रायपुर । युवाओं और आम जनता के बीच तंबाकू उत्पाद ई-सिगरेट और हुक्का बार के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ सरकार द्वारा उनके विक्रय को प्रतिबंधित करने के लिए लागू किए गए कानूनों पर विस्तृत जानकारी विभिन्न विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने हासिल की।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत, राज्य तंबाकू नियंत्रण इकाई छत्तीसगढ़ एवं ब्लूमर्ग परियोजना छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उप्ताद अधिनियम 2003, हुक्का बार एवं ई-सिगरेट के प्रावधानों के क्रियान्वयन एवं उनके उल्लंघन होने पर कार्यवाई के लिए “एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला” का आयोजन किया गया। कार्यशाला में दिल्ली से आए विषय विशेषज्ञों ने राज्य के विभिन्न विभागों के अधिकारियों , कर्मचारियों को कोटपा एक्ट 2003, कोटपा छत्तीसगढ़ (संशोधन) अधिनियम 2021 (हुक्का बार कानून) एवं ई-सिगरेट प्रतिबंध अधिनियम 2019 के प्रावधानों (धाराओं) के बारे विशेष जानकारी देकर उन्हें प्रशिक्षित किया गया ताकि तम्बाकू उत्पाद प्रतिबंध की नीतियों को प्रभावी तरीके से लागू किया सके।
सर्किट हाउस, रायपुर (छ.ग.) में आयोजित कार्यशाला में दिल्ली से आए विशेषज्ञों ने वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण 2019 ( जीवाईटीएस) के अनुसार में राज्य की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया छत्तीसगढ़ राज्य की 39.1 प्रतिशत आबादी तम्बाकू व तंबाकू उत्पादों का उपयोग करती है। इसमें 13-15 वर्ष आयु समूह के करीब 8 प्रतिशत बच्चे भी तम्बाकू की लत की गिरफ्त में हैं। साथ ही तंबाकू प्रारंभ करने की औसतन आयु 7.3 वर्ष है। यानि सर्वेक्षण साफ तौर पर बताता है कि राज्य की तंबाकू उपयोग करने की स्थिति चिंताजनक है। खासकर गुड़ाखू का उपयोग भी चिंतनीय है। इस पर प्रभावी तरीके से लगाम लगाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की जरूरत हैI
इस दौरान राज्य नोडल अधिकारी तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. कमलेश जैन ने राज्य की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि “वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण 2019 के अनुसार प्रदेश में 39.1 प्रतिशत तंबाकू उपयोगकर्ता हैं। 13 से 15 आयु वर्ग के युवाओं में इसकी व्यापकता 8 प्रतिशत है। इसलिए सबसे आवश्यक है कि युवा पीढ़ी विशेषकर इस आयुवर्ग को तंबाकू उत्पादों का सेवन करने से बचाएं। तंबाकू के उपयोग से ना सिर्फ कैंसर बल्कि कई अन्य बीमारियों का खतरा भी रहता है, इसलिए तंबाकू “छोड़िए और छुड़वाइए।“ उन्होंने आगे बताया “तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 कोटपा के प्रावधानों के क्रियान्वयन एवं उनके उल्लंघन होने पर कार्रवाई को बेहतर किए जाने के लिए ‘टोबैको मॉनिटरिंग ऐप’ का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिसके माध्यम से भी मॉनिटरिंग की जा रही है। इससे चालानी कार्रवाई किए जाने का दायरा बढ़ेगा और सभी सक्षम अधिकृत अधिकारियों द्वारा चालानी कार्यवाही सुनिश्चित की जा सकेगी। राज्य में मितानिन भी तंबाकू नियंत्रण की दिशा में प्रयास कर रही हैं। राज्य में अंतर्विभागीय समन्वय के माध्यम से ही तम्बाकू उत्पाद प्रतिबंध नीतियों कोटपा एक्ट 2003 के साथ ही हुक्का बार के लिए कोटपा छत्तीसगढ़ ( संशोधन) अधिनियम 2021 (हुक्का बार कानून) एवं ई-सिगरेट प्रतिबंध अधिनियम 2019 को भी प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा।“
