कारगर साबित हुआ़ संगठन में सक्रिय लोगों को आगे रखने का फार्मूला
• अजय गुप्ता
सूरजपुर (fourthline)। विधानसभा चुनावों में भाजपा ने चुनावी सफलता का नया फार्मूला तलाश लिया। पार्टी संगठन में सक्रिय लोगों को आगे रखने की नीति सफल रही और उससे बड़ी जीत हासिल हुई। इससे संगठन को नए व ऊर्जावान लोगों की एक नई टीम भी तैयार हो गई है, जिससे क्षेत्रीय आकांक्षाएं भी हिलोरे ले रही हैं।
जिले में जहां एक सीट जीतना मुश्किल लग रहा था ,वहां पार्टी ने तीनों सीटें वह भी बड़े वोटों के अन्तर से जीत ली। इस जीत में भाजपा जिलाध्यक्ष बाबूलाल अग्रवाल की अहम भूमिका रही। संगठन में सक्रिय नए लोगों को आगे रखने की उनकी नीति सफल रही और पार्टी जिले की तीनों सीटें जीतने में कामयाब हो गई। जिले को सरकार में मंत्री का भी एक पद मिल गया।अब वे लोकसभा चुनाव में जीत दोहराने के काम में जुट गए हैं।
बाबूलाल अग्रवाल को तीन साल पहले जब जिला भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी,जिले की तीनों सीटें कांग्रेस के कब्जे में थीं। श्री अग्रवाल ने अध्यक्ष पद संभालने के साथ ही यह तय कर लिया था कि तीनों विधानसभा सीटों पर पार्टी को जिताना है। इसके लिए उन्होंने दीर्घकालिक रणनीति पर काम शुरू किया। उन्होंने संगठन में सक्रिय नए लोगों को आगे रखना शुरू किया। सरकार में मंत्री पद पाने वाली अकेली महिला लक्ष्मी राजवाड़े जिले की भटगांव विधानसभा सीट से 43 हजार से अधिक मतों से विधायक निर्वाचित हुईं हैं। लक्ष्मी राजवाड़े संगठन में सक्रिय रहकर पंचायत की राजनीति कर रही थीं। वह पहले जनपद सदस्य का चुनाव जीतीं और उसके बाद जिला पंचायत का सदस्य बनीं। एक सक्रिय महिला कार्यकर्ता के रूप में उनकी क्षमता को बाबूलाल गोयल ने पहचाना और जिले में महिला मोर्चा की जिम्मेदारी उन्हें सौंपने की अनुशंसा कर दी। लक्ष्मी राजवाड़े को जिला महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया गया। इस पद पर रहकर लक्ष्मी राजवाड़े ने जिले में महिलाओं के बीच सराहनीय कार्य किया। विधानसभा चुनावों में उनके इन्हीं कार्यों और महिलाओं के बीच लोकप्रियता के आधार पर उन्हें भटगांव विधानसभा सीट का उम्मीदवार बनाया गया और पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति ने उनके नाम पर मुहर लगा दी। वह भारी मतों से जीतीं भी। जिले की एक और सीट प्रेमनगर से भी नये चेहरे को उतारने का फैसला संगठन का ही था। यहां से विधायक निर्वाचित हुए भूलन सिंह मरावी पार्टी में लम्बे समय से सक्रिय थे। सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य भी चुने गए। पार्टी में उन्हें नई पहचान मिली जब बाबूलाल अग्रवाल ने उन्हें अपनी कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष बनाया और जिला स्तर पर पार्टी की गतिविधियों में उन्होंने योगदान देना शुरू किया उनके कामों की सराहना पार्टी स्तर पर होने लगी और पार्टी के काम से ही क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता भी बढ़ी, जिसका नतीजा रहा कि उनको विधानसभा का उम्मीदवार बनाया गया। प्रेमनगर पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह का गृह क्षेत्र है। वह प्रेमनगर सीट से विधायक और भाजपा की डा.रमन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुकी थीं। पार्टी उन्हें इस सीट से उतार सकती थी, लेकिन संगठन ने इस सीट से भी नया चेहरा लाने का फैसला किया और भूलन सिंह मरावी का नाम आगे कर दिया गया। भूलन सिंह कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता खेलसाय सिंह को हराकर विधायक बन गए। अब विधायक के रूप में उन्हे अपनी नई भूमिका निभानी है।सूरजपुर का जिला मुख्यालय भी उनके ही निर्वाचन क्षेत्र में आता है, जिससे उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।
