वाराणसी। Holi of Kashi: उत्तर प्रदेश के वृंदावन के साथ धर्म की नगरी काशी की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। रंगभरी एकादशी से होली का खुमार बनारस के लोगो पर चढ़ गया है। काशी के हरिश्चंद्र घाट पर होने वाली अद्भुत और अकल्पनीय होली नागा साधुओं और अघोरियों के साथ श्रद्धालुओं ने खेली।
Holi of Kashi: महाश्मशान घाट पर जलती हुई चिताओं के बीच नागा साधु, अघोरी, कलाकारों के साथ काशीवासी और पर्यटकों ने रंग- गुलाल के साथ चिताओं की राख (भस्म) से होली खेली । काशी की इस अनोखी होली को देखने और इसमें शामिल होने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग पहुंचे और चिताओं के भस्म से होली खेल महाश्मशान घाट पर होली मनाई।
Holi of Kashi: काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है, शास्त्रों में इस नगरी को भगवान शिव के निवास स्थान बताया गया है। ऐसे में भगवान शिव की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी से होली का पर्व शुरू होता है। प्रयागराज महाकुंभ से लौटे नागा और अघोरी महाशिवरात्रि से ही काशी में निवास कर रहे है। होली के पर्व पर वह अपने आराध्य भगवान शिव के साथ होली खेलने के लिए महाश्मशान घाट पहुंचते और यहां जलती हुई चिताओं के बीच भस्म से होली खेली।
Holi of Kashi: हरिश्चंद्र घाट पर चिताओं के बीच खेले जाने वाली होली से पहले निकली झांकी में हजारों लोग शामिल हुए। झांकी में नरमुंड के सिंहासन और नरमुंड धारण किए कलाकारों ने लोगो को अपनी तरफ आकर्षित किया। वही काशी में आए इस दृश्य को देख काफी आश्चर्यचकित रहे। सैलानियों के अनुसार उन्होंने भारत के कई राज्यों में होली का पर्व देखा है, लेकिन जो होली काशी में देखने को मिली वह सभी से अलग है।

