रायपुर। Supreme court: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एक निर्वाचित महिला सरपंच सोनम लकड़ा को अनुचित कारणों से हटाने के मामले में सख्त नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह से सरपंच को बाबू (नौकरशाह) के सामने कटोरा लेकर जाने के लिए मजबूर कर रही है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सोमवार को दिए अपने फैसले में महिला सरपंच सोनम लकड़ा के साथ हुए मानसिक उत्पीड़न के लिए छत्तीसगढ़ सरकार पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जो चार सप्ताह के भीतर भुगतान किया जाना है।
Supreme court: जशपुर जिले के एक सुदूरवर्ती गांव की निर्वाचित सरपंच सोनम लकड़ा को सरकारी अधिकारियों की मनमानी का सामना करना पड़ा। राज्य के अधिकारियों ने निर्माण सामग्री की आपूर्ति और कार्य में हुई देरी का बहाना बनाते हुए उनके खिलाफ निष्कासन की कार्यवाही शुरू की थी। कोर्ट ने इस कार्यवाही को बेहद कमजोर और झूठा बहाना करार दिया। बेंच ने यह भी कहा कि सरपंच के खिलाफ कार्रवाई न केवल गैर-जरूरी थी, बल्कि अधिकारियों की ओर से निराधार थी। कोर्ट ने कहा कि एक युवा महिला जिसने अपने गांव के लिए समर्पित होकर कार्य करने का प्रयास किया, उसे सम्मान देने के बजाय सरकारी अधिकारियों ने उसे अनुचित तरीके से परेशान किया।
Supreme court: कोर्ट ने साफ किया कि निर्माण कार्यों में अक्सर मौसम, निर्माण सामग्री और अन्य तकनीकी कारणों से देरी होती है। ऐसे में, निर्माण कार्य में देरी के लिए सरपंच को सीधे जिम्मेदार ठहराना गलत है। कोर्ट ने कहा कि जब तक यह साबित नहीं हो कि किसी विशेष कार्य के आवंटन में सरपंच ने कोई लापरवाही की है, तब तक उसे दोषी नहीं माना जा सकता। यह स्पष्ट किया गया कि यहां देरी के लिए सरपंच को निशाना बनाना एक बेबुनियाद आरोप था।
Supreme court: जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुइयां की बेंच ने इस पूरे मामले को निर्वाचित सरपंच के अधिकारों का उल्लंघन बताया और सरकारी अधिकारियों द्वारा तानाशाही तरीके से महिला सरपंच को अपने पद से हटाने की निंदा की। कोर्ट ने कहा कि सरकार का यह रवैया लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान है। न्यायालय ने आदेश में कहा कि अधिकारियों का कर्तव्य था कि वे सरपंच के कार्यों में सहयोग करते, न कि उसे डराने और परेशान करने के लिए गलत कार्रवाई करते।
सरपंच पद पर बहाल
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए सोनम लकड़ा को उनके पद पर बहाल कर दिया है, जिससे वे अपना कार्यकाल पूरा कर सकें। साथ ही, महिला सरपंच को हुए मानसिक और कानूनी उत्पीड़न के लिए छत्तीसगढ़ सरकार को 1 लाख रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया है। इस राशि का भुगतान चार सप्ताह के भीतर करने का निर्देश दिया गया है।
Supreme court: बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार चाहे तो इस जुर्माने की राशि उन अधिकारियों से वसूल सकती है जो इस मामले में महिला सरपंच के उत्पीड़न के लिए सीधे जिम्मेदार थे। इस निर्णय के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने यह संकेत दिया है कि जनप्रतिनिधियों को अनुचित कारणों से परेशान करने की कोशिश करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान बना रहे।

