प्रेस क्लब में काव्य गोष्ठी, डॉ. सुधीर सक्सेना, खुर्शीद हयात, तनवीर हसन और दलजीत कालरा ने किया काव्य पाठ
बिलासपुर । आदमी के भीतर आदमी को मारा आदमी के गुमान ने। डॉ.सुधीर सक्सेना के रचनापाठ में समाज, प्रेम, पर्यावरण और इंसान की बदलती सोच का चित्रण था। डॉ.सक्सेना ने पहली कविता ‘272’ पढ़ी, जिसमें एक अरब 40 करोड़ के भारत पर लोकसभा में बहुमत के लिए जरूरी 272 की संख्या के हावी होने का चित्रण था। उनकी अखकार शीर्षक वाली दूसरी कविता भी काफी पसंद की गई, जिसमें व्यंग्य किया गया है कि अखबार वे लोग निकाल रहे हैं जो तोप के मालिक हैं। हाथियों के दुश्मन हो गए हाथी दांत और प्रेमियों की जान ली प्रेम ने, कविताएं भी सराही गईं।
बिलासपुर प्रेस क्लब में रचनात्मक पहल के तहत काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें पटना से खुर्शीद हयात गुवाहाटी से तनवीर हसन, भोपाल-दिल्ली से सुधीर सक्सेना और मनेन्द्रगढ़ से दलजीत सिंह कालरा ने रचना पाठ किया। गुरू घासीदास केन्द्रीय विवि. में हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र को सेवानिवृत्ति पर प्रेस-क्लब ने विदाई दी और स्मृति चिन्ह भेंट किया। डॉ.देवेन्द्र ने कहा प्रेसक्लब की यह पहल सराहनीय है। इसे लगातार आगे बढ़ाना चाहिए और दूसरी कड़ी का आयोजन शीघ्र होना चाहिए। डॉ. सुधीर सक्सेना ने कहा लेखक का वास्तविक परिचय उसकी रचनाएं होती हैं। हर रचनाकार का एक बिलासपुर होता है, मेरा बिलासपुर यहीं है।

खुद में खुद की तलाश- खुर्शीद
खुर्शीद हयात ने अरपा पर पंक्तियां सुनाई- अंदर ही अंदर क्यों बहती हो अरपा, तुम्हें तो फल्गू की तरह सीता का श्राप नहीं।
दूसरी रचना खुद में खुद की तलाश बेहद पसंद की गई। जिसका सार था थोड़ी देर मौन रहकर खुद में खुद की तलाश क्यों नहीं करते लोग।

सिमटती है जलवस्त्रों में नदी- हसन
गुवाहाटी से आए तनवीर हसन की कविताओं में प्रेम, पर्यावरण और ग्रामीण परिवेश की झलक थी। उनकी रचनाओंं में भी बिलासपुर का प्रभाव था। अमलडीहा पर कविता में एक नदी का तट, दिखता कोई किनारा नहीं, सुदूर एक गांव, न जाने रहता है कौन, सिमटती है जलवस्त्रों में नदी। टिटहरियां उठती है सांझ-सवेरे बवंडर बनकर। एक अन्य रचना हाईवे पर बैलगाड़ी भी सराही गई।

कविता अपने आप बन जाती है- दलजीत
मनेन्द्रगढ़ से आए दलजीत सिंह ने कहा कविता अपने आप बन जाती है। उन्होंने कोयले पर कविता में कहा कि -बरसों पहले तूफान और उथल-पुथल ने पेड़ों को बनाया कोयला। यह उथल-पुथल अब भी जारी है। उन्होंने अपनी कविता में अरपा की स्थिति पर सार्थक प्रस्तुति की और चिडिय़ा के घोंसले के माध्यम से समाज की विसंगतियों पर प्रहार किया।

कार्यक्रम का संचालन राजेश दुआ ने किया। अध्यक्षीय सम्बोधन वीरेन्द्र गहवई और आभार प्रदर्शन इरशाद अली ने किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल, रामकुमार तिवारी, कपूर वासनिक, डा. सत्यभामा अवस्थी, डॉ. अजय श्रीवास्तव, ज्ञान अवस्थी, अनु चक्रवर्ती, अतुलकांत खरे, महेश श्रीवास, दिनेश्वर जाधव, विनीत चौहान, द्वारका प्रसाद अग्रवाल, सईद खान, सनत दुबे, तिलक राज सलूजा, वीरेन्द्र अग्रवाल, अनूप पाठक, सुमित शर्मा, सहित बहुत से साहित्य प्रेमी और पत्रकार उपस्थित थे। प्रेस क्लब अध्यक्ष वीरेन्द्र गहवई ने कहा कि श्रृंखला की दूसरी कड़ी का आयोजन भी शीघ्र किया जाएगा। रचनात्मक पहल की शुरूआत हो चुकी है। इसे और विस्तारित किया जाएगा।

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