पूरे प्रदेश में 35 प्रतिशत से अधिक दर पर टेण्डर, बिलासपुर में ईई का निलंबन इसी सिंडिकेट की साज़िश
हृदेश केशरी
बिलासपुर । लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग इन दिनों सुर्ख़ियों में है। कुछ दिनों पहले कार्यपालन अभियंता एसके चंद्रा को मंत्री रूद्र गुरु ने विधानसभा में उठे प्रश्न पर निलंबित कर दिया। कार्यपालन अभियंता को जिस आरोप में निलंबित किया गया इतना गंभीर नहीं था। 35% से अधिक रेट के टेंडर को पास करने के जिस आरोप में उन्हें निलंबित किया गया है,इसे बड़ी गड़बड़ी मान लिया जाए तो विभाग के सारे अधिकारियों को निलंबित हो जाना चाहिए।पूरे प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्यों के टेण्डर 30 से 35% से अधिक रेट में हुए हैं। सवाल ये उठता है का कार्यपालन अभियंता चंद्रा पर निलंबन की गाज क्यों गिरी ? सूत्र बता रहे हैं कि विभाग ठेकेदारों का एक सिंडिकेट चला रहा है। यही सिंडिकेट तय कर रहा है कि कुर्सी पर कौन अधिकारी रहेगा और कौन नहीं रहेगा। ईई चन्द्रा इसी सिंडिकेट की साज़िश का शिकार हो गए।
सूत्रों के अनुसार ईई एसके चंद्रा ठेकेदारों के इस सिंडिकेट के खिलाफ थे। ठेकेदारों के मनमर्जी नहू चल पा रही थी। उन्हें हटाने के लिए चौतरफा साजिश रची गई।ऐसा प्रचारित किया गया कि 35 प्रतिशत अधिक दर पर टेण्डर मंजूर करके ईई ने बड़ा घोटाला किया है जबकि पूरे प्रदेश में इसी दर पर टेण्डर हुए हैं। ईई चन्द्रा का निलंबन का चर्चा का विषय बना हुआ है। यह कहा जा रहा है कि विभाग में वही हो रहा है जो ठेकेदारों का यह सिंडिकेट चाह रहा है। विभाग के टेंडर सेक्शन में इस सिंडिकेट के इशारे पर काम करने वाले कर्मचारी बैठे हैं।टेण्डर किसे और किस दर पर देना है यहीं से तय हो रहा है। ईई एस के चंद्रा ने टेण्डर सेक्शन के सिंडिकेट के इशारे पर काम करने वाले कर्मचारी की छुट्टी कर दी थी। सिंडिकेट को काम बिगड़ता हुआ दिखा और उसने ईई की ही छुट्टी कराने का प्रबंध कर दिया। अब पता चला है कि कार्यपालन अभियंता एसके चंद्रा के निलंबन के बाद नए ईई यू के राठिया की पदस्थापना के दूसरे ही दिन हटाया गया कर्मचारी फिर से टेण्डर सेक्शन में बहाल हो गया । इससे निलंबन की कार्रवाई के पीछे की पूरी कहानी समझी जा सकती है।इस कर्मचारी ने टेंडर सेक्शन में इन्हीं चंद दिनों के बाद फिर से टेंडर सेक्शन मे कार्य करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक विभाग के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब होने की बात बताई जा रही है। इन दस्तावेजों में करोड़ों के गड़बड़झाले के सबूत हैं। ईई चंद्रा ने इन दस्तावेजों की छानबीन शुरू कराई थी। सिंडिकेट का भांडा फूट सकता था इसलिए साजिश रचकर उन्हें ही कुर्सी से हटवा दिया गया। अब जो नई व्यवस्था हुई है उसमें यह सिंडिकेट करोड़ों की गड़बड़ी के सबूतों को गायब करने में जुट गया है। दस्तावेजों के गायब कराने की जानकारी मिल रही है । सिंडिकेट के इशारे पर काम करने वाले अधिकारी दस्तावेज अपने पास मंगा रहे हैं। इन दस्तावेजों से करोड़ों के भ्रष्टाचार का मानला फूट सकता है। केन्द्र सरकार के जल जीवन मिशन का कार्य जब से शुरू हुआ है तब से इसके कार्यों में भ्रष्टाचार सुर्खियों में रहा है। टेण्डर घोटाला सामने आने के बाद एक बार राज्य सरकार को प्रदेश भर में हुए टेण्डर निरस्त करने पड़े थे। इसके बाद भी घोटाला रूका नहीं है।एक ईई का निलंबन घोटाले में लगे लोगों का ही खेल है। जल जीवन मिशन के कार्यों की गुणवत्तापूर्ण को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। मिशन के तहत पानी की पाइप लाइन बिछाने के कार्य में बड़ी गड़बड़ी होने की जानकारी सूत्रों से मिली है। अधिकारी और ठेकेदार मिलकर इसमें लीपापोती करने के प्रयास में लग गए हैं। ईई चंद्रा के रहने से यह संभव नहीं हो पा रहा था। केन्द्र सरकार ने इन्हीं गड़बड़ियों की शिकायत पर स्वतंत्र जांच एजेंसी से जल जीवन मिशन के कार्यों की जांच कराई जा रही है। एजेंसी अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्र सरकार को देगी। इस जांच में गड़बड़ी सामने आने और गला फंसने का डर सिंडिकेट को भी है।अब यह देखना होगा कि जल जीवन मिशन के कार्यों की इस जांच में क्या निकलकर सामने आता है। जल जीवन मिशन के कार्यों को लेकर शिकायतें बहुत हैं। अधिकारी इन शिकायतों को कचरे के डब्बे में डाल देते रहे हैं । आने वाले समय में जल जीवन मिशन के कार्यों में भ्रष्टाचार का मामला उजागर होता है कि नहीं यह भविष्य में पता चलेगा परंतु राजनीतिक तौर पर यह मामला आने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्ष उछाल सकता है । उसने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। जल जीवन मिशन के तहत गांवों में लोगों के घरों में नलों से पीने का साफ पानी पहुंचाना है। विभाग के अधिकारियों को सही तरीके से योजना बनाकर कार्य कराना था परंतु इसमें भी भ्रष्टाचार हो रहा है।सा विधानसभा में जल जीवन मिशन के मामले में विपक्ष ने सवालों का झड़ी लगाती रही है ।कई अधिकारियों पर राज्य सरकार ने करोड़ों की रिकवरी भी निकाली है।
