बिलासपुर। Chhattisgarh High court: हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ बर्खास्त सिविल जज आकांक्षा भारद्वाज की याचिका पर अपील दायर की गई है। इस मामले में सिविल जज ने भी फैसले के एक हिस्से को चुनौती दी है। इन दोनों अपीलों पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा है।

महिला उत्पीड़न का है मामला

Chhattisgarh High court: मिली जानकारी के मुताबिक आकांक्षा भारद्वाज का चयन वर्ष 2012-13 में सिविल जज (प्रवेश स्तर) के पद पर हुआ था। 27 दिसंबर 2013 को उन्होंने पद ग्रहण किया। आरोप है कि इस दौरान एक सीनियर मजिस्ट्रेट ने उनके साथ अनुचित व्यवहार किया, लेकिन नई नियुक्ति के कारण उन्होंने शिकायत नहीं की। प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद अगस्त 2014 में उन्हें अंबिकापुर में प्रथम सिविल जज वर्ग-2 का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। इस दौरान भी उन्हें सीनियर मजिस्ट्रेट से दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। इन शिकायतों पर महिला उत्पीड़न आंतरिक जांच समिति ने जांच की, लेकिन अपीलकर्ता की शिकायत को निराधार पाया। इसके खिलाफ की गई अपील भी खारिज कर दी थी। अंतत: 2017 में स्थायी समिति की सिफारिश पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

सिंगल बेंच ने दिया है बहाली का आदेश

Chhattisgarh High court: सिविल जज आकांक्षा भारद्वाज ने 2017 में बर्खास्तगी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मई 2024 में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 31 जनवरी 2017 को कमेटी की अनुशंसा और 9 फरवरी 2017 को जारी बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया। बेंच ने उन्हें बैक वेजेस के बिना सिविल जज-2 के पद पर वरिष्ठता के साथ बहाल करने का आदेश दिया, साथ ही प्रतिवादियों को नियमों के अनुसार कार्रवाई की छूट भी दी।इस फैसले के खिलाफ दोनों पक्षों ने अपील की। अब, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है।

Previous articleBJP’s tricolor march: भाजपा का 11 अगस्त से तिरंगा यात्रा, हर बूथ पर पौधरोपण  का भी कार्यक्रम
Next article2000 seats will increase in hostels: छत्तीसगढ़ में छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावासों में बढ़ेंगी दो हजार सीटें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here