रायपुर। Naxalism on the verge of extinction: नक्सलवाद मुक्त प्रदेश की ओर अग्रसर छत्तीसगढ़ के शुक्रवार, 17 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक रहा। बस्तर में एक साथ 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर हथियार डाल दिए। यह राज्य के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण माना जा रहा है। इस सफलता पर जहां प्रदेश सरकार और सुरक्षा बलों को बधाइयां मिल रही हैं, वहीं विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने भी इस अभियान की सराहना की है।
Naxalism on the verge of extinction: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य सरकार और सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि बताती है कि छत्तीसगढ़ नक्सलवाद के खात्मे के बहुत करीब पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार की “विश्वास–विकास–सुरक्षा” नीति को आगे बढ़ाया है, जिसका परिणाम अब दिख रहा है। भूपेश बघेल ने कहा, “मुझे खुशी है कि राज्य सरकार ने हमारी पुरानी नीति को अपनाया और उस पर मजबूती से अमल किया। बस्तर में इतने बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण इस बात का संकेत है कि यह राष्ट्रीय लड़ाई अपने अंजाम की ओर बढ़ रही है। हम सब मिलकर इस जंग को जीतेंगे।”
Naxalism on the verge of extinction: हालांकि राज्य की पूर्व भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2018 से पहले की सरकार माओवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार नहीं थी। बघेल के अनुसार, “स्वर्गीय केपीएस गिल साहब ने भी कहा था कि भाजपा शासन के दौरान इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए थे।”पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क, शिक्षा और विकास को प्राथमिकता दी गई। बड़ी संख्या में सुरक्षा कैंप खोले गए, स्कूल फिर से खुले और सरकार ने नक्सलियों के ठिकानों तक पहुंचकर उन्हें चुनौती दी।
Naxalism on the verge of extinction: भूपेश बघेल ने एक बार फिर केंद्र सरकार के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि अमित शाह ने इस लड़ाई को राष्ट्रीय चुनौती मानते हुए राज्य को पूरा सहयोग दिया। उनका कहना है कि इस समन्वय और नीति के चलते अब छत्तीसगढ़ में शांति बहाली की दिशा में ठोस परिणाम सामने आ रहे हैं।










