बिलासपुर। चाय और कॉफी का सेवन सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। लोग इसके एडिक्ट हो चुके हैं । वे नहीं जानते यह दोनों चीजें धीरे-धीरे शरीर की नसों को खत्म कर रही हैं। साथ ही हारमोंस का संतुलन बिगड़ रहा है।
सिरी जीवन प्रोग्राम के दूसरे दिन डॉक्टर सरला ने बताया कि ग्रीन टी, ब्लैक टी , ब्लैक कॉफी भी बहुत नुकसानदायक है। इसमें कैफीन होती है जो स्टिम्युलेट करती है। जैसे नशा होता है। चाय – – कॉफी पीते ही अच्छा लगने लगता है। इसका कारण है, इसमें कैफीन का नशा होता है , लेकिन लोगों को यह जानना जरूरी है कि कैफीन से धीरे-धीरे नसें कमजोर होने लगती हैं और बार-बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है , जो किडनी के लिए बेहद घातक होता है ।आज जो बहरापन, आंखों का धुन्धलाना , वर्टिगो जैसी बीमारी और लोगों को चक्कर आने, यह सब ज्यादा चाय पीने की वजह से हो रहा है । ब्लैडर कमजोर होने से बार – बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है । सुबह उठकर कुछ गरम पीने की इच्छा हो तो इसके लिए पत्तियों का काढ़ा सबसे अच्छा विकल्प है। पीपल के पत्ते सुखाकर उबालकर इसे चाय की तरह लें।इसके अलावा दूर्वा , तुलसी , गिलोय , बेलपत्र , नीम और करंज के पत्तियों को भी चाय की पत्ती की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है , आवश्यकतानुसार इसमें हल्दी , दालचीनी, अदरक आदि मिला सकते हैं।
तांबे के पात्र का पानी अमृत
उन्होंने बताया तांबे के पात्र का पानी अमृत जैसा हो जाता है। 6 से 7 घंटे यदि पानी को तांबे के पात्र में रखे तो इसमें 29 इलेक्ट्रॉन सक्रिय हो जाते हैं । यह पानी एकदम शुद्ध होता है और शरीर को स्वस्थ रखता है
मुनगा के बीज बहुत लाभकारी
उन्होंने बताया मुनगा के बीज सुखाकर पानी में डाल कर रखें तो पूरे बैक्टीरिया वायरस खत्म हो जाते हैं मुनगा में इतनी शक्ति है कि वह कोरोना वायरस को भी समाप्त कर सकता है। यदि कुछ समय पहले याद करें कि हमारे पुराने जमाने में हर जलस्रोत के पास मुनगा के पेड़ होते थे ताकि पानी एकदम शुद्ध रहे । उन्होंने बताया की आज कल की मेडिकेटेड सब्जियों को धोने के लिए सोडे के बजाय इमली का पानी इस्तेमाल करें। तीन या चार इमलियां लेकर पानी में भीगो लें। पानी को थोड़ी देर रहने दे फिर इसमें सब्जियां डालकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें।
अचार रोज खाएं
उन्होंने बताया कि घर का बना हुआ आम या आंवले का अचार रोज खाएं क्योंकि अचार में बहुत अच्छे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।
कंगनी का पराठा
आज फूड क्लास में उन्होंने बताया कि कंगनी का पराठा कैसे बनाया जाता है । 8 चम्मच कंगनी में दो चम्मच उड़द की दाल मिलाकर आटा तैयार किया जाता है । इसे गर्म पानी में गूंथते हैं , क्योंकि मिलेट्स में ग्लूटेन नहीं होता इसलिए उड़द की दाल या उबला हुआ कद्दू या बेसन मिलाना जरूरी होता है। इसके बाद तैयार हुए आटे से कचौरी, चाट , पराठा , रोटी , पपड़ी, सलोनी बनाई जा सकती है। इनको बनाने के लिए कुसुम का तेल, नारियल का तेल या मूंगफली का तेल उपयोग में लाना चाहिए। मिलेट ग्लूटेन फ्री होते हैं , लिहाजा इसका इस्तेमाल कर डायरिया और अपच की समस्या से बच सकते हैं । यह एनटीएससी धोते हैं और टाइप टू डायबिटीज को रोकने में मदद करते हैं । यह ब्लड प्रेशर सामान्य बनाने साथ ही गैस्ट्रिक , अल्सर , कोलोन कैंसर के खतरे को भी कम करते हैं । पेट निकलना और मोटापा भी एकदम कम हो जाता है। इसमें फाइबर के अलावा कैल्शियम, आयरन , मैग्नीशियम, फास्फोरस जैसे तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। इनकी खासियत यह है कि मिलेट्स को चावल और आटा दोनों की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। चावल की तरह इस्तेमाल करने के लिए मिलेट को 12 घंटे के लिए पानी में भीगोना पड़ता है । फिर 6 गुना ज्यादा पानी मिलाकर धीमी आंच पर पकाना होता है । हर रोज सिर्फ 50 ग्राम कंगनी खाकर आप 2 महीने में अपने शुगर लेवल एकदम नॉर्मल ला सकते हैं । इसके साथ ही ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल भी एकदम नियंत्रण में आ जाता है। आज शिविर के प्रतिभागियों ने सवा घंटे पैदल चालन किया । इसके बाद पत्तियों का काढ़ा पीकर प्राणायाम किया सभी प्रकार के प्राणायाम के बाद सत्र समाप्त हुआ।