भूमि अधिग्रहण के लिए
प्रशासन से ब्योरा मांगा

अम्बिकापुर । बहुप्रतीक्षित अम्बिकापुर- बरवाडीह रेललाइन के अंतिम सर्वे की रेलवे ने शुरू कर दी है।सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो182 किलोमीटर लंबी इस रेललाइन पर अगले कुछ वर्षों में गाड़ियां दौड़ती हुई दिखाई देंगी। रेलवे ने जिला प्रशासन से उन गांवों का भूमि संबंधी ब्योरा मांगा है जिन गांवों से होकर यह रेललाइन गुजरेगी।
छत्तीसगढ़ और झारखंड के एक बड़े आदिवासी इलाके को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग वर्षों से होती आ रही है। रेल बजट में भी कई बार इस रेललाइन की चर्चा हुई , लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा। इसके सर्वे के लिए 4 करोड़ रुपए रेल मंत्रालय मंजूर भी कर चुका है। रेलवे अब इस रेलवे लाइन के लिए अंतिम सर्वे शुरू करने जा रहा है। इसके लिए रेलवे ने बलरामपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर भूमि संबंधी ब्योरा मांगा है।

पढ़िए क्या लिखा रेलवे ने –

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन के निर्माण विभाग के उप मुख्य अभियंता शहडोल मप्र ने कलेक्टर बलरामपुर को पत्र लिखकर उन 43 गांवों की भूमि से संबंधित ब्योरा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है ताकि अम्बिकापुर – बरवाडीह रेललाइन के अंतिम सर्वे के कार्य को आगे बढ़ाया जा सके। रेल मंत्रालय सर्वे के लिए पहले ही एजेंसी तय कर चुका है। दिल्ली की इंट्रोसाफ्ट सआल्यूशन सर्वे करेगी। रेलवे के पत्र पर बलरामपुर जिला प्रशासन ने संबंधित तहसीलदारों को ब्योरा तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

प्रशासन ने दिए निर्देश

यह रेललाइन छत्तीसगढ़ और झारखंड के पिछड़े आदिवासी इलाके के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसके लिए 80 के दशक में अम्बिकापुर में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था, जो जनांदोलनों के इतिहास में सबसे लंबे आंदोलन के रूप में दर्ज है।

अम्बिकापुर से बरवाडीह
के बीच 16 स्टेशन

इस रेललाइन के डीपीआर के अनुसार छत्तीसगढ़ के हिस्से में 10 स्टेशन परसा, बरियों, राजपुर रोड, कर्रा, पस्ता, झलरिया, दलधोवा, सरनाडीह,बलरामपुर तथा झारखंड के हिस्से में 6 स्टेशन बरगढ़, नौकी, बिंदा, पारो, हुतार व बरवाडीह आएंगे। इस रेललाइन से दोनों राज्यों का यह पूरा इलाका रेलवे के हावड़ा-मुंबई रूप से जुड़ जाएगा। इससे उद्योग – व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र की आर्थिक प्रगति तेज होगी।
रेल परियोजनाओं के मामले में देखा जाता है कि प्रथमिकताएं राजनीतिक आधार पर तय होती है। अंतिम सर्वे की तैयारी से साफ हो चुका है कि सैद्धांतिक रूप से इसकी मंजूरी मिल चुकी है और इसे जल्दी पूरा करने के लिए सिर्फ इच्छाशक्ति दिखाने की जरूरत है। इसके लिए दोनों कके राजनेताओं को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता होगी।

इन गांवों से होकर
गुजरेगी रेललाइन

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के जिन 43 गांवों से होकर यह रेललाइन गुजरेगी उन गांवों में ककना, सिधमा, मधेश्वरपुर, बरियों, डकवा, परसागुड़ी, करजी, चांची, नवकी, बगाड़ी, राजपुर, पतरातु, लदकुंड, अलखडीहा, बासेन, कर्रा, झिंगो, लुरगी, सरगड़ी, सरगवां, घाघरा, झलरिया, बथौरा, पाढ़ी, बैरामु, पस्ता, झपरा, पीपरसोत, खडिय़ादामर, तरकाखांड़, चंदरपुर, भेलवाडीह, जमुआटांड़, जावर, बडक़ीमहरी, नवाडीह कला, दलधोवा, मगरहरा, अमडंडा, महाराजगंज, भैसामुंडा, कृष्णनगर व रामनगरकला शामिल हैं।इन गांवों में भूमि की प्रचलित दर की भी जानकारी रेलवे ने मांगी है ताकि भूमि अधिग्रहण और मुआवजा आदि का आंकलन किया जा सके।

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