• मितेश केसरी
रामानुजगंज। Bravery of a child: जिस नन्ही सी उम्र में बच्चे खेलते-कूदते दिखते हैं उस उम्र में दिव्य कुमार जोशी 6 सदस्यों के परिवार का खर्च चला रहा है। दिव्य की उम्र महज 12 साल है और यह सातवीं कक्षा में पढ़ रहा है। स्कूल से लौटकर वह मोमोज बेचा करता है और उससे जो आय होती है उसी से मां और पांच भाई – बहनों का परिवार चलता है।
Bravery of a child: दिव्य जब चार साल का था उसके पिता हरिओम जोशी की मृत्यु हो गई थी। वे प्राइवेट स्कूल में शिक्षक थे। । उनकी मृत्यु से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मां ने किसी प्रकार से बच्चों का पालन -पोषण किया । स्वजनों का सहयोग से आजीविका चल रही थी। जब दिव्य की उम्र 10 वर्ष की थी तो वह अपने चाचा के साथ मोमोज बेचने के लिए गांधी चौक के पास ठेला लगाने में सहयोग करना शुरू कर दिया था। बीते एक वर्ष से वह स्वयं ठेला लगाकर मोमोज बेचता है। चाचा आरागाही में मोमोज बेचने जाते हैं। दिव्य ने बताया कि प्रतिदिन वह सुबह 6:30 बजे उठ जाता है। वह घूमने जाता है और वापसआकर पढ़ाई करता है ।दिव्य पूर्व माध्यमिक शाला कोइरी टोला में कक्षा सातवीं में पढ़ रहा है। स्कूल से वह जब 4 बजे आता है और खाना खाकर ठेला लेकर गांधी चौक में मोमोज बेचने चला जाता है। रात8 बजे तक वह मोमोज बेचता है।
7 साल का भाई करता है सहयोग
दिव्य के 7 वर्षीय भाई राजकुमार जोशी अपने भाई के सहयोग के लिए हर समय खड़ा रहता है। दुकान करीब 8 बजे प्रतिदिन दिव्य बंद करता है। दोनों भाई ठेला -बर्तन लेकर घर लौटते हैं।
स्वादिष्ट है दिव्य का मोमोज
दिव्य के चाचा-चाची मोमोज बनाने के लिए सामग्री तैयार कर देते हैं। दिव्य के मोमोज लोग काफी पसन्द करते हैं। ग्राहक कहते हैं कि दिव्य का मोमोज काफी स्वादिष्ट होता है और वे दुकान खुलने का इंतजार करते रहते हैं। दिव्य बताता है कि प्रतिदिन 800 से 1000 रुपय तक रुपए तक की बिक्री हो जाती है।