दुर्ग। Herbal Gulal : होली के रंगों को प्राकृतिक और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित बनाने के लिए दुर्ग जिले के पुरई गांव की ओम साईं स्व सहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हुई हैं। चुकंदर, पलाश, गेंदे के फूल और पालक जैसे प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग करके तैयार किया जा रहा यह गुलाल न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि त्वचा के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है।
Herbal Gulal : समूह की महिलाएं अब तक 100 किलो से अधिक हर्बल गुलाल का निर्माण कर चुकी हैं, जिसकी क्षेत्र में भारी मांग है। कोरबा, धमतरी और आसपास के जिलों से आने वाले ऑर्डर को पूरा करने के लिए महिलाएं दिन-रात मेहनत कर रही हैं। गुलाल बनाने की प्रक्रिया में पहले प्राकृतिक सामग्री को सुखाया जाता है, फिर उसे मिक्सी में पीसकर बारीक पाउडर तैयार किया जाता है। इसके बाद महिलाएं गुलाल की पैकेजिंग करके उसे बाजार में भेजती हैं। समूह की सदस्य आशा साहू ने बताया, हम बिना किसी केमिकल के प्राकृतिक चीजों से गुलाल बना रहे हैं।
Herbal Gulal : यह त्वचा के लिए बिल्कुल सुरक्षित है। हमें कोरबा, धमतरी और आसपास के जिलों से ऑर्डर मिल रहे हैं। गांव में हम इसे ₹100 प्रति पैकेट के हिसाब से बेच रहे हैं। समूह की एक अन्य सदस्य पुनीता साहू ने कहा, मैं 2023 से इस समूह से जुड़ी हूं। यहां हर त्योहार पर अलग-अलग प्रकार के सामान बनाए जाते हैं। हर्बल गुलाल बनाने से हमें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला है। समूह की कविता सोनवानी ने बताया कि बिहान संस्था के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने यह काम शुरू किया।
Herbal Gulal : उन्होंने कहा, हमारे गुलाल में पालक, चुकंदर, पलाश और गेंदे के फूल का इस्तेमाल होता है, जो त्वचा के लिए लाभदायक है। महिलाएं बहुत खुश हैं कि वे घर बैठे आत्मनिर्भर बन रही हैं। ओम साईं स्व सहायता समूह की महिलाएं न केवल हर्बल गुलाल बना रही हैं, बल्कि राखी, मोमबत्ती और दिये जैसे उत्पादों का निर्माण भी कर रही हैं। प्रशासन द्वारा समय-समय पर इन्हें बाजार उपलब्ध कराया जाता है, जिससे उनके उत्पादों की बिक्री में मदद मिलती है।

