रायपुर। Reaction on budget:  हमर राज पार्टी ने विष्णु देव साय की सरकार के बजट को स्थानीय नागरिकों किसान और विशेष रूप से आदिवासियों के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं को दूर करने में नाकाफी बताया है। हमर राज पार्टी के प्करदेश  अध्यक्ष बी एस रावटे ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सरकार  ने भूमि अधिग्रहण के मामले में भू-विस्थापितों के लिए बजट  में कुछ भी नहीं है।


Reaction on budget:  श्री रावटे ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में बड़े पैमाने पर औद्योगिक और खनन परियोजनाओं का विस्तार केंद्र के दबाव में किया जा रहा है और इस हेतु राज्य सरकार राज्य के हितों को दरकिनार कर इन परियोजनाओं को मंजूर कर रही है। हसदेव क्षेत्र में नई खदान परसा को खोलने के पीछे यही दबाव है अन्यथा यहां पर पूर्व से ही चालू खदान परसा ईस्ट केते बासन साल भर में 200 लाख टन का कोयला उत्पादन कर रही है, जो राजस्थान विद्युत मंडल और अडानी के लिए पर्याप्त है फिर भी विष्णु देव साय सरकार ने परसा खदान में खनन प्रारंभ कर दिया है।

Reaction on budget:   हमर राज पार्टी ने कहा कि यह केवल एक उदाहरण भर है, लगभग 1 लाख एकड़ अनुसूचित क्षेत्र की कृषि भूमि और ग्रामों पर अधिग्रहण और विस्थापन की तलवार लटक रही है और इसके बदले में उचित मुआवजा और पुनर्वास के ऊपर किसी का ध्यान नहीं है। आज भी 2010 की दरों के आधार पर मुआवजा दिया  जा रहा है और पुनर्वास में नौकरी आदि की व्यवस्था करने के बजाय 10 साल पहले का निर्धारण ₹500000 एकमुश्त राशि देकर प्रभावितों को रोजगार हक से बेदखल किया जा रहा है।  नई भूमि अधिग्रहण कानून के तहत भूमि के मार्केट रेट से चार गुना मुआवजा देने की बात होती है उसमें सबसे बड़ी बाधा यह है कि 2019 के बाद से राज्य सरकार ने जमीन के मार्केट दरों का रिवीजन नहीं किया है जबकि जमीन की कीमतें दोगुनी हो चुकी है। कम से कम महंगाई दर के हिसाब से इसमें वृद्धि कर चर्चा करने की घोषणा वित्त मंत्री को करनी चाहिए थी परंतु इस पूरे पहलू पर मुख्यमंत्री का बजट भाषण साइलेंट है।

Reaction on budget:  डीएमएफ के पैसे को भी जिस तरह बंदरबांट पिछले 10 सालों से चल रही है उसे रोकने के कोई प्रभावी कदम इस बजट में नहीं उठाए गए है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए की डीएमएफ के पैसे से कुछ हिस्सा परियोजना प्रभावित व्यक्तियों को प्रतिवर्ष नगद राशि के रूप में दिया जाए जैसा की महतारी वंदन आदि योजना में हो रहा है।

Reaction on budget:   छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बहुल है और जनसंख्य अनुरूप हर तीसरा व्यक्ति आदिवासी है। श्री राधे ने कहा कि प्रदेश के  61 प्रतिशत क्षेत्रफल पांचवीं अनुसूचित के तहत अनुसूचित है , जहां के अकूत संसाधनों की राजस्व बहुत है । आदिवासी भाषा,संस्कृति , साहित्य के उत्थान के लिए प्रदेश में बजट नहीं मिला।  आदिवासियों के पारंपरिक जातरा , ऐतिहासिक मेला मड़ाई के साथ प्रदेश के प्रथम शहीद को नमन करते प्रदेश कई जगह शहीद मेला होता है उसका आश्वासन के बाद कोई बजट नहीं है। 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस की आयोजन के लिए  और न ही आदिवासी सलाहकार समिति का गठन  व उसका अलग से  कार्यालय एवं संचालन के लिए बजट प्रावधान किया गया।

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