रायपुर । छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद निलंबित राज्य सेवा अधिकारी सौम्या चौरसिया की कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी है। ED ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि, वह प्रभावशील महिला हैं, उन्हें जमानत मिलने से जांच प्रभावित होगी।

इससे पहले बचाव पक्ष की ओर से गुरुवार को कहा गया था कि, जिन धाराओं में उनकी गिरफ्तारी हुई है, वह केस उन पर बनता ही नहीं है। ED की तलाशी में सौम्या चौरसिया के यहां से कोई आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद नहीं हुई है। कोल परिवहन मामले से उनका कोई लिंक भी नहीं है।

बचाव पक्ष की दलील में कहा गया था कि, मनी लांड्रिंग केस में एक महिला को इतने अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनकी देखभाल प्रभावित हो रही है। ऐसे में उनको जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने जमानत आवेदन के साथ पेश तर्कों का जवाब देने के लिए समय मांगा। विशेष अदालत के न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने ED को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक अपना पक्ष पेश करने का समय दिया है। उसके बाद अदालत ने सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है।

2 दिसम्बर को ईडी ने किया था गिरफ्तार

बता दें कि कोयला परिवहन घोटाला मामले में कई दिनों की पूछताछ के बाद ED ने 2 दिसम्बर को राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया। उनपर बेनामी संपत्ति की खरीदी-बिक्री से काला धन खपाने का आरोप लगाया गया। उनको पहले 6 दिसम्बर तक ED की हिरासत में भेजा गया। उसके बाद 10 दिसम्बर तक फिर 14 दिसम्बर तक के लिए ED को कस्टडी मिली।

14 दिसम्बर को न्यायिक रिमांड की अवधि पूरी हुई तो उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। तब से कई बार रिमांड अवधि बढ़ाई जा चुकी है। अदालत में ED की ओर से कहा जाता रहा है, सौम्या चौरसिया के बाहर रहने से सबूतों और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बढ़ जाएगी।

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