हैदराबाद/ जगदलपुर।  उद्योग जगत में अपनी  अभिशप्तता के लिए जाना  जाने वाला  बस्तर  अब एक नई पहचान पा चुका  है। यह नई पहचान उसे एनएमडीसी के नगरनार इस्पात संयंत्र ने दिलाई है।  
 एनएमडीसी के अधिकारियों के अनुसार बस्तर की इस नई पहचान के रूप में 24 हजार  करोड़ की लागत से  नगरनार  स्टील प्लांट बनकर तैयार हो चुका है। इस इस्पात संयंत्र की वार्षिक  उत्पादन क्षमता 3 मिलियन टन  की है।  दो दिनों पूर्व एचआर कॉइल का  उत्पादन कर  बस्तर का यह स्टील प्लांट देश के प्रतिष्ठित इस्पात लॉबी के लीग में भी शामिल हो चुका है।
 बस्तर में स्टील प्लांट स्थापित करने की मांग बहुत पुरानी है। अस्सी  के दशक में जब एनएमडीसी के अध्यक्ष पी. सी. गुप्ता हुआ करते थे तब मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की पहल पर बस्तर में स्टील प्लांट लगाने की शुरुआत की गई थी।  ग्राम  मावलीभाटा में एस. एम.  डाइकैम स्टील प्लांट का शिलान्यास भी किया गया था , लेकिन बस्तर के पूर्व कलेक्टर डॉ ब्रह्मदेव शर्मा के नेतृत्व में इस स्टील प्लांट के विरुद्ध आदिवासियों ने आंदोलन छेड़ दिया। फलस्वरूप स्टील प्लांट नहीं लग सका। इसी प्रकार नब्बे  के दशक में मुकुंद इस्पात ग्रुप ने भी नगरनार में स्टील प्लांट लगाने की कोशिश की थी।  बहरहाल  यह मानकर चला जाने लगा कि बस्तर उद्योगपतियों के लिए मुफीद स्थान नहीं हैं।  प्रचुर खनिज संपदा और संसाधनों के बावजूद  न तो कागज का कारखाना लगा  और न  बोधघाट जल विद्युत परियोजना शुरू हो पाई। 
 सन् 1995 में जब एनएमडीसी के  अध्यक्ष श्री त्रिपाठी बने तो उन्होंने बस्तर के नगरनार में रूस की रोमैल्ट टेक्नोलॉजी के आधार पर इस्पात  कारखाना लगाने की योजना बनाई। इसका शिलान्यास भी हुआ। लेकिन फिर भी बात नहीं बन पाई। 
छत्तीसगढ़ राज्य बनने  के  बाद 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी नगरनार में इस्पात संयंत्र लगाने हेतु भूमि अधिग्रहण कराने  में सफल हो गए। बस्तर की तत्कालीन कलेक्टर श्रीमती रिचा शर्मा की इसमें उल्लेखनीय भूमिका रही। 2003 के बाद 20 वर्षों तक फिर इस्पात संयंत्र का मामला झूलता  रहा। लेकिन अंततः  एनएमडीसी ने विगत 12 अगस्त को नगरनार इस्पात   संयंत्र  के निर्माणाधीन   ब्लास्ट फर्नेस को प्रज्वलित कर यह सिद्ध कर दिया कि अब  बस्तर के दिन बहुरने वाले हैं।  दो दिनों पूर्व आश्चर्यजनक रूप से नगरनार इस्पात संयंत्र में एच आर कॉईल  का उत्पादन प्रारंभ हो गया।  यहां यह उल्लेख करना लाजमी  होगा कि एनएमडीसी को इस्पात   बनाने का कोई अनुभव नहीं  था।  भारत सरकार की यह कंपनी बस्तर के बैलाडीला में लौह अयस्क का उत्खनन करती है। लेकिन अब लौह अयस्क के साथ-साथ  देश के इस्पात संयंत्रों को उच्च कोटि के निर्माण कार्य के लिए एचआर कॉइल की आपूर्ति भी किया करेगी।  देश में एलपीजी सिलेंडर, रेलवे वैगन या अन्य इस्पात के सामानों के निर्माण में बस्तर अब  राष्ट्रीय स्तर पर उभर कर सामने आ गया ।   एनएमडीसी के प्रभारी अध्यक्ष अमिताभ मुखर्जी ने कंपनी की इस नई उपलब्धि पर नगरनार इस्पात संयंत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारीयों को बधाई दी है।


 
		 
	

 
