हृदेश केशरी
बिलासपुर । क्रिकेट का खेल कितना बदल गया है पर यहां की खेल प्रतिभाओं के लिए कुछ भी नहीं बदला। खिलाड़ियों के लिए अच्छे अवसरों की तलाश और उसके लिए उन्हें तैयार करने की जिम्मेदारी जिस जिला क्रिकेट संघ की है उसी में घमासान मचा हुआ है। आखिर खेल और खिलाड़ियों के लिए नया माहौल तैयार हो भी तो कैसे ?
जिला क्रिकेट संघ 11 सदस्यों का संघ है। इन्हीं में से संघ के पदाधिकारी चुने जाते हैं। पदाधिकारी सचिव के कार्य व्यवहार को लेकर भारी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। गंभीर आरोप यह है कि सचिव टीम के कोच और कप्तान की भी नहीं चलने देते। सचिव ही टीम बनाते हैं और खुद ही यह भी तय करते हैं कि मैच में कौन खिलाड़ी बैटिंग या बालिंग करेगा। पदाधिकारियों का मानना है कि यह सब खिलाड़ी की प्रतिभा के आधार पर तय होना चाहिए और निर्णय टीम के कोच व कप्तान पर छोड़ देना चाहिए। बताया जाता है पदाधिकारी संघ के सचिव के व्यवहार और कार्य से इतने नाखुश हैं कि बात इस्तीफा देने तक पहुंच गई है। कुछ पदाधिकारी इस्तीफा दे भी चुके हैं और बात मान – मनौव्वल की हो रही है । नाराज पदाधिकारियों का कहना है कि संघ के कार्य में सचिव अपनी मनमानी चलाने की कोशिश करते रहे हैं । पदाधिकारियों कहना है कि जब मान – सम्मान ही नहीं रहेगा तो ऐसे पद पर क्यों रहें? पदाधिकारियों का कहना है कि सचिव का काम खेल गतिविधियों को संचालित करना होता है, खिलाड़ी का प्रदर्शन देखना और मैच में उसकी भूमिका तय करना कोच व कप्तान का काम है। गंभीर मामला यह भी है कि सचिन संघ के कार्यों की जानकारी तक पदाधिकारियों को नहीं देते । पदाधिकारी केवल नाम की खातिर तो संघ में मौजूद नहीं हैं। कुछ सचिव को बोलने का साहस नहीं जुटा पाते, परंतु कुछ ऐसे भी हैं, जो सचिव का खुले रूप में विरोध कर रहे हैं । संघ की मीटिंग में कई बार इस मामले को लेकर पदाधिकारी अपना विरोध जाहिर कर चुके हैं। संघ की बैठक में सचिव द्वारा यह कहा भी गया था कि पदाधिकारियों की सहमति से ही कोई काम किया जाएगा।
चहेतों के लिए सब कुछ एक तरफ
पदाधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि सचिव अपने चहेते खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें कोच, मैनेजर बनाकर भेजते हैं। इसमें योग्यता और कुशलता की कोई परख नहीं की जाती। इससे खेल और खिलाड़ियों का नुक़सान हो रहा है। यह भी आरोप काफी गंभीर है कि पदाधिकारियों को संघ के कुछ फैसलों को लेकर नाराजगी जाहिर करने के बाद भी पुनर्विचार नहीं किया जाता। अपनी ही चलाने की कोशिश की जाती है।
ट्रायल के लिए खिलाड़ियों से शुल्क
खिलाड़ियों के चयन लिए ट्रायल मैचों में शुल्क लिया जाता है। खिलाड़ियों से ₹500 का शुल्क लिया जाता है। पदाधिकारियों ने इस शुल्क को 100 या ₹200 में करने का सुझाव रखा गया था। कुछ तो इसके भी खिलाफथे। उनके सुझावों को दरकिनार कर दिया गया। पदाधिकारियों को संघ के अध्यक्ष की भूमिका को लेकर भी शिकायत है। कहा जा रहा है कि सचिव उनकी बात भी नहीं सुनते। पिछले 10 वर्षों से सचिव के पद में एक ही व्यक्ति के बने रहने और उन्हें हटाने की भी बात उठ चुकी है, परंतु प्रदेश क्रिकेट संघ पदाधिकारियों ने ऐसा होने नहीं दिया। प्रदेश क्रिकेट संघ के वरदहस्त की वजह से जिला क्रिकेट संघ खींचतान का माहौल बना हुआ है। जाहिर है जब संघ में ऐसा माहौल हो तो उसके असर से खेल और खेल भावना अछूती कैसे रह सकती है। खिलाड़ियों से दुर्व्यवहार और उनके साथ अपशब्दों के प्रयोग की शिकायतें सुनाई देने लगी हैं। खिलाड़ियों के परिजन विरोध भी जता चुके हैं।इन परिस्थितियों में कई खिलाड़ी जिला क्रिकेट संघ से नाता तक तोड़ चुके हैं। इससे जिले में क्रिकेट खेल खिलाड़ियों का नुकसान हो रहा है।
जिले में क्रिकेट का अच्छा माहौल
जिले में शहरों से लेकर गांवों तक छोटी बड़ी प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। कई क्रिकेट अकादमियां भी हैं, जो खिलाड़ियों आगे बढ़ाने में लगी हुई हैं।अगर अच्छी प्लानिंग से खेल स्पर्धाएं हों तो हर प्रतिभावान खिलाड़ी अवसरों का आगे आकर लाभ उठा सकते हैं पर यहां ऐसा वातावरण तैयार करने में जिला क्रिकेट संघ नाकाम रहा है। उसकी चर्चा खेल आयोजनों के लिए कम पदाधिकारियों की आपसी खींचतान के लिए ज्यादा होती रही है।
हमें जानकारी नहीं
जिला क्रिकेट संघ में सचिव के क्रियाकलापों से नाराज होकर कुछ पदाधिकारियों के इस्तीफे की स्थिति की मुझे जानकारी नहीं है। ऐसी कोई बात संज्ञान में आने पर कुछ कह सकता हूं।
मुकुल तिवारी
सचिव
छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ, रायपुर