विजयवाड़ा। Big decision on conversion: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति (SC) समुदाय का है, और धर्म बदल लेता है तो उसका SC का दर्जा खत्म हो जाता है। इसके बाद वह अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत संरक्षण का दावा नहीं कर सकता।
Big decision on conversion: जस्टिस हरिनाथ एन की सिंगल बेंच गुंटूर जिले के कोथापलेम में रहने वाले अक्कला रामी रेड्डी नाम के शख्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अक्कला पर हिंदू से ईसाई बने एक शख्स चिंतादा ने आरोप लगाया था कि उसने जातिसूचक गालियां दी हैं।पुलिस ने चिंतादा की शिकायत पर एससी/एसटी स्पेशल कोर्ट में अक्कला के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी। इसके बाद रेड्डी ने हाईकोर्ट में इसे रद्द करने और सभी कार्यवाही पर रोक लगाने की याचिका लगाई थी।
Big decision on conversion: जस्टिस एन हरिनाथ ने कहा कि जब चिंतादा ने खुद ही बताया था कि वह पिछले 10 साल से ईसाई धर्म का पालन कर रहा है, तो पुलिस को आरोपियों पर एससी/एसटी अधिनियम नहीं लगाना चाहिए था। बेंच ने यह देखते हुए कि शिकायतकर्ता चिंतादा ने एससी/एसटी अधिनियम का दुरुपयोग किया है, आरोपी बनाए गए रेड्डी और अन्य के खिलाफ मामला रद्द कर दिया।अक्क्ला के वकील फणी दत्त ने कोर्ट में कहा कि चिंतादा ने ही दावा किया है कि वह 10 साल से पादरी के तौर पर काम कर रहा है। उसने स्वेच्छा से अपना धर्म बदला है। दत्त ने तर्क दिया कि ईसाई धर्म जाति व्यवस्था को मान्यता नहीं देता है। संविधान में अन्य धर्मों में जाति व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं है। साथ ही, हिंदू धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण करने वालों को अनुसूचित जाति नहीं माना जा सकता।
Big decision on conversion: जस्टिस हरिनाथ ने कहा- एससी/एसटी अधिनियम का उद्देश्य उन समूहों (अनुसूचित जातियों) से जुड़े लोगों की रक्षा करना है, न कि उन लोगों की जो दूसरे धर्मों में परिवर्तित हो गए हैं। केवल इस आधार पर एससी/एसटी अधिनियम लागू करना कि उसका जाति प्रमाण पत्र रद्द नहीं किया गया है, वैध आधार नहीं हो सकता। जज बोले- किसी अन्य धर्म में धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति का अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराध की FIR करना अवैध है।
Big decision on conversion: यह मामला विशाखापट्टनम जिले के अनाकापल्ली का है, जहां मूल रूप से एससी (माला समुदाय) के चिंतादा ने ईसाई धर्म अपना लिया और पादरी बन गया। केस की जांच के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि ईसाई धर्म अपनाने के कारण चिंतादा का एससी प्रमाणपत्र रद्द कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि धर्म परिवर्तन के बाद व्यक्ति एससी का दर्जा खो देता है और एससी/एसटी एक्ट के तहत संरक्षण का दावा नहीं कर सकता।कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले में स्पष्ट किया था कि यदि कोई व्यक्ति ईसाई धर्म अपनाने के बाद दोबारा हिंदू धर्म में लौटता है, तो उसे एससी दर्जा प्राप्त करने के लिए विश्वसनीय प्रमाण और समुदाय की स्वीकृति की जरूरत होगी। केवल लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन करने को सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के साथ धोखा करार दिया।










