नई दिल्ली । दिल्ली आबकारी घोटाला में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को
राउज एवेन्यू कोर्ट ने 5 दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया है। अब वह 4 मार्च तक सीबीआई रिमांड पर रहेंगे. जांच एजेंसी ने कोर्ट से 5 दिनों की रिमांड की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया ।
Manish Sisodia sent on 5-day remand: सीबीआई का आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने शराब घोटाले में आपराधिक साजिश रची और उन्होंने सबूतों को मिटाने की कोशिश की। उधर, इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी ने सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया। आप कार्यकर्ता ने दिल्ली से लखनऊ, भोपाल-नागपुर तक देशभर में सड़कों पर उतरकर केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
क्या है पूरा मामला
Manish Sisodia sent on 5-day remand: रिपोर्ट्स में CBI सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि पिछले साल 19 अगस्त को CBI ने दिल्ली एक्साइज डिपार्टमेंट की छानबीन की। वहां से एक डिजिटल डिवाइस सीज की गई। इस डिवाइस से CBI को पता चला कि लिकर पॉलिसी का एक दस्तावेज एक ऐसे सिस्टम को भेजा गया था, जो एक्साइज डिपार्टमेंट के नेटवर्क में था ही नहीं।
इसके बाद CBI ने एक्साइज डिपार्टमेंट के अधिकारी को पूछताछ के लिए बुलाया। उस अफसर ने एक सिस्टम की जानकारी दी, जिसे एजेंसी ने इस साल 14 जनवरी को सिसोदिया के दफ्तर से जब्त किया। इस सिस्टम की ज्यादातर फाइल्स डिलीट कर दी गई थीं, लेकिन अपनी फोरेंसिक टीम की मदद से CBI ने ये डेटा हासिल कर लिया। फोरेंसिक जांच में पता चला की दस्तावेज बाहर से बना और वॉट्सऐप पर रिसीव किया गया।
ये जानकारियां हाथ लगने के बाद CBI ने 1996 बैच के ब्यूरोक्रेट को जांच के लिए बुलाया। ये ब्यूरोक्रेट सिसोदिया के सेक्रेटरी के तौर पर काम कर चुके थे। सूत्रों के मुताबिक, अफसर ने CBI को बताया कि मार्च 2021 में सिसोदिया ने उन्हें केजरीवाल के दफ्तर में बुलाया था। वहां पर अफसर को शराब नीति ड्राफ्ट पर मंत्रियों की रिपोर्ट दी गई। इस दौरान सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे।
अफसर ने बताया कि इस ड्राफ्ट रिपोर्ट से ही 12% प्रॉफिट मॉर्जिन का नियम आया। इस नियम के लिए कोई चर्चा हुई हो, या इससे जुड़ी कोई फाइल हो, उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। रविवार को CBI इस ड्राफ्ट रिपोर्ट के बारे में सिसोदिया से सवाल किए पर सिसोदिया ने जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया। अफसर का ये बयान फरवरी की शुरुआत में मजिस्ट्रेट के सामने रिकॉर्ड किया गया था।