• आज श्रीराम के जीवन प्रसंगों की प्रस्तुति
सूरजपुर। Shriramkatha : श्रीरामकथा आयोजन समिति सूरजपुर द्वारा स्थानीय रंगमंच मैदान में आयोजित रामकथा में दूसरे दिन स्वामी परमात्मानंद जी ने कहा कि हमारे जीवन में गुरु का महत्व बहुत अधिक होता है। यदि गुरु सही मिले तो जीवन धन्य हो जाता है और गलत गुरु मिलने पर जीवन नर्क बन सकता है। रामायण में वंदना प्रकरण के माध्यम से सबसे पहले गुरु की महिमा बताई गई है वंदे गुरु पराकंज।
Shriramkatha : स्वामी जी ने कहा कि संत चलते-फिरते प्रयागराज होते हैं। संतों से ही ज्ञान, भक्ति और सही कर्म का मार्गदर्शन मिलता है। कलयुग में राम नाम की महिमा अपरंपार है –कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा।राम नाम के प्रताप का प्रमाण वाल्मिकी जैसे महर्षि हैं, जो “मरा मरा” जपते-जपते वाल्मिकी रामायण के रचयिता बन गए।

Shriramkatha : उन्होंने कहा कि राम और शिव एक-दूसरे को आराध्य मानते हैं। श्रद्धा और विश्वास का एक साथ होना आवश्यक है। यदि श्रद्धा महलों में हो और जनता में विश्वास का अभाव हो जाए, तो संतुलन बिगड़ जाता है। जब श्रद्धा रूपी पार्वती और विश्वास रूपी शिव एक होते हैं, तभी पुरुषार्थ रूपी कार्तिकेय का जन्म होता है, जो असुरी शक्तियों का नाश करता है। वर्तमान समय में भी श्रद्धा और विश्वास दोनों जरूरी हैं।
Shriramkatha : सती प्रसंग पर स्वामी परमात्मानंद जी ने कहा कि संत शंकर और विष्णु अर्थात धर्म के विरोध में बातें नहीं सुननी चाहिए। सती ने शंकर के विरोध में बात सुनने की बजाय मर जाना श्रेष्ठ समझा। आज भी हिन्दू समाज को अपने धर्म के प्रति कठोर रहना चाहिए। सती ने कहा है कि धर्म की बुराई करने वालों की जिव्हा काट देनी चाहिए।
कथा के दूसरे दिन प्रेमनगर विधायक भूलन सिंह मरावी, रेड क्रॉस सोसायटी के चेयरमेन बाबूलाल अग्रवाल, जिला पंचायत उपाध्यक्ष प्रतिनिधि राजलाल राजवाड़े, पूर्व मंडल अध्यक्ष अजय अग्रवाल, एवं वरिष्ठ नागरिक संघ के संरक्षक हरीदास अग्रवाल उपस्थित रहे।
Shriramkatha : यहां गायत्री परिवार द्वारा प्रतिदिन पांच कुंडीय गायत्री यज्ञ भी कराया जा रहा है। कथा सुनने के लिए दूर-दराज से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और नगर का वातावरण पूरी तरह राममय हो गया है। आज शाम राम जन्म उत्सव के अवसर पर आकर्षक झांकियां निकाली जाएंगी और मंचन के माध्यम से श्रीराम के जीवन प्रसंगों की प्रस्तुति होगी। राम कथा को सफल बनाने में मनोज जायसवाल शंकर अग्रवाल उमेश चौबे के.के. मिश्रा सी.बी.मिश्रा शिव शंकर कुशवाहा पवन अग्रवाल शशिकांत गर्ग हिमांशु जैन नीरज जिंदिया दिनेश साहू मनोज पांडे संत सिंह प्रदीप सोनी रामनारायण मोनिका सिंह मितेश राजेंद्र प्रदीप गुप्ता सहित अन्य लोगों का सक्रिय योगदान है