जिले की तीसरी सीट प्रतापपुर की प्रतिष्ठित सीट रही है। यहां से पार्टी विधायक रहे रामसेवक पैकरा डा. रमन सिंह सरकार में गृहमंत्री थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस के डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम इसी सीट से जीतकर सरकार में मंत्री बने थे। प्रतापपुर सीट सूरजपुर जिले की ही सीट है, लेकिन इसका आधा क्षेत्र बलरामपुर – रामानुजगंज जिले में आता है। संगठन की दृष्टि से भाजपा ने इस क्षेत्र को बलरामपुर जिले में ही रखा है। सूरजपुर जिले की दो सीटों की ही तरह प्रतापपुर सीट से जब संभावित पार्टी उम्मीदवारों को नाम तैयार किए गए तो जिला संगठन ने यहां से भी नए चेहरे को आगे रखने का निर्णय किया। श्रीमती शकुंतला पोर्ते को यहां से उम्मीदवार बनाया गया। वह भी पार्टी का परचम लहराने में सफ़ल रहीं। श्रीमती पोर्ते क्षेत्र में महिलाओं के बीच अच्छी पकड़ रखती हैं वह बलरामपुर महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष भी हैं वे अन्य वर्गों में भी काफी लोकप्रिय हैं। वकालत के पेशे से ताल्लुक रखने वाली शकुन्तला पोर्ते अपनी वाकपटुता व भाषा से अलग पहचान रखती हैं।विधानसभा चुनाव नतीजों से पता चलता है कि पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने जिला संगठन के प्रस्तावों का आंख मुंदकर समर्थन नहीं किया बल्कि आंतरिक सर्वे में इन प्रस्तावों को परखा गया और इस बात का इत्मीनान कर लेने के बाद ही तीनों नए चेहरों पर दांव लगाने का फैसला किया गया की ये जीतेंगे तीनों नए चेहरे पहली बार विधायक निर्वाचित हुए हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि के रूप में इनकी पहचान नई नहीं है। क्षेत्र के लोगों को इनसे काफी उम्मीदें हैं। जिले में विकास की अपार संभावनाएं हैं। लोगों की निगाहें इन पर टिकी हुई हैं। लोगों को आशा है कि जिले को विकास के क्षेत्र में ये अलग पहचान दिलाएंगे।
मैंने सिर्फ अपना काम किया -बाबूलाल

तीनों सीटों पर जीत का श्रेय संगठन प्रमुख के नाते भाजपा जिला अध्यक्ष बाबूलाल अग्रवाल को जाता है ,जिन्होंने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की कोशिश की। वे एक अच्छे चुनावी रणनीतिकार की भूमिका में दिखे। पार्टी समय- समय-समय पर उन्हें चुनाव संचालन की जिम्मेदारी सौंपती रही है। पूर्व में भी वे प्रेमनगर व प्रतापपुर के चुनाव संचालक बनाए गए थे।इस जीत ने एक अच्छे चुनावी रणनीतिकार के रूप में उनकी पहचान पर एक और मुहर लगा दी है। उनकी संगठन में साख बढ़ी है। हालांकि संगठन की ताकत व रणनीति कम ही लोगों को नजर आती है। ठीक उसी तरह जिस तरह किसी इमारत की खूबसूरती ऊपर से दिखाई देती है मगर मजबूती तो उसकी नींव में ही होती है। भाजपा अध्यक्ष के रूप में अपने तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने पार्टी को किस मुकाम पर पहुंचाया है तीन विधायक और उनमें से एक का सरकार में मंत्री बनना सब कुछ बयां कर देता है। अपनी सफलता पर बड़ी विनम्रता से बाबूलाल अग्रवाल कहते हैं – मैंने सिर्फ अपना काम किया, नतीजे तो जनता तय करती है।

