श्री रामजन्मभूमि आंदोलन में बाबूलाल अग्रवाल सहित जिले के कई लोग थे शामिल
• अजय गुप्ता
सूरजपुर (fourthline)। श्री रामजन्मभूमि आंदोलन के कारसेवकों में शामिल बाबूलाल अग्रवाल के सामने वे दृश्य आज भी जीवंत हो उठते हैं जो उन्होंने कारसेवा के दौरान देखे। वे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कारसेवकों को रोकने के लिए रेलवे स्टेशनों में भी पुलिस का पहरा लगा रखा था। हमने स्टेशन से पहले ही चेन खींचकर ट्रेन रोक दी और 7 फीट गहरी खाई में कूदकर पगडंडियों से होकर प्रयागराज पहुंचे। यहां प्रस्तुत है कारसेवा का उनका संस्मरण –
22 जनवरी 2024 को ऐतिहासिक और यादगार बनाने में रामभक्तों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे 1989 के शिलापूजन और कारसेवा में सक्रिय रहे भाजपा जिलाध्यक्ष बाबूलाल अग्रवाल ने श्री राम मंदिर व जन्मभूमि के लिए हुए आंदोलनो में जिले वासियों की सहभागिता पर आधारित संस्मरणों से अवगत कराया। उन्होंने उस दौरान की फोटो और महत्वपूर्ण दस्तावेजो को साझा करते हुए बताया कि श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन हेतु सूरजपुर में संकल्प यात्रा निकाली गई थी। कोटि-कोटि भारतीयों के मन-प्राण मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभुः श्री रामचंद्र भारतीय संस्कृति के प्राण तत्व हैं ।उनका सम्पूर्ण जीवन सभ्य समाज हेतु आदर्श है, परन्तु बीते कई दशकों से भारत एवं दुनियाभर के करोड़ों रामभक्तों को अपने आराध्य भगवान श्री रामलला को अपनी ही जन्मभूमि अयोध्या में एक छोटे से टेंट में रहता देख अत्यंत पीड़ा एवं दुःख की अनुभूति होती थी।

श्री रामजन्मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण का सपना संजोए करोड़ों रामभक्तों ने वर्षों तक अथक संघर्ष किया, जिसके परिणाम स्वरूप आज उनका सपना पूरा होने जा रहा है। श्री रामजन्मभूमि आन्दोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं राष्ट्रीय विचारधारा से जुड़े विभिन्न संगठनों की विशेष भूमिका रही। इस आन्दोलन का वास्तविक उद्देश्य किसी भूखंड पर केवल मंदिर निर्माण नहीं अपितु सनातन संस्कृति की रक्षा एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान का पुनर्जागरण था। वर्ष 1989 में विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर शिलापूजन का एक बड़ा अभियान चलाया गया था। देश के कोने-कोने से मंदिर निर्माण हेतु शिलाएं एकत्रित कर अयोध्या भेजी गईं। उस समय संयुक्त सरगुजा जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन विभाग संघचालक स्व. यदुवंश नारायण सिंह जी एवं सरगुजा के पूर्व सांसद स्व. श्री लरंग साय जी के नेतृत्व में शिलापूजन अभियान में हम सभी रामभक्तों को सहभागी बनने का अवसर प्राप्त हुआ।

बाएं से दायें – स्व. श्री बृजनारायण चौबे, श्री बैकुंठनाथ तिवारी, श्री आर. पी. वाजपेयी, स्व. श्री मनोहर कोनेर, श्री बाबूलाल अग्रवाल
श्री अग्रवाल ने श्री रामजन्मभूमि आन्दोलन हेतु समर्थन जुटाने के लिए भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रद्धेय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने 25 सितंबर, 1990 को सोमनाथ से अयोध्या के लिए श्री राम रथयात्रा की शुरुआत की जो अंबिकापुर से होकर गुजरी, जिसका हम सभी को स्वागत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
