अम्बिकापुर। No FIR, direct action: थाने में हुई धोखाधड़ी की शिकायत पर FIR करने के बजाए पुलिस सौदेबाज़ी में लग गई। फाइनल डील करने के लिए गुपचुप तरीके से दो आरक्षक पश्चिम बंगाल गए और वहां से व्यापारी को उठा लिया। इसके बाद मचे बवाल के बाद SP ने थानेदार समेत दोनों आरक्षकों को निलंबित कर दिया है।

No FIR, direct action: बलरामपुर जिले के कुसमी थाना क्षेत्र के एक स्थानीय व्यापारी ने कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल के आसनसोल निवासी एक कारोबारी के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत की थी। आरोप है कि थाना प्रभारी ललित यादव ने न तो शिकायत पर FIR दर्ज की और न ही कार्रवाई करने के लिए कोई कदम उठाया। इसके उलट उन्होंने व्यापारी से समझौता कराने के बदले कथित तौर पर 4 लाख रुपये में डील कर ली। बताया जा रहा है कि इस डील के तहत टीआई ने थाने के दो प्रधान आरक्षक विष्णुकांत मिश्रा और प्रांजुल कश्यप को गुपचुप तरीके से बंगाल भेज दिया। यही नहीं थानेदार के कहने पर आरक्षकों ने व्यापारी को उसके घर से उठा लिया।

No FIR, direct action: मामला तब उलझ गया जब आसनसोल में आरोपी व्यापारी के परिजन इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दे दी। मौके पर पहुंची आसनसोल पुलिस ने जब पूछताछ की तो छत्तीसगढ़ से गए दोनों आरक्षकों के होश उड़ गए। क्योंकि व्यापारी को गिरफ्तार करने के संबंध में उनके पास कोई दस्तावेज नहीं थे। ऊपर से दोनों वहां की पुलिस को अलग अलग बयान देने लगे। संदेह गहराने पर आसनसोल पुलिस ने सीधे बलरामपुर के एसपी से बात की तो सौदेबाजी की खेल सामने आ गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए बलरामपुर-रामानुजगंज के एसपी ने कुसमी थाना प्रभारी ललित यादव, प्रधान आरक्षक विष्णुकांत मिश्रा और प्रधान आरक्षक प्रांजुल कश्यप को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

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