अतुलकांत  खरे

बिलासपुर (Fourthline)। बिलासपुर में  लोगों में देहदान करने इच्छा बढ़ी है ।यह पहला मौका है जब सिम्स में  देहदान के लिए 500 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं।

हाल ही में शहर के कपड़ा व्यवसायी रविंद्र पाल सिंह ने सिम्स में देह्दान के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है  इससे पूर्व शहर के प्रख्यात प्राध्यापक ए के सिन्हा ने देहदान किया था । प्रख्यात भाषा विज्ञानी डा रमेश चंद्र मेहरोत्रा ने भी सिम्स में देहदान किया था।

दोनों ही प्रख्यात अध्यापकों ने पहले ही घोषित कर दिया था की मृत्यु के बाद भी उनका शरीर विद्यार्थियों के काम आता रहे।

बिलासपुर से बहुत ज्यादा लोगों ने देहदान के लिए पंजीयन कराया है। मेडिकल कॉलेज में उनका नाम नियमों के तहत गुप्त रखा जाता है।

चिकित्सा जगत के लिए देहदान अमूल्य होता है। सिर्फ सामान्य अध्ययन ही नहीं वरन आगे के शोध एवम् जटिल ऑपरेशनों के लिए यह शरीर बहुत महत्वपूर्ण होता है। मेडिकल कॉलेज में 1000 से ज्यादा विद्यार्थी हैं । इनके लिए 100 से ज्यादा शरीरों की आवश्यकता होती है ।कॉलेज की प्राध्यापक  डा. माया बताती हैं, शरीर की कमी होने से 1 मृत शरीर पर 20 से ज्यादा विद्यार्थी काम करते हैं ।लोगों में  देहदान के प्रति रुचि बढ़ने से अध्ययन में बहुत सहायता मिलेगी और बहुत अच्छे डॉक्टर तैयार होंगे। देह के अलावा किडनी, हार्ट, लीवर   लंग्स ,पेनक्रियाज भी दान किए जा सकते हैं। विभिन्न धर्मों  में में अंतिम संस्कार के अलग-अलग रीति रिवाज होते हैं। बहुत से लोग अपने रीति रिवाज के  अनुसार संस्कार सांकेतिक रूप में करने के बाद देह्दान करते हैं। एक समय ऐसा था जब कोई देहदान नहीं करता था। पुलिस की मदद से लावारिस शवो को कॉलेज को सौंपा जाता था। 48 घंटे के बाद मृतक की देह् किसी काम की नहीं रहती। मेडिकल कॉलेज में शव् बहुत लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

अपनी देह दान कर चुके रविंद्र पाल सिंह ने कहा कि मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी हो जाता है, यह अगर किसी काम आये तो सच्ची समाज सेवा है।अब तक 1000 से ज्यादा पेड़ लगा चुके रविंद्रअपने परिवारऔर निकट जनों को देहदान के लिए प्रेरित करते रहते हैं। यदि कोई देह दान करना चाहता है तो उसे मेडिकल कॉलेज में आवेदन देना होता है। आवेदन में नाम पता, उत्तराधिकारी का नाम और दो गवाह लगते हैं। दो पासपोर्ट साइज की फोटो भी लगती है। देश के बहुत सारे अस्पतालों में देहदान करने वाले लोगों के परिजनों को इलाज में छूट दी जाती है। देहदान को महादान माना जाता है।

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