नई दिल्ली। US Tariff on India: भारत और अमेरिका के रिश्ते क्या बीते कुछ दशकों में सबसे निचले स्तर पर हैं। इस बीच जर्मन अखबार Frankfurter Allgemeine Zeitung ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को 4 बार कॉल किया, लेकिन उन्होंने रिसीव ही नहीं किया।
US Tariff on India: माना जा रहा है कि भारत सरकार अब इस मामले में अमेरिका के दबाव में आने की बजाय सख्ती से ही जवाब देने की नीति पर विचार कर रही है। इसी पॉलिसी के तहत भारत ने चीन, रूस और ब्राजील जैसे देशों के साथ मिलकर एक नया गठजोड़ खड़ा करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। शायद इसी नीति के तहत अब मोदी सरकार नहीं चाहती कि डोनाल्ड ट्रंप को ज्यादा महत्व दिया जाए। जर्मन अखबार Frankfurter Allgemeine Zeitung ने हेंड्रिक अंकेनब्रांड, विनांड वॉन पीटर्सडॉर्फ, गुस्ताव थाइले ने लिखे अपने आर्टिकल में कहा कि यह भारत सरकार की बदली हुई नीति का प्रतीक है कि उसने उस चीन के साथ भी रिश्ते बेहतर करने शुरू किए हैं, जिससे 2020 में लद्दाख में सैन्य झड़प हुई थी और 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
US Tariff on India: अखबार में लिखा गया है, ‘अब दोनों देशों के बीच संबंधों को परिभाषित करना मुश्किल है। फरवरी में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मोदी को वाइट हाउस बुलाया था और उन्हें ‘महान नेता’ कहकर उनकी सराहना की थी। लेकिन जब फोटो खिंचवाने का वक्त आया तो मोदी मुस्कुराए नहीं। ट्रंप ने इस दौरान पीएम मोदी के साथ अपने रिश्तों की भी बात की, लेकिन मोदी ने इसे सिर्फ रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण यात्रा करार दिया था। यह दर्शाता है कि भारतीय नेतृत्व अमेरिकी इरादों को लेकर सतर्क रहता है।’
US Tariff on India: अखबार ने लिखा- चीन के खिलाफ अमेरिका का भारत मोहरा नहीं बन सकता । यही नहीं अखबार का कहना है कि ट्रंप ने अमेरिका के लिए कृषि बाजारों को खोलने की मांग की, लेकिन मोदी ने इनकार कर दिया। इसके बजाय भारत ने रूस और ईरान से सस्ता तेल खरीदा। यहां तक कि भारत ने पश्चिमी प्रतिबंधों को भी नजरअंदाज कर दिया। अखबार लिखता है, ‘अमेरिका का मानना है कि चीन को अलग-थलग करने के लिए भारत को मजबूती से अपनी ओर खड़ा करना चाहिए। लेकिन भारत इससे सहमत नहीं है। भारत चाहता है कि अमेरिका के साथ दोस्ती पर बहुत भरोसा नहीं किया जा सकता। भारत का मानना है कि उसे चीन के साथ संबंध बिगाड़कर अमेरिका का मोहरा नहीं बनना चाहिए।’