कार्यशाला में दिल्ली से आए लीगल एक्सपर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रंजीत सिंह ने मुख्य रूप से हुक्का बार के लिए कोटपा छत्तीसगढ़ ( संशोधन) अधिनियम 2021 (हुक्का बार कानून) एवं ई-सिगरेट प्रतिबंध अधिनियम 2019 के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि “तंबाकू उत्पादों की खरीद-बिक्री के नियंत्रण के लिए सालों से प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन तंबाकू उत्पाद कंपनियां तंबाकू नियंत्रण कानूनों में सख्ती को देखते हुए लगातार अपने व्यापार की नीतियों में बदलाव कर रही हैं। तंबाकू उत्पादों में निकोटीन होता है वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसे देखते हुए भारत सरकार ने सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम कोटपा 2003 लागू किया। इसके बाद कंपनियों ने तंबाकू की लत को कम करने के लिए अपने उत्पाद को नए कलेवर में ई-सिगरेट व हुक्का के रूप में उतारा जो कि विभिन्न फ्लेवर और सुगंध वाले थे। इसके बाद इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए सरकार ने 2019 में भारत में ई-सिगरेट की खरीदी-बिक्री एवं संकलित करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया। इस दौरान श्री सिंह ने ई-सिगरेट एवं हाल ही में छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित हुक्का बार प्रतिबंध छत्तीसगढ़ राज्य संशोधित कोटपा अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की बारीकियों के बारे विस्तार पूर्वक जानकारी दी। साथ ही उन्होंने इन अधिनियमों के तहत सख्ती से कार्रवाई किए जाने की सिफारिश भी की।“
इस दौरान द यूनियन संस्था के वरिष्ठ तकनीकि सलाहकार डॉ. अमित यादव ने सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनयम कोटपा 2003 के मुख्यतः धारा 4, 5, 6 एवं 7 के प्रावधानों एवं उन प्रावधानों के मुताबिक कार्रवाई सुनिश्चित किए जाने के तरीकों पर प्रकाश डाला।
वोलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया नई दिल्ली के कार्यक्रम प्रबंधक बिनॉय मैथ्यू ने ई- सिगरेट पर बने कानून ई-सिगरेट प्रतिबंध अधिनियम 2019 का किस प्रकार उल्लंघन हो रहा है इस पर विस्तार से जानकारी दी।
पहल फाउंडेशन संस्था के तकनीकी सलाहकार आशीष सिंह ने तंबाकू मॉनिटरिंग ऐप के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए चालानी कार्रवाई एवं तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान कैसे घोषित हो सकता है इस पर प्रकाश डाला।
राज्य तंबाकू नियंत्रण सेल की कानूनी सलाहकार ख्याति जैन कोटपा अधिनियम की धाराओं एवं तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थानों के बारे में बताया। कार्यशाला में डीपीओ हीना खान, स्टेट ऑफिसर एनएसएस नीता बाजपेयी, श्रम विभाग के तेजस कुमार, खाद्य एवं औषधीय प्रशासन विभाग से बसंत कौशिक ने भी उपरोक्त विषयों पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन राज्य सलाहकार तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. नेहा साहू ने किया। कार्यशाला में पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग, श्रम विभाग, मेडिकल कॉलेज, पंचायत विभाग आदि के प्रतिनिधि सहभागी के रुप में उपस्थित हुए।
इन प्रावधानों की मिली जानकारी- कार्यशाला में कोटपा अधिनियम 2003 की विभिन्न धाराओं जैसे धारा 4 एवं 6 के तहत चलानी कार्रवाई जिले में गठित प्रवर्तन दल द्वारा किए जाने, धारा 5 के तहत तंबाकू उत्पाद के किसी भी प्रकार से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विज्ञापन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होने , भारत सरकार द्वारा धारा 7 के तहत प्रत्येक 2 वर्ष में एक बार चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनी जारी किए जाने और इसके बिना तंबाकू उत्पाद का विक्रय पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होने, ई-सिगरेट अधिनियम 2019 तथा हाल ही में लागू की गई हुक्का बार को प्रतिबंधित किए जाने और सजा पर कार्यशाला में जानकारी दी गई। साथ ही इसके बेहतर क्रियान्वयन पर जोर दिया गया।

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