पार्टी के सामने होगी असंतुष्टों से निपटने की चुनौती
अजय गुप्ता,सूरजपुर। भाजपा ने जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की पहले घोषणा करके तैयारियों में आगे निकलने की कोशिश तो की है , लेकिन इसी के साथ पार्टी में असंतोष की हवा भी देखी जा रही है। इसका एक कारण यह भी है कि पार्टी ने तीनों सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया है। पुराने दावेदार इसे अपनी उपेक्षा के रूप में देख रहे हैं और उनका असंतोष उभरकर सामने आ रहा है। चुनावों के अंतिम दिनों तक क्या स्थिति बनेगी कहा नहीं जा सकता पर इतना जरूर है कि पार्टी के सामने इस असंतोष से भी निपटने की चुनौती होगी।
भाजपा सत्ता में वापसी की अपनी रणनीति पर फूंक- फूंक कर चल रही है क्योंकि पार्टी को पता है कि यह चुनाव अलग होने जा रहा है। जिस तरह से संगठन के शीर्ष नेताओं के तेवर दिखाई दे रहे हैं, संभव है वह संगठन विरोधी गतिविधियों को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे भले ही उन्हें अनुशासन का डंडा चलाना पड़े। पार्टी ने अपनी पहली सूची 17 अगस्त को ही घोषित कर दी थी। जिले की प्रेमनगर सीट से भूलन सिंह मरावी,भटगांव से लक्ष्मी राजवाड़े, प्रतापपुर से शकुंतला सिंह पोर्ते को प्रत्याशी बनाया गया है। तीनों चेहरे विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में है। इनके नामों घोषणा होने के बाद तीनों सीटों के अन्य दावेदारों ने नाराजगी व्यक्त करना शुरू कर दिया है। कई लोगों ने तो पार्टी की बैठकों में खुद या अपने समर्थकों के द्वारा विरोध जताया तो कुछ लोग रायपुर तक का दौड़ लगाकर आ चुके हैं।यहां तीनों सीटों पर बहुतायत दावेदार थे। स्वाभाविक भी है कि टिकट न मिलने से उनमें निराशा होगी ।ऐसे में विरोध भी लाजमी है। हालांकि अभी कई दावेदार खामोश है वे संतुष्ट है या असंतुष्ट हैं यह समझना फिलहाल कठिन है।
वैसे यहां देखा जाता है कि भाजपा को हर चुनाव में इसलिए भी मुंह की खानी पड़ती है क्योंकि पार्टी के ही असंतुष्ट जो पांच साल तो भाजपा का झंडा उठाते हैं और चुनाव में बड़े खामोशी के साथ भाजपा के ही खिलाफ हो जाते हैं। यह विधानसभा चुनावों में ही नहीं बल्कि नगरपालिका, पंचायत या अन्य चुनाव में भी देखने को मिलता रहा है। इस जिले की तासीर भी है कि यहां भाजपा कांग्रेस के नेता एक दूसरे से गठजोड़ करने में माहिर हैं। राजनीतिक लाभ के लिए होने वाले यह गठजोड़ निष्ठावान कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरता है। फिलहाल विरोध के जो स्वर सुनाई दे रहे हैं ,उससे प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दावेदारों में असंतोष की को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि ऐसे लोग चुनाव में भितरघात भी कर सकते हैं। कुछ असंतुष्ट नेताओं की बात करें तो यह उनकी फितरत सी हो गई है या यूं कहें कि इसमें महारत हासिल कर चुके हैं। क्षेत्र की जनता भी अच्छी तरह से जानती है क्योंकि इनका यह रूप प्राय: चुनाव में देखने देता है । ऐसे लोग चुनाव जीतने-जिताने का माद्दा तो नहीं रखते मगर किसी की हार- जीत का कारण जरूर बन जाते हैं। यही कारण रहा कि पिछले बार जिले के तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा था। इस बार के चुनाव में भाजपा का अलग रूख दिखाई पड़ रहा है। ऐसा भाजपा के शीर्ष नेताओं के तेवर से भी पता चलता है। पार्टी के लोग ही पार्टी को नुकसान पहुंचाएं यह बर्दाश्त करने वाली नहीं है। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि अभी असंतुष्टों को मनाने का प्रयास होगा,किसी भी नुकसान की आशंका पर संगठन का डंडा भी सख्त चलेगा!

कांग्रेस में टिकट को
लेकर मचा घमासान


जिले की तीनों विधानसभा की सीटें इस समय कांग्रेस के पास हैं । प्रत्येक सीट पर दावेदारों की लंबी सूची है, टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है। वर्तमान विधायकों के कामकाज को लेकर भी सवाल उठाये जा रहे हैं । इससे विधायकों की टिकट भी खतरे में दिख रही है। दावेदारों में हार-जीत के आंकलन पर पार्टी में विचार मंथन हो रहा है।संभवतः इसी सप्ताह कांग्रेस की सूची भी आ सकती है। इधर भटगांव विधानसभा क्षेत्र में टिकट के दावेदार और उनके समर्थक अपने ही पार्टी के विधायक की पोल खोल रहे हैं। प्रतापपुर में भी टिकट को लेकर मारामारी है। प्रेमनगर में दो-तीन नामों पर ही चर्चा गर्म है। लोगों को कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार है‌। इसके बाद चुनावी समीकरण बनने – बिगड़ने का दौर शुरू होगा। भाजपा जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर प्रत्याशी पहले ही मैदान में उतार चुकी है । ऐसे में जाहिर है कि कांग्रेस भी जातिगत समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी घोषि ,जिसमें एकाद विधायक को पुनः मौका मिल सकता है।

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