बाल विज्ञान कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ चयन 

बिलासपुर। केंद्रीय विद्यालय बिलासपुर के तीन विद्यार्थियों धृति, अमिय एवं ओम का चयन राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए हुआ है। 

केन्द्रीय विद्यालय बिलासपुर में दिनांक 5 अक्टूबर को संभाग स्तरीय राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस हुई। इसके तहत भावी वैज्ञानिकों ने अपनी-अपनी वैज्ञानिक परियोजनाओं को प्रस्तुत किया। इसमें छत्तीसगढ़ के 35 केन्द्रीय विद्यालयों के 173 भावी वैज्ञानिकों ने अपने नावाचार व अनुसंधान प्रस्तुत किए।

स्वास्थ्य एवं जनकल्याण के लिए पारिस्थितिक तंत्र  विषय पर हुई इस प्रतियोगिता में केंद्रीय विद्यालय बिलासपुर के तीन विद्यार्थियों का चयन राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए हुआ। 

विद्यालय के प्राचार्य धीरेन्द्र कुमार झा ने  इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई देते हुए कहा कि आपकी सतत अनुसंधान प्रवृत्ति एवं परिश्रम रंग लायी है। आप सभी भविष्य में स्वयं में एवं देश में वैज्ञानिक चेतना का प्रसार करते हुए नए नए अनुसंधान एवं आविष्कार कर देश को प्रगतिशील बनाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी वैज्ञानिक चेतना, नावाचार एवं अनुसंधान को महत्वपूर्ण माना गया है। आपकी रचनात्मकता, अनुसंधान प्रवृत्ति एवं परिकल्पना कल्पना विशिष्ट है। 

विज्ञान विभाग के समन्वयक सौमेन दासगुप्ता एवं एस डी सरजाल ने बताया कि इस बार के एनसीएससी का थीम है- स्वास्थ्य एवं जनकल्याण के लिए पारिस्थितिक तंत्र को समझना। इसके अंतर्गत पाँच उप विषय हैं। राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयनित धृति वत्स ने माइनिंग पर केस स्टडी तैयार किया था। इनका थीम था -‘अपने पारिस्थितिक तंत्र को समझें’।

धृति का सैंड रिप्लेसमेंट प्रोजेक्ट

धृति ने रेत (सेंड) की उपयोगिता एवं पर्यावरण के लिए उसके महत्व पर जो प्रोजेक्ट तैयार किया था, उसे सभी ने खूब सराहा। इस प्रोजेक्ट में मनुष्य का नदियों से रिश्ता उभरकर आया है। इसमें सेंड रिप्लेसमेंट अर्थात  रेत को विस्थापित करके उसके स्थान पर अन्य चीज़ों से निर्माण कार्य की धृति ने पहल की है।

अमिय का लाइटवेट हेलमेट 

अमिय दुबे ने टेक्नोलॉजिकल इननोवेशन फ़ॉर इको सिस्टम एंड हेल्थ थीम पर अपना प्रोजेक्ट बनाया था। इनका प्रोजेक्ट 

लाइट वेटेड स्मार्ट हेलमेट जो कि अत्यंत कम कीमत पर उपलब्ध हो सकता है, पर आधारित था।दुर्घटना या अन्य खतरा होने पर यह वाइब्रेट करते हुए संबंधित स्थानों पर इसकी  सूचना देगा।

ओम का धान के भूसे से कागज

ओम डिक्सेना ने इको सिस्टम बेस्ड एप्रोच फ़ॉर सेल्फ रिलाइंस विषय पर अपना प्रोजेक्ट बनाया था। धान के भूसे से उन्होंने इको फ्रेंडली पेपर (कागज) बनाने की विधि समझाई। यह जलने से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति भी दिलाएगी। साथ ही कागज निर्माण के लिए कटने वालों पेड़ों की सुरक्षा कर पेपर निर्माण हेतु वनोन्मूलन अर्थात वृक्षों की कटाई भी रोकेगी।

विदित हो कि यह कार्यक्रम नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन, भारत सरकार द्वारा समर्थित है।

इन विद्यार्थियों ने सीखने की प्रक्रिया को आसपास के भौतिक और सामाजिक वातावरण से जोड़कर विज्ञान का प्रयोग पारिस्थितिक तंत्र को बचाने एवं मानव कल्याण हेतु उपयोगी बनाने में किया।

विज्ञान शिक्षिका जूही चक्रवर्ती ने बताया कि राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में चयनित होकर इन तीनों विद्यार्थियों ने केंद्रीय विद्यालय बिलासपुर को गौरवान्वित किया है।

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