अक्तूबर 1990 में श्री राम कारसेवा समिति, सरगुजा के आह्वान पर सूरजपुर से स्व. श्री राजकुमार अग्रवाल जी एवं स्व. श्री रामकुमार जैन जी की अगुवाई में मेरे साथ श्री भीमसेन अग्रवाल, श्री कृष्णा सोनी, श्री शोभित राम, श्री रविन्द्र सोनी को श्री रामजन्मभूमि आन्दोलन में भाग लेने का पुण्य अवसर प्राप्त हुआ था। आज भी श्रीरामजन्मभूमि का नाम सुनते ही मेरे स्मृति पटल पर आन्दोलन का वो हर एक क्षण जीवंत हो उठता है। सूरजपुर के हम सभी कारसेवकों को नगर के पंचदेव मंदिर से पूजा-अर्चना कर नगरवासियों ने हमें अयोध्या हेतु विदा किया था। वह अत्यंत ही भावुक क्षण था। नगरवासियों का मन भी कोटि-कोटि रामभक्तों के समान ही पीड़ा में था एवं सभी के हृदय में यहीं भाव था की अपने आराध्य प्रभु श्री राम को उनकी पवित्र जन्मभूमि अयोध्या धाम में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण कर सिंहासन पर विराजित कर सकें।

दायें से बाएं : स्व. श्री राजकुमार अग्रवाल, डॉ. शर्मा केनापारा, श्री बाबूलाल अग्रवाल, स्व. श्री रामकुमार जैन, श्री शोभित राम, श्री भीमसेन अग्रवाल, श्री कृष्णा सोनी
श्री अग्रवाल ने बताया कि उत्तरप्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार द्वारा उस दौरान रामभक्तों की आवाज को दबाने एवं कारसेवकों को रोकने हेतु उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा था। सूरजपुर रेलवे स्टेशन से ट्रेन की यात्रा कर हम सभी को अयोध्या जाने हेतु प्रयागराज पहुंचना था, पर हमारी रेलगाड़ी प्रयागराज स्टेशन पहुँच पाती उससे पूर्व ही उत्तरप्रदेश पुलिस ने ट्रेन में कारसेवकों की तलाश में छानबीन शुरू कर दी एवं ट्रेन में बहुत से कारसेवकों को गिरफ्तार कर लिया। इसे देखते हुए हमने ट्रेन की चेन खींचकर स्टेशन से पहले ही ट्रेन को रुकवाया, पर डब्बे के बाहर निकलते ही हमें 7 फीट गहराई में कूदना था। यह हम सभी युवाओं के लिए कोई बड़ी समस्या नहीं थी, पर हमारे साथ मौजूद दो वरिष्ठजनों को लेकर हम चिंतित हो गए, परन्तु मन में उठा रामभक्ति का ज्वार एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर स्व. श्री राजकुमार अग्रवाल जी एवं स्व. श्री रामकुमार जैन जी ने किसी ऊर्जावान नवयुवक की भांति ही ट्रेन से छलांग लगा दी। हम सभी पगडंडियों एवं दुर्गम रास्तों के सहारे लगभग 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय कर प्रयागराज के रस्तोगी धर्मशाला पहुंचे, जहां कारसेवकों के सैलाब को देख भयभीत प्रदेश सरकार ने परिवहन के सभी साधनों पर रोक लगा दी थी । अगले दिन सुबह प्रयागराज के विभिन्न धर्मशालाओं से आकर कारसेवक एक मैदान में एकत्रित हुए एवं निर्देश मिलते ही हम सभी कारसेवकों ने वहां से अयोध्या हेतु पैदल कूच कर दिया। रामभक्त कारसेवकों की इतनी बड़ी शक्ति देखकर समूचा नगर आनंदित हो उठा।
