बिलासपुर। Chambers election controversy: छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (सीसीसीआई) के आगामी चुनावों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन (सीएसए) ने इस चुनाव की तय की गई प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे रायपुर केंद्रित और अन्य जिलों के व्यापारियों को जानबूझकर बाहर रखने का प्रयास निरूपित किया है।
Chambers election controversy: आगामी चुनावों की प्रक्रिया में केवल रायपुर के व्यापारियों को ही अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है जबकि अन्य जिलों के व्यापारी इस प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर कर दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल सोनी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, चैंबर का यह नियम न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि राज्य के समस्त व्यापारिक समुदाय के अधिकारों का हनन भी है। छत्तीसगढ़ के सभी व्यापारी चैंबर का हिस्सा हैं, तो फिर केवल रायपुर के व्यापारियों को ही चुनाव लड़ने का अधिकार क्यों दिया जा रहा है।
Chambers election controversy: इस मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल सोनी ने चैंबर के चुनाव अधिकारी और सहायक चुनाव अधिकारी को लिखित शिकायत भेजी है और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग की है। कमल सोनी ने आरोप लगाते हुए कहा, “इस प्रकार का प्रावधान व्यापारिक लोकतंत्र को कमजोर करेगा। अगर ये चुनाव पूरी व्यापारिक बिरादरी के लिए हो रहे हैं, तो फिर कुछ लोगों को बाहर रखने की साजिश क्यों रची जा रही है? ”कमल सोनी ने कहा, “यदि चैंबर वास्तव में छत्तीसगढ़ के पूरे व्यापारिक समुदाय का प्रतिनिधित्व करना चाहता है, तो उसे अपने चुनावी नियमों को तत्काल संशोधित करना होगा। व्यापारिक नेतृत्व का चुनाव प्रतिभा और क्षमता के आधार पर होना चाहिए न कि भौगोलिक प्रतिबंधों के आधार पर।
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नियमों में बदलाव नहीं तो विरोध प्रदर्शन Chambers election controversy: छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर चैंबर ने चुनावी प्रक्रिया में तत्काल संशोधन नहीं किया तो व्यापारी समुदाय इसे लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ेगा। कमल सोनी ने कहा, “यह चुनाव एक बंद कमरा मीटिंग नहीं है। यह राज्यभर के व्यापारियों का अधिकार है और इस अधिकार को कोई छीन नहीं सकता। यदि जल्द से जल्द इस अन्यायपूर्ण नियम को बदला नहीं गया, तो हम इसे लेकर कानूनी कार्रवाई करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। एसोसिएशन ने अन्य व्यापारिक संगठनों से भी इस भेदभावपूर्ण प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है ताकि चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे। “यदि चैंबर इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेता और आवश्यक सुधार नहीं करता, तो हम इसे उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे। यह केवल चुनाव का मामला नहीं है, बल्कि पूरे राज्य के व्यापारी समुदाय के अधिकारों की रक्षा का मामला है।