नई दिल्ली।  GST reforms:  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में  आज हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में आम लोगों को राहत देने वाले कई बड़े फैसले लिए गए। इस बैठक में 2,500 रुपये तक के जूते-चप्पल और कपड़ों पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% करने का निर्णय लिया गया, जिससे ये उत्पाद सस्ते होंगे। इसके साथ ही, 12% और 28% के टैक्स स्लैब को समाप्त करने का भी फैसला हुआ, जो उद्योगों और उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

GST reforms:  जीएसटी परिषद ने 2,500 रुपये तक की कीमत वाले फुटवियर और परिधानों को 5% जीएसटी स्लैब में शामिल करने का निर्णय लिया। पहले यह छूट केवल 1,000 रुपये तक के उत्पादों पर थी, जबकि इससे अधिक कीमत वाले उत्पादों पर 12% जीएसटी लागू होता था। इस फैसले से आम उपभोक्ताओं को सस्ते कपड़े और जूते मिलेंगे, साथ ही फुटवियर और टेक्सटाइल उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

GST reforms:  बैठक में 12% और 28% के जीएसटी स्लैब को खत्म करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इन स्लैब के अधिकांश उत्पादों को अब 5% और 18% के स्लैब में स्थानांतरित किया जाएगा। इस कदम से न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि कर प्रणाली को सरल बनाने में भी मदद मिलेगी। सूत्रों के अनुसार, इस बदलाव से टेक्सटाइल और फुटवियर जैसे क्षेत्रों में निवेश और उत्पादन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

राज्यों ने जताई चिंता

GST reforms: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि जीएसटी सुधारों से उनके केंद्र शासित प्रदेश को 10-12% राजस्व नुकसान हो सकता है, जो हाल के पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद वित्तीय संकट को और गहरा सकता है। विपक्ष शासित राज्यो जैसे हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ने भी जीएसटी पुनर्गठन से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई की मांग की। झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि जीएसटी सुधारों से उनके राज्य को 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि केंद्र सरकार इस नुकसान की भरपाई के लिए सहमत होती है, तो वे इन सुधारों को मंजूरी देने के लिए तैयार हैं।

सरकार का मत

GST reforms:  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों ने हिस्सा लिया। यह बैठक जीएसटी प्रणाली को और सरल बनाने, उपभोक्ताओं को राहत देने और उद्योगों को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन फैसलों से न केवल आम लोगों को लाभ होगा, बल्कि भारत की आर्थिक वृद्धि को भी नई गति मिलेगी।

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