खाद्य विभाग के अधिकारियों का संरक्षण, कार्रवाई नहीं

हृदेश केशरी

बिलासपुर( Fourthline) । सरकारी राशन दुकानों में गरीब परिवारों को मुफ्त में दिया जाने वाला चावल बाजार में 17 से 18 रूपए किलो बिक रहा है। पीडीएस के चावल की यह कालाबाजारी जोरों पर है। सरकंडा के जबड़ापा स्थित एक ऐसे ही दुकानदार के खिलाफ शिकायत भी हुई है। सरकारी दुकानों से मिलीभगत कर दुकानों में चावल खपाया जा रहा है । इन दुकानों से यह चावल बड़े अनाज व्यापारियों तक पहुंच रहा है और ये इसे राइस मिलों में बेच रहे हैं। राइस मिलों में आकर मुफ्त बंटने वाला यही चावल 17-18 रुपए से बढ़कर 40 से 45 रूपए में बाजार में बेच दिया जा रहा है।इस तरह मुफ्त के चावल की कालाबाजारी की पूरी एक चेन तैयार हो गई है। इस चेन में अधिकरियों को भूमिका संदेह से परे नहीं है।

प्रायः मोहल्लों में छोटे- बड़े किराना दुकानदारों ने राशन दुकानों से लिंक बना लिया है। राशन कार्डधारियों को उनके कोटे का पूरा चावल न दे कर उसकी कालाबाजारी की जा रही है। इसमें हर महीने लाखों का खेल हो रहा है। केन्द्र और राज्य सरकार की और से कोरोना के समय गरीब परिवारों के लिए शुरू किए गए मुफ्त राशन की स्कीम को अगले एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। राशन कार्डधारियों को धोखे में रखकर केन्द्र व राज्य दोनों के कोटे का पूरा चावल नहीं दिया जा रहा है। बहुतेरे कार्डधारियों को इसकी जानकारी भी नहीं है कि उन्हें कितना चावल मिलना चाहिए।राशन दुकानदार इसका फायदा उठा रहे हैं। इससे चावल की कालाबाजारी और बढ़ गई है। एक दौर में कालाबाजारियों की चेन के जरिए जिस तरह चावल की रिसाइकलिंग होती थी वैसा ही दौर शुरू हो गया है। सरकंडा स्थित इस चेन के एक कारोबारी की कई बार खाद्य विभाग में शिकायत भी हुई है, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। बताया जा रहा है उसके रिश्तेदार के राजनीतिक प्रभाव के कारण शिकायतों को अधिकारी नजरअंदाज कर रहे हैं। ऐसे कारोबारी एक नहीं है बल्कि कई हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये किराना दुकान वाले 17 से18 रूपए में पीडीएस का चावल खरीद रहे हैं। इन दुकानों की शिकायत पर अब तक किसी किस्म की कोई कार्यवाही नहीं हुई। इमली भाटा और मिनी बस्ती में तो रिकार्ड स्तर पर कालाबाजारी हो रही है। किराना दुकानों में सरकारी चावल बेचने का खेल लंबे समय से चल रहा है। किराना दुकान वाले कम कीमत पर खरीद कर उसे ऊंची कीमत पर बड़े अनाज व्यापारियों को और ये व्यापारी राइस मिलरों को बेच रहे हैं । इस सरकारी चावल को राइस मिलर पालिश करके 40 से 45 रूपए में बाजार में बेचते हैं ।सूत्र बताते हैं कि खाद्य विभाग के अधिकारियों की साठगांठ किराना दुकानों संचालकों और मिलरों से है, जिसमें उनका हिस्सा बंधा हुआ है।

जांच की जाएगी – खाद्य नियंत्रक
खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया ने कहा कि जिन किराना दुकानों की शिकायत मिल रही है , उनकी सघन जांच की जाएगी। उनके पास चावल कैसे आता है, यह पता लगाया जाएगा। जहां तक चेन बनाकर चावल की कालाबाजारी की बात है, उसका पता लगाकर कार्रवाई की जाएगी।

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