मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सही मायने में ओबीसी वर्ग क हितचिंतक
बिलासपुर । छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कांग्रेस के अध्यक्ष चौलेश्वर चंद्राकर ने कहा है कि देश में अब जातिगत जनगणना कराई जानी चाहिए। साथ ही समाज में वंचित वर्गों की पहचान भी जरूरी है। ये तभी किया जा सकता है जब सभी जातियों के बारे में सटीक जानकारी और आंकड़े उपलब्ध हों। ये सिर्फ़ एक जातिगत जनगणना से ही हासिल हो सकता है। यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ. चन्द्राकार ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पिछड़ों का मसीहा बताते हुए कहा, यह उन्हीं की देन है कि छत्तीसगढ़ के कई पिछड़ी जाति वर्ग के लोगों को उन्होंने चिन्हित कर ओबीसी वर्ग में सूचीबद्ध किया , जिसकी संख्या अब छत्तीसगढ़ में बढ़ कर 95 हो गई है। बिलासपुर में हम ओबीसी के सभी पदाधिकारियों का प्रदेश स्तरीय सामरिक सम्मेलन कराने जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य ही पारंपरिक भूमिका को नए कौशलों के साथ विस्तार करना है।

डॉ. चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कांग्रेस का मूल उद्देश्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का असल फ़ायदा उन लोगों तक पहुँचाना ज़रूरी है, जो अब तक इससे वंचित हैं। राजनीतिक दृष्टि से भी यह जरूरी है कि जिन वर्गों का साथ हमें विधानसभा चुनाव में भरपूर मिलता है, आखिर लोकसभा के चुनाव में क्यों नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा, शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में दिए जा रहे आरक्षण का दायरा और बढ़ाने भूपेश सरकार की जो मंशा है, उसे एक-एक व्यक्ति तक पहुंचाने की जरूरत है। जिसका बीड़ा प्रदेश कांग्रेस का पिछड़ा वर्ग ने लिया है। ये काम करने के लिए भी जाति से जुड़े विश्वसनीय आंकड़ों की ज़रूरत है, जो सिर्फ़ एक जातिगत जनगणना ही उपलब्ध करवा सकती है। इस दिशा में भूपेश सरकार ने कदम बढ़ा किया है, जो अब रुकने वाला नहीं है।

डॉ. चंद्राकर ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक़ देश में ओबीसी की कुल आबादी 45 से 48 फीसदी है, तो छत्तीसगढ़ में प्रमाणित तौर पर 41 प्रतिशत | बावजूद बीजेपी ओबीसी का असल हितैषी नहीं. है, बल्कि सिर्फ वोट बैंक के लिए अपना स्टैंड समय-समय पर बदलते रहती है। 90 के दशक में मंडल कमिशन की रिपोर्ट लागू करने का बीजेपी ने विरोध किया था। उस वक़्त बीजेपी का स्टैंड था कि जाति आधारित आरक्षण की जगह आर्थिक आधार पर आरक्षण होना चाहिए। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि आरक्षण पर पुनर्विचार होना चाहिए और अब आरएसएस के सह- सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले साफ तौर पर कह रहे हैं कि वह और उनका संगठन आरएसएस आरक्षण का ‘पुरजोर समर्थक’ हैं। उन्होंने भारत के लिए आरक्षण को एक ‘ऐतिहासिक जरूरत’ बताया है। चंद्राकर ने साफ शब्दों में कहा, आरएसएस के स्टैंड में आया ये बदलाव विचाराधारा की वजह से नहीं है बल्कि मौकापरस्ती है। इसी बात को हमें लोगों को बतानी है।

डॉ. चंद्राकर ने आरोप लगाया कि बीजेपी ओबीसी पर मौकापरस्ती की राजनीति कर रही है। वह इस वर्ग को सिर्फ अपना वोट बैंक के तौर पर उपयोग में लाना चाहती है। जबकि हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने चार साल के कार्यकाल में वो मिशाल दी है, जिससे पिछड़ों को उनके संस्कृति, सामाजिक और राजनीतिक अधिकार हासिल हुआ। साहू जाती के लोग बीजेपी को वोट दे रहे थे। परंतु बीजेपी के 15 साल के कार्यकाल में उन्हें कर्मा जयंती पर सरकारी अवकाश का मौका नहीं मिला। यह अधिकार साहू समाज को भूपेश बघेल ने दिया। इन बातों को आज पूरे प्रदेश में बताने की जरूरत है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय यादव जी इसी मंशा के साथ पूरे देश में ओबीसी वर्ग को मजबूत कर कांग्रेस पार्टी की मुख्य धारा से जोड़ने लगे हैं और हम उन्हीं के मार्गदर्शन पर छत्तीसगढ़ में काम कर रहे हैं। गुरुवार को सभी पदाधिकारियों के सम्मेलन में इस दिशा में और भी विस्तार पूर्वक चर्चा कर राजनीतिक प्रस्ताव पास किया जाएगा ।

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