राष्ट्रपति ने गुरूघासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को प्रदान की उपाधियां
बिलासपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि परिश्रम से अर्जित योग्यता तथा लक्ष्य के प्रति निष्ठा के साथ मार्ग में आने वाली बाधाओं और असफलताओं से हतोत्साहित हुए बिना आगे बढ़ते रहने की भावना का होना ही जीवन में आगे बढ़ने का मूल मंत्र है। राष्ट्रपति गुरूघासीदास केशू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने समारोह में 2946 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान कीं।
राष्ट्रपति ने देश के चन्द्रयान-3 मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में भारत ने चंद्रयान-3 अभियान को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया और सभी देशवासियों में उत्साह की लहर दौड़ गई। उस सफलता के पीछे वर्षों के परिश्रम से अर्जित योग्यता तथा लक्ष्य के प्रति निष्ठा तो थी ही, मार्ग में आने वाली रुकावटों और असफलताओं से हतोत्साहित हुए बिना आगे बढ़ते रहने की भावना भी थी। व्यक्तिगत जीवन में आगे बढ़ने का भी यही मूल मंत्र है । परिश्रम से अर्जित दक्षता, लक्ष्य के प्रति निष्ठा तथा तात्कालिक चुनौती या असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ते रहने का जज्बा होना चाहिए ।
राष्ट्रपति ने उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों और उनके माता-पिता और अभिभावकों को भी मैं बधाई दी और विद्यार्थियों की सफलता में योगदान देने के लिए प्राध्यापकों तथा विश्वविद्यालय की टीम के सदस्यों की सराहना की। उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 76 विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या 45 होने पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो लगभग 60 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन इस दृष्टि से और भी अधिक प्रभावशाली है कि कुल विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या लगभग 43 प्रतिशत है। छात्राओं के बेहतर प्रदर्शन के पीछे उनकी अपनी प्रतिभा और लगन के साथ-साथ उनके परिवारजनों तथा इस विश्वविद्यालय की टीम का योगदान भी है। छात्राओं की इस स्वर्णिम सफलता के लिए उन्होंने बधाई दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के इस परिवर्तनकारी अभियान में सबका सहयोग और अधिक होना चाहिए ताकि छात्राओं की कुल संख्या भी छात्रों के बराबर हो सके।
राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों की भागीदारी से समाज सेवा के कार्यक्रम चलाने की प्रशंसा की और आशा व्यक्त की कि ऐसे कार्यक्रमों के अच्छे परिणाम सामने आएंगे। राज्य के जनजातीय समुदाय की समृद्ध संस्कृतियों से प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, सामुदायिक जीवन में समानता का भाव तथा महिलाओं की भागीदारी जैसे जीवन-मूल्यों को सीखा जा सकता है।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि आधुनिक विश्व में जो व्यक्ति, संस्थान और देश, विज्ञान और technology को अपनाने तथा नवाचार या innovation में आगे रहेंगे, वे अधिक प्रगति करेंगे। विज्ञान और technology के विकास में समुचित सुविधाओं, वातावरण और प्रोत्साहन का योगदान होता है। इस विश्वविद्यालय में आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की गयी हैं। यहाँ स्थापित Accelerator Based Research Centre के बारे में जानकाशर प्रसन्नता हुई है। उन्होंने आशा प्रकट की कि यह Centre, उपयोगी अनुसंधान के माध्यम से अपनी पहचान बनाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत अपने वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों के अथक परिश्रम तथा प्रतिभा के बल पर विश्व के Nuclear Club तथा Space Club का सम्मानित सदस्य है। Nuclear तथा Space के क्षेत्रों में जो भी अंतरराष्ट्रीय निर्णय लिए जाएंगे उसमें भारत की भूमिका रहेगी। भारत द्वारा प्रस्तुत किए गए High Science at Low Cost के उदाहरण को देश-विदेश में सराहा जाता है। अन्तरिक्ष और परमाणु विज्ञान के क्षेत्रों में भारत को कभी-कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असहयोग का सामना भी करना पड़ा है। लेकिन, तमाम चुनौतियों के बावजूद हमारे कर्मठ वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों ने भारत की साख मजबूत की है। इसी प्रकार, उच्च स्तरीय व्यक्तिगत योग्यता प्राप्त करके आप सब समाज, राज्य और देश के महत्वपूर्ण निर्णयों में भागीदारी कर सकते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें भारतीय परम्पराओं से जुड़े रहकर युवाओं के लिए 21वीं सदी की चुनौतियों के अनुरूप विश्व-स्तरीय दक्षता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हमारे देश की परम्पराएं अत्यंत समृद्ध हैं और उन्हें बचाए रखने में अनेक विभूतियों के संघर्षों और प्रयासों का अमूल्य योगदान है। इस विश्वविद्यालय के नाम का महत्व इसलिए और भी अधिक बढ़ जाता है कि इसी क्षेत्र में अवतरण करने वाले गुरुघासीदास ने ‘मनखे-मनखे एक समान’ अर्थात ‘सभी मनुष्य एक समान हैं’ का अमर और जीवंत संदेश प्रवाहित किया था। आज से लगभग 250 वर्ष पहले उन्होंने वंचितों, पिछड़ों और महिलाओं की समानता के लिए समाज सुधार का बीड़ा उठाया था। समानता और सामाजिक समरसता के उन आदर्शों पर चलकर ही आज के युवा संवेदनशीलता के साथ सबके हित के बारे में सोच सकते हैं और श्रेष्ठतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।