सूत्रों के अनुसार ईई एसके चंद्रा ठेकेदारों के इस सिंडिकेट के खिलाफ थे। ठेकेदारों के मनमर्जी नहू चल पा रही थी। उन्हें हटाने के लिए चौतरफा साजिश रची गई।ऐसा प्रचारित किया गया कि 35 प्रतिशत अधिक दर पर टेण्डर मंजूर करके ईई ने बड़ा घोटाला किया है जबकि पूरे प्रदेश में इसी दर पर टेण्डर हुए हैं। ईई चन्द्रा का निलंबन का चर्चा का विषय बना हुआ है। यह कहा जा रहा है कि विभाग में वही हो रहा है जो ठेकेदारों का यह सिंडिकेट चाह रहा है। विभाग के टेंडर सेक्शन में इस सिंडिकेट के इशारे पर काम करने वाले कर्मचारी बैठे हैं।टेण्डर किसे और किस दर पर देना है यहीं से तय हो रहा है। ईई एस के चंद्रा ने टेण्डर सेक्शन के सिंडिकेट के इशारे पर काम करने वाले कर्मचारी की छुट्टी कर दी थी। सिंडिकेट को काम बिगड़ता हुआ दिखा और उसने ईई की ही छुट्टी कराने का प्रबंध कर दिया। अब पता चला है कि कार्यपालन अभियंता एसके चंद्रा के निलंबन के बाद नए ईई यू के राठिया की पदस्थापना के दूसरे ही दिन हटाया गया कर्मचारी फिर से टेण्डर सेक्शन में बहाल हो गया । इससे निलंबन की कार्रवाई के पीछे की पूरी कहानी समझी जा सकती है।इस कर्मचारी ने टेंडर सेक्शन में इन्हीं चंद दिनों के बाद फिर से टेंडर सेक्शन मे कार्य करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक विभाग के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब होने की बात बताई जा रही है। इन दस्तावेजों में करोड़ों के गड़बड़झाले के सबूत हैं। ईई चंद्रा ने इन दस्तावेजों की छानबीन शुरू कराई थी। सिंडिकेट का भांडा फूट सकता था इसलिए साजिश रचकर उन्हें ही कुर्सी से हटवा दिया गया। अब जो नई व्यवस्था हुई है उसमें यह सिंडिकेट करोड़ों की गड़बड़ी के सबूतों को गायब करने में जुट गया है। दस्तावेजों के गायब कराने की जानकारी मिल रही है । सिंडिकेट के इशारे पर काम करने वाले अधिकारी दस्तावेज अपने पास मंगा रहे हैं। इन दस्तावेजों से करोड़ों के भ्रष्टाचार का मानला फूट सकता है। केन्द्र सरकार के जल जीवन मिशन का कार्य जब से शुरू हुआ है तब से इसके कार्यों में भ्रष्टाचार सुर्खियों में रहा है। टेण्डर घोटाला सामने आने के बाद एक बार राज्य सरकार को प्रदेश भर में हुए टेण्डर निरस्त करने पड़े थे। इसके बाद भी घोटाला रूका नहीं है।एक ईई का निलंबन घोटाले में लगे लोगों का ही खेल है। जल जीवन मिशन के कार्यों की गुणवत्तापूर्ण को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। मिशन के तहत पानी की पाइप लाइन बिछाने के कार्य में बड़ी गड़बड़ी होने की जानकारी सूत्रों से मिली है। अधिकारी और ठेकेदार मिलकर इसमें लीपापोती करने के प्रयास में लग गए हैं। ईई चंद्रा के रहने से यह संभव नहीं हो पा रहा था। केन्द्र सरकार ने इन्हीं गड़बड़ियों की शिकायत पर स्वतंत्र जांच एजेंसी से जल जीवन मिशन के कार्यों की जांच कराई जा रही है। एजेंसी अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्र सरकार को देगी। इस जांच में गड़बड़ी सामने आने और गला फंसने का डर सिंडिकेट को भी है।अब यह देखना होगा कि जल जीवन मिशन के कार्यों की इस जांच में क्या निकलकर सामने आता है। जल जीवन मिशन के कार्यों को लेकर शिकायतें बहुत हैं। अधिकारी इन शिकायतों को कचरे के डब्बे में डाल देते रहे हैं । आने वाले समय में जल जीवन मिशन के कार्यों में भ्रष्टाचार का मामला उजागर होता है कि नहीं यह भविष्य में पता चलेगा परंतु राजनीतिक तौर पर यह मामला आने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्ष उछाल सकता है । उसने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। जल जीवन मिशन के तहत गांवों में लोगों के घरों में नलों से पीने का साफ पानी पहुंचाना है। विभाग के अधिकारियों को सही तरीके से योजना बनाकर कार्य कराना था परंतु इसमें भी भ्रष्टाचार हो रहा है।सा विधानसभा में जल जीवन मिशन के मामले में विपक्ष ने सवालों का झड़ी लगाती रही है ।कई अधिकारियों पर राज्य सरकार ने करोड़ों की रिकवरी भी निकाली है।