नई दिल्ली। Gold price: सोने को हमेशा सुरक्षित निवेश का माध्यम माना जाता है। जब दुनिया में तनाव या युद्ध की स्थिति होती है, तो निवेशक सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने की ओर रुख करते हैं। लेकिन जब वैश्विक परिस्थितियां स्थिर और शांत होती हैं, तो सोने की मांग घटने लगती है और कीमतें नीचे आने लगती हैं। वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य से मिले संकेत बताते हैं कि आने वाले महीनों में सोने की कीमत 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे चार प्रमुख कारण हैं, जिनका केंद्र अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं।
Gold price: पिछले कुछ महीनों में मंदी, युद्ध की आशंका और व्यापारिक तनावों के कारण सोने और चांदी की कीमतों में तेज उछाल देखा गया था। लेकिन अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होती दिख रही है। देशों के बीच रिश्तों में सुधार और व्यापारिक स्थिरता के संकेत मिलने से निवेशकों का भरोसा फिर से शेयर बाजारों की ओर लौट रहा है। यही वजह है कि सोने-चांदी की चमक फीकी पड़ सकती है।
Gold price: अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे टैरिफ युद्ध और सप्लाई चेन विवाद ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया था। लेकिन अब दोनों देशों के बीच सकारात्मक बातचीत जारी है और जल्द ही एक बड़ा व्यापारिक समझौता होने की संभावना है। यदि यह डील होती है, तो निवेशकों का ध्यान शेयर और औद्योगिक क्षेत्रों की ओर जाएगा, जिससे सोने की मांग घटेगी और कीमतों में गिरावट आ सकती है।
Gold price: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता देश है। यदि भारत और अमेरिका के बीच नया व्यापार समझौता होता है, तो इससे विदेशी निवेश में बढ़ोतरी और रुपये में मजबूती आएगी। रुपये के मजबूत होने से सोना आयात सस्ता होगा और घरेलू बाजार में सोने के दाम गिर सकते हैं। इस कारण सोने की कीमतें 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे जा सकती हैं।
Gold price: मध्य पूर्व का तनाव हमेशा से वैश्विक बाजारों को प्रभावित करता रहा है। इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने तेल कीमतों और आपूर्ति श्रृंखला पर असर डाला था, जिससे निवेशकों ने सोने में निवेश बढ़ा दिया था। लेकिन अब संघर्ष विराम की दिशा में बातचीत बढ़ रही है और ट्रंप इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। अगर यह समझौता होता है, तो बाजारों में स्थिरता लौटेगी और सोने की कीमतें स्वाभाविक रूप से घटेंगी।
Gold price: दक्षिण एशिया में अस्थिरता के कारण निवेशक अक्सर सतर्क रहते हैं। यदि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच स्थायी सीजफायर होता है, तो क्षेत्रीय आर्थिक स्थिरता और निवेश में सुधार देखने को मिलेगा। जब निवेशक जोखिम लेने के लिए तैयार होते हैं, तो वे शेयर बाजारों की ओर रुख करते हैं, जिससे सोने की मांग घट जाती है। इन चार अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का सीधा या परोक्ष रूप से संबंध अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से है। यदि वे इन मोर्चों पर सफल रहते हैं, तो वैश्विक बाजारों में स्थिरता आने के साथ सोने की कीमतों में गिरावट तय है। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले महीनों में सोने का भाव 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे जा सकता है, जिससे निवेशकों को नई रणनीति अपनाने की आवश्यकता होगी।


 
		 
	

 