देखते ही देखते आम लोगों के मन से प्रदेश सरकार का भय खत्म हो गया एवं रास्ते को तोरणद्वार से सजा दिया गया, जगह जगह कारसेवकों का भव्य स्वागत किया गया। सुगन्धित चन्दन से तिलक कर फूलों की वर्षा की गई। आम जनता के इस सत्कार को देखकर हम सभी दोगुने उत्साह व उमंग से भर गए एवं कारसेवा हेतु आगे निकल पड़े। नगर के बाहर गंगा नदी पर बनें फाफामऊ पुल पर हम सभी निहत्थे कारसेवकों पर पुलिस द्वारा निर्ममतापूर्वक लाठीचार्ज कर दिया गया। वहां पहले से ही हजारों की तादाद में मौजूद बसों में कारसेवकों को भरकर विभिन्न जेलों में भेज दिया गया।
हमारी टोली को प्रतापगढ़ के पॉलिटेक्निक कॉलेज में बने अस्थाई जेल में रखा गया, पर कारसेवकों की अपार भीड़ के कारण हमें बस द्वारा वहां से केन्द्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। आन्दोलन के कारण रामभक्त कारसेवकों को बिना अपराध ही उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में भर दिया गया था। जेल के बाहर कई घंटे हमें खड़ा रखा गया। जेल में जगह न होने के कारण हमें कानपुर और उसके बाद क्रिस्चियन इंटर कॉलेज फर्रुखाबाद में बने अस्थाई जेल में रखा गया। लगातार कई दिनों तक मैं और मेरे साथी कारसेवक वहीं रहे। रामभक्ति का जुनून इतना था की कॉलेज के ऊपरी दीवार पर कॉलेज का नाम बदलकर कारसेवकों ने ‘श्रीराम कॉलेज’ लिख दिया। वहां हमारे साथ देश के कोने-कोने से आये हजारों कारसेवक बंद थे और सरकार ने आवश्यक सुविधाएं से मुख मोड़ लिया था। ऐसी स्थिति में हमारे बीच के कुछ प्रशिक्षित स्वयंसेवकों ने भोजन आदि, व्यवस्था अपने हाथ में ले ली और आसपास के रामभक्तों ने भी इसमें भरपूर सहायता की।
30 अक्तूबर 1990 को पराक्रमी कारसेवकों द्वारा विवादित ढाँचे पर भगवा ध्वज फहरा दिया गया। हम सभी लोगों को प्रशासन द्वारा जबरन जेल में रोके रखा गया। 2 नवम्बर को उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के आदेश पर निहत्थे कारसेवकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गई, जिसमें माँ भारती के वीर सपूत कोठारी बंधुओं सहित अनेकों कारसेवक शहीद हो गए । घटना के उपरान्त विश्व हिन्दू परिषद् के तत्कालीन अध्यक्ष श्रद्धेय स्व. अशोक सिंघल जी ने कहा की जन्मभूमि आन्दोलन में योगदान देने वाले सभी कारसेवकों की सेवा पूर्ण हुई एवं सभी कारसेवकों से अपने गृहस्थान लौटने का आदेश दिया। हमने जेल से रिहाई हेतु सरकार से आग्रह किया परन्तु बार-बार आग्रह करने पर भी जब हमारी रिहाई नहीं हुई, तब हमारी टोली जेल की दीवार फांद कर वहां से मुक्त हुई। अंततः 6 दिसंबर, 1992 को श्री रामजन्मभूमि पर बनें विवादास्पद ढाँचे को गिराकर कारसेवा वास्तविक रूप से पूर्ण हुई।
लम्बी प्रतीक्षा एवं वर्षों के संघर्षों के परिणामस्वरूप माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 9 नवंबर, 2019 को श्री रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाकर सत्य की विजय सुनिश्चित की। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के अथक प्रयास एवं कोटि-कोटि रामभक्तों व सनातनियों के सहयोग से श्री रामजन्मभूमि पर भव्य एवं दिव्य मंदिर में आगामी 22 जनवरी को प्रभु श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है, जिस दिन को देखने के लिए सैकड़ों वर्षों से हमारे पूर्वज प्रतीक्षा करते रहे। 22 जनवरी को उस ऐतिहासिक क्षण के हम सभी साक्षी होंगे। यह हम सभी के लिए अत्यंत सौभाग्य एवं आनंद का विषय है।

