रायपुर। Wild life: नागालैंड के धीमापुर चिड़ियाघर से रायपुर के नंदन वन जंगल सफारी के लिए वन्यजीव एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत लाए जा रहे दो हिमालयन भालुओं में से एक की रास्ते में मौत से इस प्रोग्राम  को बड़ा झटका लगा है। इसमें भालुओं के परिवहन में लापरवाही देखी जा रही है।


Wild life:  बताया जा रहा है कि रायपुर से दो विशेषज्ञ डॉक्टर पांच चीतल और दो ब्लैकबक लेकर नागालैंड गए थे। वहां से दो हिमालयन भालू लेकर लेकर आ रहे थे, लेकिन रायपुर सिर्फ एक भालू ही पहुंचा। दूसरे भालू के साथ क्या हुआ, यह सवाल सबके मन में है। सूत्रों के मुताबिक, एक भालू की मौत रास्ते में हो गई, जिसे वन विभाग ने छिपाने की कोशिश की। अधिकारियों का कहना है कि गर्मी के कारण भालू की रास्ते में मौत हो गई। प्रश्न उठाया जा रहा है कि हिमालयन भालुओं के लिए वाताकूलन की व्यवस्था क्यों नहीं की गई ?


Wild life: वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पूछा कि भालू की मौत कैसे और कहां हुई? पोस्टमार्टम कहां हुआ और रिपोर्ट क्यों छिपाई गई? उन्होंने डॉक्टरों की जवाबदेही तय करने की मांग की। सिंघवी ने कहा कि पहले भी ऐसी लापरवाही से वन्यजीव मरे हैं, जैसे बारनवापारा से भेजी गई मादा बायसन की मौत। उन्होंने वन्यजीव एक्सचेंज प्रोग्राम पर रोक, जिम्मेदार डॉक्टरों को हटाने और वन संरक्षक से इस्तीफे की मांग उठाई है।

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