राष्ट्रपति ने रायपुर हवाई अड्डे का नाम स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखे जाने को गौरवशाली बताया और कहा कि स्वामीजी लोगों को भयमुक्त रहने की सलाह देते थे। उन्होंने खेल-कूद और शारीरिक स्वास्थ्य के महत्व को भी रेखांकित किया था। स्वामीजी आत्मविश्वास की प्रतिमूर्ति थे। वर्ष 1893 के विश्व और तत्कालीन भारत के बारे में सोचिए। स्वामीजी ने उस वर्ष शिकागो में भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता का जयघोष किया था और विश्व समुदाय का सम्मान अर्जित किया था। उस समय भारत में गुलामी की मानसिकता अपने चरम पर थी, साम्राज्य-वाद तथा पश्चिमी देशों का सम्पूर्ण वर्चस्व था तथा एशिया के लोग हीनता की भावना से ग्रस्त थे। ऐसे वैश्विक वातावरण में स्वामी विवेकानंद ने विश्व समुदाय में भारत का गौरव बढ़ाया। आज की युवा-पीढ़ी को जिस वैश्विक परिवेश में आगे बढ़ना है, उसमें भारत की स्थिति बहुत मजबूत है तथा विश्व समुदाय के अग्रणी राष्ट्रों में हमारी गणना होती है।
शिक्षा हमें संस्कारित और अनुशासित बनाती है: राज्यपाल
इस मौके पर अपने संबोधन में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह एक गरिमामय समारोह है जो आपकी कड़ी मेहनत को मान्यता देता है और साथ ही आपके लिए एक जिम्मेदारी भी लेकर आता है। आपको जीवन के विभिन्न पहलुओं का पता लगाने के साथ-साथ नई चीजें सीखने के कई अवसर मिलेंगे। इस चरण के दौरान आप मूल्यों को आत्मसात करेंगे और क्षमताओं का विकास करेंगे। शिक्षा हमें संस्कारित तो बनाती ही है, अनुशासित भी बनाती है। यह हमें समाज में पद, धन और प्रतिष्ठा दिलाने में भी मदद करती है। जब आप इन चीजों को हासिल करते हैं, तो इसके साथ ही यह एक इंसान के रूप में विकसित होने में भी मदद करती है। इस मौके पर राज्यपाल ने स्वतंत्रता संग्राम की विभूतियों के ऐतिहासिक योगदान का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध कठिन संघर्ष कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने हमें आजादी दिलाई है। हमें कठोर परिश्रम कर अपना जीवन हाशिये पर पड़े लोगों के कल्याण के लिए काम करना है। यही सच्ची सेवा है।
कठोर परिश्रम से स्वयं को स्वर्ण पदक के योग्य सिद्ध किया – मुख्यमंत्री
इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आप सभी प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं ने अपने कठोर परिश्रम मेधा और अनुशासन के बल पर स्वयं को उपाधियों एवं स्वर्ण पदकों हेतु योग्य सिद्ध किया है। यह विश्वविद्यालय हमेशा ज्ञान का प्रकाश रहा है। हमारा प्रदेश हमेशा समृद्ध रहा है। यहां पुरखों के आशीर्वाद से उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों पर हमारा प्रदेश आगे बढ़ रहा है। हमारे यहां प्रचुर संसाधन हैं, समृद्ध जैव विविधता है, सघन वन हैं, सुंदर प्रकृति है, सुंदर जनजीवन है, उत्कृष्ट मानवीय मूल्य हैं। हम युवाओं को लगातार आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। हमने 42 हजार पदों पर भर्ती की। रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के जरिए हमने रोजगार, स्व-रोजगार और उद्यम दिए हैं। हम बेरोजगारी भत्ता भी प्रदान कर रहे हैं, ताकि युवाओं को आर्थिक मजबूती मिल सके और वे अच्छे भविष्य की तैयारी कर सके। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर गुरु घासीदास जी का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि मनखे मनखे एक समान का संदेश देकर उन्होंने समतामूलक समाज के लिए कार्य किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री आलोक कुमार चक्रवाल ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय की विविध उपलब्धियों का ब्योरा समारोह में रखा।
समारोह में विशेष अतिथि के रूप में केंद्रीय जनजाति विकास राज्यमंत्री श्रीमती रेणुका सिंह मौजूद रहीं। साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, नगर निगम बिलासपुर के महापौर रामशरण यादव, बिलासपुर सांसद अरुण साव, दुर्ग सांसद विजय बघेल, बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय, तखतपुर विधायक श्रीमती रश्मि आशीष सिंह, बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष नन्द कुमार साय, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, सहित अनेक जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।