बिलासपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा की हाईप्रोफाइल सीट बिलासपुर से एक बार फिर पिछले चुनाव के प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने हो सकते हैं। भाजपा ने पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को पिछले चुनाव में मिली हार को भुलाकर छठवीं बार मौका दिया है तो कांग्रेस ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। संभावना व्यक्त की जा रही कि एक बार फिर मौजूदा विधायक शैलेष पाण्डेय ही कांग्रेस प्रत्याशी होंगे। दोनों चुनाव मैदान में उतर चुकें हैं और चुनावी तीर चलने शुरू हो गए हैं।

अमर अग्रवाल  शहर के अपराधों का गढ़ बन जाने का सवाल  जनता के सामने रख रहे हैं और भरोसा दिला रहे हैं कि अपराधियों पर पहले  दिन से नकेल कसेंगे। वह बता रहे  हैं कि 15 साल की उनकी सरकार में अपराधियों में डर था, माफियाओं पर लगाम थी। कांग्रेस की सरकार में प्रदेश और शहर में अपराध इतना बढ़ गया है कि लोगों में डर बैठ गया है।  हत्या , चाकूबाजी,  डकैती,  चोरी जैसे मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। पुलिस व्यवस्था पूरी तरह से  ध्वस्त हो चुकी है।  बहन- बेटियों को शहर में  निकलने में डर लगने लगा है।  युवा पीढ़ी  नशे में डूबती जा रही है। पुलिस का निजात अभियान भी खोखला साबित हो रहा है। अपराधों पर पुलिस का कोई नियंत्रण नहीं है।

इधर शहर विधायक शैलेष पाण्डेय भी अमर अग्रवाल को घेरने में पीछे नहीं हैं । वह सवाल उठा रहे हैं कि जब शहर की जनता कोरोना महामारी झेल रही थी तो अमर अग्रवाल कहां थे ? उन्होंने प्रभावित लोगों की सुध तक नहीं ली। चुनाव के समय आम जनता की हिमायती  बनते फिर रहे हैं। लॉकडाउन में शहर की जनता घरों में कैद हो गई थी। गरीब जनता को घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया था।  शहर की जनता ने उनको लगातार चार बार विधायक चुना था , जनता उनकी मदद के लिए  आगे आना चाहिए था। अपने कार्यकर्ताओं तक की मदद नहीं की।  इलाज के लिए , अनाज के लिए लोगों  के फोन आ रहे थे। जनता के बीच  वोट मांगने जाएंगे तो उनको जनता ही जवाब देगी। श्री पाण्डेय बता रहे  हैं कि उनकी कांग्रेस सरकार ने कोरोना काल में लोगों की हर तरह की मदद की । इलाज से लेकर अनाज तक, लोगों को घर चलाने के लिए सरकार हर चीज उपलब्ध कराई। भाजपा  सरकार में ही बिलासपुर शहर ‘खोदापुर’ बन गया था। कांग्रेस सरकार में शहर का विकास , प्रदेश का विकास हुआ है और छत्तीसगढ़ी संस्कृति को पूरे देश में पहचान मिली  है । रमन सिंह सरकार में प्रदेश में इतना भ्रष्टाचार हुआ है कि जनता ने उनको सत्ता से हटाया और पार्टी 15 सीटों पर सिमट गई ।

चुनावों में जनता सबकी सुनती है और फिर अपना निर्णय सुनाती है। जनता की अदालत में सघ-झूठ का फैसला होता है। 3 दिसंबर को जनता  का फैसला आएगा तो पता लगेगा कि जनता अपराध को काबू करने या कोरोना काल में मदद के सवालों में से  किसे चुनती है ?  इस विधानसभा चुनाव में यही दो मुद्दे अभी सुर्खियों में हैं ।

कोरोना काल की याद 

कोरोना के दौरान गरीबों को राशन बांटने के लिए भीड़ जुटाने पर शैलेष पाण्डेय के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। विधायक ने अपनी जिम्मेदारी निभाते  हुए जनता की सेवा, इलाज के लिए एसईसीएल से लाखों रुपए जुटाने की भी पहली की थी। महामारी के दौरान वे लोगों की मदद के लिए पहुंच जाते थे।

शहर में अपराध 

शहर में अपराधों खासकर असुरक्षा की भावना पैदा करने वाले अपराधों का ग्राफ़ बढ़ा है।अमर अग्रवाल  के मंत्रित्व काल में अपराधों  पर नियंत्रण के लिए प्रभावी कार्रवाई हो  रही थी।माफिया गलत काम करने से डरते थे ।उनके मंत्रित्व काल को शहर की जनता याद करती है।

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