1976 से सक्रिय है संस्था -भरत वेद
बिलासपुर (Fourthline)। बिलासपुर के नाट्य संस्था आदर्श कला मंदिर में 100 से अधिक नाटकों के मंचन का कीर्तिमान स्थापित किया है। 1976 से रंग जगत में सक्रिय इस संस्था के संस्थापक निर्देशक भरत वेद ने बताया कि सर्वप्रथम 1976 में प्रथम नाटक लग्न का मंचन नॉर्थ ईस्ट रेलवे इंस्टिट्यूट में किया गया था ।इसके बाद छत्तीसगढ़ी नाटक भुइयां के महतारी 13 बार और जागो संगी 9 बार कई जगहों पर मंचित किया गया उन्होंने बताया वर्ष 2002 में भुइयां के शरण नाटक का प्रसारण दूरदर्शन रायपुर से कई बार हुआ डॉ सुरेश शुक्ल द्वारा रचित ऐतिहासिक नाटक बात एक हर्ष की का मंचन 1997 में किया गया जिसे भरपूर प्रशंसा मिली संस्था का शिखंडी नाटक बेहद चर्चित रहा इस नाटक को कटक और इलाहाबाद के महोत्सव में अवॉर्ड भी मिले। हाल ही में संस्था ने हम किधर जा रहे हैं का मंचन किया था।
इस संस्था से कई रंगकर्मियों ने नाट्य कला में प्रशिक्षण लिया और सफल अभिनय किया।
वर्ष 2022 में इस संस्था के द्वारा नाटक जिंदा लाश का मंचन सिम्स ऑडिटोरियम में किया गया था , जो बेहद सराहा गया। बिलासपुर में नाटकों के प्रदर्शन की स्थिति अच्छी नहीं है। सिर्फ दो या तीन संस्थाएं सक्रिय हैं । रंगमंच हमारी पुरातन परंपरा है और संस्कृति का हिस्सा है , जिससे लोग विमुख होते जा रहे हैं और रुझान भी कम हो रहा है। इससे रंगकर्मी हताश हो रहे हैं। आज एक नाटक के लिए खर्च उठाना मुश्किल होता है। शासन को चाहिए कि नाटकों के लिए राशि और भवन उपलब्ध कराए।
संस्था से आरंभ से जुड़े रूप सज्जा कार उमाकांत खरे ने बताया कि आदर्श कला मंदिर के सभी नाटक प्रशंसनीय रहे हैं और इन्होंने समाज के हर वर्ग को स्पर्श किया है। संस्था के प्रमुख नाटकों में लगन ,दुश्मन, मूर्तिकार शुतुरमुर्ग हम सब चोर हैं मनमौजी राम ,अरे मायावी सरोवर जागो संगी विकराल दानव, निर्भया कबाड़खाना ,जोक ,दधीचि और जिंदा लाश प्रमुख हैं।

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