अतुल कांत खरे
बिलासपुर (fourthline)। दुनिया की तमाम भाषाओं का मूल आधार संस्कृत मानी जाती रही है। अमेरिका से संस्कृत सीखने बिलासपुर आई एनी को यह शहर इतना भाया कि अब 8 साल का वीजा बनवा लिया है। लगातार आने के लिए ।वह सत्यम विद्यालय में डॉक्टर गीता से संस्कृत सीख रही हैं । उन्होंने fourthline से बातचीत में कहा अमेरिका में संस्कृत की शिक्षण संस्थायें बढ़ रही हैं। अमेरिका में 18 यूनिवर्सिटी हैं जहां भारतीय भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं ।
भारतीय ग्रंथ और चिकित्सा शास्त्र के अथाह भंडार को जानने की चाह में एनी बिलासपुर आई हैं। बचपन से अमेरिका में रही एनी साल्ट लेक सिटी की नागरिक हैं। उनकी माता की योग में दिलचस्पी के कारण घर में संस्कृति का माहौल बना। उन्हें बचपन से संस्कृत के प्रति लगाव रहा । सबसे पहले उन्होंने बालमोदिनी देखी। पहला शब्द नमस्ते कहा और 2020 में पहली बार पतंजलि के योग सूत्र पढ़े। आज वह लगभग सारे भारतीय मंत्रों का बिल्कुल सही उच्चारण कर लेती हैं। उनका मानना है कि संस्कृत में समाज में परिवर्तन लाने की क्षमता और भरपूर ज्ञान छुपा हुआ है । इसलिए पूरी दुनिया संस्कृत को अपना रही है। उन्होंने कहा प्रत्यय उपसर्ग सहित जो व्याकरण संस्कृत में है , उसे सीखने का अपना ही आनंद है। वह कंप्यूटर की मदद भी लेती हैं। कंप्यूटर में संस्कृत के टूल्स आ गए हैं। उन्हें भारतीय खाना बहुत पसंद है। छिलके वाली मूंग की दाल का सूप, चने ,टमाटर की चटनी और आलू मेथी की सब्जी उन्हें बहुत अच्छी लगती है । उन्होंने संस्कृत के स्ट्रक्चर के बारे में बताया। धातु, संज्ञा ,क्रिया ,भेद और विभक्ति उन्होंने स्टेप वाइज सीखा है। पाणिनि के सूत्र बहुत अच्छे लगते हैं। संस्कृत आत्मा की भाषा है। बिलासपुर आकर सबसे पहले उन्होंने मिक्स वेज की सब्जी और गोभी आलू खाया, जो उन्हें बहुत अच्छा लगा।
पूर्व एयर वाइस मार्शल विश्व मोहन तिवारी की पुत्री डॉ गीता तिवारी 25 साल तक अमेरिका में प्रोफेसर रही़। इन दिनों वे सत्यम विद्यालय में संस्कृत और योग की शिक्षा दे रही हैं। उन्होंने बताया अंग्रेजी में भारत का जो इतिहास लिखा गया है, उसमें बहुत से गलत तथ्य हैं। वहां की हिंदी में भी बहुत सी गलतियां है। इसी जागरूकता के उद्देश्य से उन्होंने संस्कृत पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने बताया कि एनी में संस्कृत सीखने की बहुत ललक है वह महामृत्युंजय मंत्र , भोजन मंत्र, गणेश मंत्र सहित बहुत से मंत्रों का सटीक उच्चारण कर लेती हैं। साथ ही गीता के पहले और दूसरे अध्याय का अध्ययन भी करती हैं।