कहीं देवताओं के नाराज होने का डर तो कहीं फसल बर्बाद होने का अंदेशा 

• अतुल कांत खरे

बिलासपुर(Fourthline )। Holi beliefs: एक ओर जहां  देशभर में होली का पर्व पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है वहीं छत्तीसगढ़ में कुछ गांव ऐसे हैं, जहां लोग रंग खेलना तो दूर होलिका भी नहीं जलाते।

Holi beliefs: गरियाबंद के मैनपुर मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर खजूरपदार में सालों से होली नहीं मनाई जाती । यहां ग्रामीणों का यह मानना है की होली मनाने से देवी नाराज हो जाती हैं।  यहां होली खेली गई थी तब पूरे गांव को चेचक और उल्टी दस्त प्रकोप हुआ था। जब देवी से माफी मांगी गई तब लोग ठीक हुए। उसी समय से यहां होली नहीं मनाई जाती। इसी तरह बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला ब्लाक के खमरिया और करकेली गांव में 300 से ज्यादा परिवार होली नहीं मनाते। यहां मान्यता है कि होली जलाने से फसल बर्बाद हो जाती है। वर्षों पूर्व होली जलाई थी तब शेर एक व्यक्ति को उठा ले गया था और उस साल लोगों की फसल नष्ट हो गई थी।

Holi beliefs: सरायपाली विकास खंड के सहजपानी,  सरगुनभाटा , बामनीद्वार,  गौरव हाली और पटेरपाली में भी लगभग 100 सालों से होली नहीं खेली जाती । यहां होली के दिन सन्नाटा छाया रहता है और लोग घर से बाहर भी नहीं निकलते‌। कोरबा के खरहरी गांव में सालों से होली नहीं खेली गई । इस गांव में होली के दिन फसलों में आग लगने की घटना हुई और तब से लोग यहां होली नहीं मनाते। कोरबा से तीस किमी दूर थमनागुड़ी गांव में मान्यता है कि देवी-देवता नाराज हो जाते है। वर्षों पहले लोगों ने नशे की हालत में भारी उत्पात मचाया था। इसे  देवी का प्रकोप माना गया और तब से यहां होली नहीं मनाई जाती। रायगढ़ जिले के हटरापानी में भी सालों से होली नहीं मनाई गई । यहां भी लोगों को देवी के प्रकोप  का डर सताता है।

Holi beliefs: इसी तरह रायपुर के पास लालपुर गांव है, जहां वर्षों से होली नहीं मनाई गई। इस गांव को कुंवारा गांव भी कहा जाता है। यहां होलिका दहन भी नहीं होता। इस दिन यदि किसी दूसरे गांव का व्यक्ति यहां आ जाता है तो वह भी रंग नहीं खेलता। इसके पीछे मान्यता है कि जो रंग खेलेगा वह लंबे समय तक बीमार रहेगा। इसी अनहोनी की आशंका से लालपुर में होलिका दहन की शाम से घरों दरवाजे बंद हो जाते हैं जो होली के अगले दिन खुलते हैं। बहुत से घरों में यदि मेहमान आ जाए तो सामने के बजाय पीछे के दरवाजे से प्रवेश दिया जाता है। मेहमानों को भी कहा जाता है कि किसी भी किस्म का रंग गुलाल ना खेलें। यहां यह  किंवन्दती है कि यदि इस दिन लोगों ने रंग गुलाल खेल लिया तो  लड़के कुंवारे रह जाते हैं। कल जहां छत्तीसगढ़  में होली का उल्लास मनाया जाएगा और होली का दहन किया जाएगा , इन गांवों में सन्नाटा पसरा रहेगा।

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