगाई है। पुलिस को कमरा भीतर से बंद मिला। लाश कमरे के पंखे पर रस्सी के सहारे लटकी हुई थी। मौके में सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। पटवारी सुरेश मिश्रा को कुछ दिन पहले ही कलेक्टर ने निलंबित किया था। फिलहाल उनकी पोस्टिंग तखतपुर क्षेत्र में थी।
Patwari committed suicide: भारतमाला परियोजना के तहत बिलासपुर-उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण में भारी गड़बड़ी उजागर हुई थी। ढेका गांव में अधिग्रहित जमीन के मुआवजा प्रकरण में फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकार को नुकसान पहुंचाया गया है। सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाने के आरोप में तत्कालीन तहसीलदार डीएस उइके और तत्कालीन पटवारी सुरेश कुमार मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की गई है। सरकार के निर्देश पर एसडीएम और जिला स्तरीय समिति ने मामले की जांच की है। जिला स्तरीय जांच समिति के अनुसार तत्कालीन तहसीलदार डीएस उइके और तत्कालीन पटवारी सुरेश कुमार मिश्रा की भूमिका संदिग्ध पाई गई। जांच में सामने आया कि राजस्व अभिलेखों में कूटरचना कर कुछ व्यक्तियों के नाम अवैध रूप से दर्ज किए गए। इसके आधार पर नामांतरण और बंटवारे की प्रक्रिया पूरी की गई। इसके कारण भूमि अधिग्रहण में वास्तविक से कई गुना अधिक मुआवजा राशि बनाया गया।

