बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलने से आरक्षण व्यवस्था को लेकर बनी अनिश्चितता की स्थिति दूर करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर केन्द्र और राज्य को निर्देश देने की मांग की गई है।
अधिवक्ता हिमांग सलूजा ने यह याचिका दाखिल कर कहा है कि आरक्षण व्यवस्था की अनिश्चितता के कारण कालेजों में दाखिला नहीं होने तथा सरकारी भर्तियां रोक दिए जाने से युवाओं का भविष्य प्रभावित हो रहा है। याचिका में यह स्थिति निर्मित होने की वजह भी बताई गई है और कहा गया है कि वर्ष 2012 में आरक्षण में संशोधन कर सरकार ने जातीय आरक्षण बढ़ाकर 58 प्रतिशत कर दिया था। विभिन्न संगठनों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट ने 19 सितंबर 2022 को दिए फैसले में यह कहते हुए इसे असंवैधानिक करार दे ते हुए रद्द कर दिया कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। इधर सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 2 दिसंबर 2022 को नया आरक्षण संशोधन विधेयक पारित कर राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा,जिसे अब तक राज्यपाल ने मंजूर नहीं किया है।

इस विधेयक में 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, जिस पर राज्यपाल ने सवाल उठाए हैं ,जिनके जवाब सरकार की ओर से दिए गए हैं। आरक्षण विधेयक को लेकर विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए बताया गया है , मंजूरी नहीं मिलने राजनीतिक कारण भी बताए जा रहे हैं। विधेयक को अभी भी मंजूरी नहीं मिली है और राज्य में आरक्षण व्यवस्था को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। याचिका में हाईकोर्ट से यह अनिश्चितता दूर करने के लिए केन्द्र व राज्य को निर्देश देने की मांग की गई है।

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