हृदेश केशरी
बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बिलासपुर सीट से भाजपा के आधा दर्जन से अधिक नए चेहरों ने टिकट की दावेदारी की है। इनमें कुछ डॉक्टर, शिक्षाविद् और व्यापार जगत से जुड़े लोग भी हैं। इधर लगातार चार बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने विकास खोजो अभियान में निकलकर छठवीं बार इस सीट से चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी है।अब देखना होगा कि पार्टी एक बार फिर अमर अग्रवाल को ही मैदान में उतारती है किसी या नए चेहरे पर दांव लगाती है।
बिलासपुर सीट पर इस चुनाव में भी भाजपा की चुनौतियां कम होने वाली नहीं हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस से उसे इस बार और कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है। ऐसे में उसे पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरना होगा। पार्टी से अमर अग्रवाल फिर एक बार चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने शहर में विकास खोजो अभियान शुरु करके एक बार फिर चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी है।।इस बीच कुछ नए चेहरों के नाम भी उभरकर सामने आए हैं, जिन्होंने टिकट की दावेदारी की है।
इनमें शहर जाने-माने चिकित्सक डॉ अभिराम शर्मा भी हैं। डा. शर्मा बिलासपुर शहर में पिछले 40 वर्षों से प्रेक्टिस कर रहे हैं। उन्हें शहर में गरीबों का डाक्टर कहा जाता है। मरीज देखने की उनकी फीस आज भी 50 रूपए है। कभी उनकी फीस 20 रूपए होती थी। पहले भी वह भाजपा से बिलासपुर विधानसभा सीट के लिए टिकट की दावेदारी कर चुके हैं। अगर पार्टी नए चेहरे को मैदान में उतारने पर विचार करती है तो उनके नाम पर विचार किया जा सकता है।
ऐसे ही नए चेहरों में डॉ. विनोद तिवारी भी हैं। डा. तिवारी हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और 20 वर्षों से चिकित्सा सेवा से में हैं। वह संघ परिवार से भी जुड़े हुए हैं। वे आरएसएस के विभाग सरसंघचालक हैं। एक डॉक्टर, संघ स्वयंसेवक व पार्टी कार्यकर्ता के रूप में उनका शहर में अच्छा जनसंपर्क बना हुआ है। सन् 2019 में बिलासपुर से लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने टिकट की दावेदारी की थी। उनका नाम तेजी से उभरा भी था , लेकिन जातीय समीकरण को देखते हुए पार्टी ने अरुण साव को टिकट देने फैसला किया
। एक नया चेहरा व्यापार जगत से भी है, जिनकी चर्चा पार्टी में पहले भी होती रही है। सुरेन्द्र गुंबर शहर के जाने पहचाने व्यापारियों में हैं। 1990 से भाजपा की सक्रिय राजनीति में हैं। भाजपा से टिकट की दावेदारी पहले भी कर चुके हैं । शहर में अपने सहज व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। व्यवसायियों में वह शहर का एक लोकप्रिय चेहरा हैं।
टिकट के दावेदारों में एक नाम डॉ ललित मखीजा का भी है। वह आंखों के डॉक्टर हैं और पिछले 20 वर्षों से डाक्टरी के पेशे में हैं। वह भाजपा के हिन्दूवादी चेहरा हैं। विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने पहली बार टिकट की दावेदारी की है।
पार्षद रामा राव भी टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। वह पिछले 20 वर्षों से रेलवे परिक्षेत्र से पार्षद हैं। नगर निगम में एमआईसी मेंबर रह चुके हैं। रेलवे क्षेत्र में जननेता की छवि रखते हैं।
शिक्षाविद् एवं छात्र राजनीति से आए राकेश तिवारी भाजपा की राजनीति में 30 वर्षों से सक्रिय हैं। भाजपा के किसान मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी में भी हैं। शहर में युवा भाजपा नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। जनपद उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं ।
शहर के चाटापारा क्षेत्र से पांच बार पार्षद का चुनाव जीत चुके राजेश सिंह भी बिलासपुर सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। उन्होंने भी अपनी दावेदारी पेश कर दी है।वह अपने क्षेत्र में जननेता के रूप में पहचाने जाते हैं। इस समय नगर निगम में उपनेता प्रतिपक्ष हैं। हिंदुत्ववादी नेता के रूप में शहर में उनकी पहचान है ।
शिक्षाविद् एवं भाजपा के प्रदेश शिक्षा प्रकोष्ठ में पदाधिकारी बृजेन्द्र शुक्ला ने भी भाजपा से टिकट की दावेदारी की है। शिक्षाविद् के रूप में शहर में उनकी अच्छी पहचान है। पिछले 15 वर्षों से संघ परिवार से जुड़े हुए हैं। लम्बे समय से संघ पदाधिकारी के रूप में कार्य करते आ रहे हैं।
भाजपा से टिकट चाहने वाले नेताओं की लंबी लिस्ट इसलिए भी है क्योंकि उन्हें लग है कि पार्टी इस चुनाव में नया चेहरा उतार सकती है। भाजपा किस पर दांव लगाएगी अभी से कहना मुश्किल है। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने बिलासपुर से प्रत्याशी के लिए अंदरूनी सर्वे शुरू कर दिया है। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने भी सक्रिय होकर पार्टी को यह संदेश दे दिया है कि छठवीं बाद चुनाव लड़ने की उनकी पूरी तैयारी है। अपने विकास खोजो अभियान में वह जनसंपर्क करते हुए लोगों को सरकार की नाकामियां गिना रहे हैं और अपने मंत्रित्वकाल में हुए कार्यों को सामने रख रहे हैं।
इस बीच अगर कांग्रेस में सब कुछ सामान्य रहा तो यह तय है कि वह अपने सीटिंग एमएलए शैलेष पाण्डेय को दोबारा उतारेगी। श्री पाण्डेय एक निजी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार के पद से इस्तीफा देकर सीधे चुनाव मैदान में उतरे थे।उनका यह पहला ही चुनाव था और लगातार चार चुनाव जीतते आए सशक्त उम्मीदवार को हराकर उन्होंने बिलासपुर राजनीति में अपना एक मुकाम बना लिया। भाजपा को भी पता है कि इस बार बिलासपुर का चुनावी दंगल काफी दिलचस्प होने वाला है इसलिए मुकाबले के लिए योग्य प्रत्याशी चुनना भी मायने रखता है।