बिलासपुर । दुष्कर्म पीड़िता की मां को बहुचर्चित पॉक्सो एक्ट के मामले में विशेष न्यायधीश पॉक्सो की अदालत ने जमानत दे दी। अदालत का आदेश पर कोर्ट परिसर में मौजूद पीड़िता के परिजनों व हिंदूवादी संगठनों में खुशी जाहिर की।
दुष्कर्म पीड़िता युवती की रिपोर्ट पर गिरफ्तार आफताब मोहम्मद को गिरफ्तार कर पुलिस द्वारा जेल भेजे जाने के बाद आरोपी पक्ष ने उसकी मां पर दबाव बनाकर समझौता करवाने की कोशिश की । इसी बीच पुलिस ने आरोपी पक्ष के 10 साल के एक बालक के साथ कथित यौन दुर्व्यवहार की शिकायत पर पुलिस ने युवती की 37 वर्षीया मां को पाक्सो एक्ट के तहत जेल भेज दिया था। पुलिस की इस कार्रवाई का जबर्दस्त विरोध हुआ था। रतनपुर बंद भी किया गया था। इस विरोध को देखते हुए एसपी संतोष कुमार सिंह नू तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। लोगों का कहना था कि बेटी के साथ दुष्कर्म के मामले में समझौता करने से मना करने पर उसकी मां को झूठे मामले में फंसाकर जेल भेजा गया। पीड़ित की मां के ऊपर 19 मई को आरोपी आफताब मोहम्मद के मौसी के 10 वर्षीय बेटे का यौन शोषण करने का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें पुलिस की भूमिका पर उठा था।
धरना प्रदर्शन होने पर एसपी ने टीआई को लाइन अटैच कर दिया था। आज मामले में जमानत के लिए सुनवाई पॉक्सो मामलों की विशेष न्यायाधीश स्मिता रत्नावत की अदालत में हुई। पीड़िता की मां की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि जमानत के लिए जिस आरोपिया / प्रार्थियां की जमानत लगाई गई है वो 20 वर्षो से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। इस तरफ बच्चो के शोषण की कोई शिकायत आज तक नहीं आई। साथ ही यह महिला की बेटी की एफआईआर के चलते समझौते के लिए दबाव बनाने में असफल रहने पर झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है। पीड़ित बालक के मौसी के लड़के के ऊपर ही महिला की बेटी ने एफआईआर दर्ज करवाई थी, इसलिए बदले की भावना से दस वर्षीय बालक को आगे रख एफआईआर कराई गई। साथ ही एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही आफताब मोहम्मद के घर वाले समझौते के लिए महिला व उसके परिवार पर दबाव बना रहे थे, जिसकी भी शिकायत थाने में की गई थी। इस शिकायत की कॉपी भी कोर्ट में पेश की गई। बच्चे की सीडब्ल्यूसी से काउंसलिंग करवाये बिना एफआईआर दर्ज की गई है। सारे तर्कों को सुनने के पश्चात विशेष न्यायाधीश ने 15 हजार के बॉन्ड पर जमानत मंजूर कर ली।